दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी जारी है और उत्तर भारत में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है. भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि आज, दक्षिण-पश्चिम मानसून उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ और हिस्सों से लौट गया है. राजस्थान और गुजरात राज्य के कुछ भाग में यह अभी शेष है. इस साल मानसून सीजन के दौरान जून से सितम्बर, 2023 के बीच मनरेगा (MGNREGA) के तहत काम मांगने वाले ग्रामीण मज़दूरों की संख्या काफी बढ़ गयी.
मौसम विभाग ने बताया कि जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पश्चिम मध्य प्रदेश, गुजरात के कुछ हिस्सों से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं. वहीं, अगले 2-3 दिनों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों से मानसून लौट जाएगा.
दरअसल, इस साल अगस्त महीने में बारिश में 36% की रिकॉर्ड गिरावट दर्ज़ की गयी. इस वजह से खेतों में बुआई का काम प्रभावित हुआ और मनरेगा के तहत काम मांगने वाले ग्रामीण मज़दूरों की संख्या काफी बढ़ गयी. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रोज़गार के इस संकट के बीच महंगाई दर 7% से कुछ ऊपर बनी हुई है जिस वजह से त्योहारों के सीजन के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था में डिमांड कमज़ोर रहने की आशंका है.
इस साल मानसून काफी अनियमित रहा. इसका सबसे ज़्यादा असर अगस्त महीने में दिखा जब देश में औसत से करीब 36% कम बारिश रिकॉर्ड की गयी, जो पिछले 122 साल में सबसे कम रही. इसका सीधा असर खरीफ फसलों की बुआई के साथ-साथ पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा. कमज़ोर मॉनसून की वजह से खेतों में काम घटा, और मनरेगा के तहत काम मांगे वाले ग्रामीण वर्करों की संख्या बढ़ गयी.
ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुताबिक
- अगस्त, 2022 में 1.91 करोड़ लोगों ने MGNREGA के तहत काम मांगा था.
- अगस्त, 2023 में काम मांगने वालों की संख्या 19.89% बढ़कर 2.29 करोड़ तक पहुंच गयी.
- सितम्बर, 2022 में MGNREGA के तहत 2.01 करोड़ लोगों ने काम मांगा.
- सितम्बर 2023 में ये संख्या 9.95% बढ़कर 2.21 करोड़ तक पहुँच गयी.
दरअसल, मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या में बढ़ोतरी का ये ट्रेंड इस साल जून से सितम्बर तक पूरे मानसून सीजन के दौरान दिखा. ग्रामीण विकास मंत्रालय की तरफ से जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 के दौरान MGNREGA के तहत पूरे साल में 8.76 करोड़ लोगों को रोज़गार दिया गया था. जबकि 2023-24 के पहले 6 महीने में ही 02 अक्टूबर, 2023 तक 6.62 करोड़ लोगों को काम दिया जा चुका है.
त्योहारों के सीजन से पहले मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या में वृद्धि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में संकट की ओर इशारा करती है. बढ़ी हुई महंगाई दर की वजह से इसका असर ग्रामीण इलाकों में डिमांड पर भी पड़ने की आशंका है.
सांख्यिकी मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में शहरी इलाकों में खुदरा महंगाई दर 6.59% रही जबकि ग्रामीण इलाकों में ये और ज्यादा बढ़कर 7.02% रही. ज़ाहिर है, महंगाई दर ज़्यादा होने से ग्रांमीण अर्थव्यवस्था में डिमांड पर असर पड़ रहा है, और इसका असर त्योहारों के मौसम में ग्रामीण बाज़ारों में साफ़ तौर पर दिखेगा.
मौसम विभाग ने बताया कि इस मानसून सीजन में देश में औसत से कम 820 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि किसी अल नीनो वर्ष में बारिश का दीर्घकालिक औसत 868.6 मिलीमीटर (मिमी) रहता है. मौसम विभाग ने कहा कि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य 1,367.3 मिमी की तुलना में 1,115 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 18 प्रतिशत कम है. पूरे देश में मासिक बारिश जून में एलपीए का 91 प्रतिशत, जुलाई में 113 प्रतिशत, अगस्त में 64 प्रतिशत और सितंबर में 113 प्रतिशत रही.
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