नई दिल्ली में गंगा पर आयोजित कार्यक्रम में गंगा में बढ़ रही गाद पर चिंता जाहिर की है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां गुरुवार को कहा कि आज गंगा का हाल देखकर रोना आता है. नदी के तल में जमा गाद पानी के प्रवाह में अवरोध पैदा करता है. गंगा की अविरलता सुनिश्चित किए बिना इसकी निर्मलता संभव नहीं है.
यहां के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 'गंगा की अविरलता में बाधक गाद : समस्या एवं समाधान' विषय पर आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने ये बातें कहीं. सम्मेलन का आयोजन बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा किया गया है.
सम्मेलन में बड़ी संख्या में उपस्थित पर्यावरणविदों, विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि गाद से जटिल समस्याएं उत्पन्न होती हैं. इसका प्रतिकूल प्रभाव बिहार के साथ-साथ अन्य राज्यों पर भी पड़ता है.
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा की अविरलता उनके लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और यह बिहार के स्वार्थ से जुड़ा मुद्दा भी नहीं है, यह राष्ट्र से जुड़ा मुद्दा है, यह प्रकृति एवं पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता को कायम रखने के लिए कदम उठाना ही पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक पर्यावरणविद् एवं नदी के विशेषज्ञ गाद से उत्पन्न जटिल समस्याओं के समाधान के तरीको को ढूढ़ेंगे, ताकि नदी अविरलता के लिए कार्यक्रम तय किया जा सके.
नीतीश कुमार ने कहा, "अपने बचपन के दिनों में मैं गंगा नदी से पानी भरकर लाया करता था. उस समय गंगा का जल काफी स्वच्छ था. आज स्थिति बदल गई है. गंगा का प्रवाह मार्ग गाद से पट गया है. फरक्का बराज के बनने के बाद इसके उध्र्व भाग में निरंतर गाद सालों साल जमा होता रहा है, जिसके कारण बाढ़ का पानी बक्सर, पटना तथा भागलपुर तक काफी दिनों तक रुका रहता है. यह बाढ़ बिहार में जलजमाव एवं काफी तबाही मचाती है, जिससे राज्य को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रत्येक साल काफी नुकसान होता है.
उन्होंने कहा कि बिहार जैसे गरीब राज्य को पांच सालों में कटाव-निरोधक कार्यो पर 1058 करोड़ रुपया खर्च करना पड़ा है. गंगा नदी की निर्मलता एवं डॉल्फिन में सीधा संबंध है. केंद्र सरकार को गाद प्रबंधन के लिए एक अच्छी नीति बनानी चाहिए.
इस मौके पर बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि गंगा नदी में गाद की समस्या राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनना चाहिए. गाद की समस्या को आज बिहार झेल रहा है, कल उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड एवं अन्य राज्य भी झेल सकते हैं. गंगा नदी की अविरलता ही निर्मलता को बनाए रख सकती है.
सम्मेलन को सांसद जयराम रमेश, सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी. गोपाल गौड़ा, स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद, प्रो. जी.डी. अग्रवाल, सांसद हरिवंश, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, एस.एन. सुब्बाराव सहित अन्य ने संबोधित किया.
( इनपुट आईएएनएस से)
यहां के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 'गंगा की अविरलता में बाधक गाद : समस्या एवं समाधान' विषय पर आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने ये बातें कहीं. सम्मेलन का आयोजन बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा किया गया है.
सम्मेलन में बड़ी संख्या में उपस्थित पर्यावरणविदों, विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि गाद से जटिल समस्याएं उत्पन्न होती हैं. इसका प्रतिकूल प्रभाव बिहार के साथ-साथ अन्य राज्यों पर भी पड़ता है.
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा की अविरलता उनके लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और यह बिहार के स्वार्थ से जुड़ा मुद्दा भी नहीं है, यह राष्ट्र से जुड़ा मुद्दा है, यह प्रकृति एवं पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता को कायम रखने के लिए कदम उठाना ही पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक पर्यावरणविद् एवं नदी के विशेषज्ञ गाद से उत्पन्न जटिल समस्याओं के समाधान के तरीको को ढूढ़ेंगे, ताकि नदी अविरलता के लिए कार्यक्रम तय किया जा सके.
नीतीश कुमार ने कहा, "अपने बचपन के दिनों में मैं गंगा नदी से पानी भरकर लाया करता था. उस समय गंगा का जल काफी स्वच्छ था. आज स्थिति बदल गई है. गंगा का प्रवाह मार्ग गाद से पट गया है. फरक्का बराज के बनने के बाद इसके उध्र्व भाग में निरंतर गाद सालों साल जमा होता रहा है, जिसके कारण बाढ़ का पानी बक्सर, पटना तथा भागलपुर तक काफी दिनों तक रुका रहता है. यह बाढ़ बिहार में जलजमाव एवं काफी तबाही मचाती है, जिससे राज्य को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रत्येक साल काफी नुकसान होता है.
उन्होंने कहा कि बिहार जैसे गरीब राज्य को पांच सालों में कटाव-निरोधक कार्यो पर 1058 करोड़ रुपया खर्च करना पड़ा है. गंगा नदी की निर्मलता एवं डॉल्फिन में सीधा संबंध है. केंद्र सरकार को गाद प्रबंधन के लिए एक अच्छी नीति बनानी चाहिए.
इस मौके पर बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि गंगा नदी में गाद की समस्या राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनना चाहिए. गाद की समस्या को आज बिहार झेल रहा है, कल उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड एवं अन्य राज्य भी झेल सकते हैं. गंगा नदी की अविरलता ही निर्मलता को बनाए रख सकती है.
सम्मेलन को सांसद जयराम रमेश, सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी. गोपाल गौड़ा, स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद, प्रो. जी.डी. अग्रवाल, सांसद हरिवंश, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, एस.एन. सुब्बाराव सहित अन्य ने संबोधित किया.
( इनपुट आईएएनएस से)
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