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This Article is From Oct 10, 2019

जम्मू कश्मीर में BDC चुनावों के विरोध में शेहला रशीद ने छोड़ी मुख्यधारा की राजनीति

JNU छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि वह इस महीने के अंत में जम्मू कश्मीर में BDC के चुनाव कराने के केंद्र सरकार के कदम की वजह से ‘कश्मीर में चुनावी मुख्य धारा से’ खुद को अलग करने को विवश हैं.

जम्मू कश्मीर में BDC चुनावों के विरोध में शेहला रशीद ने छोड़ी मुख्यधारा की राजनीति
छह महीने पहले ही मुख्यधारा की राजनीति में आईं थीं शेहला रशीद (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने के छह महीने बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने कश्मीर में चुनावी राजनीति छोड़ने की बुधवार को घोषणा की और जम्मू कश्मीर में  खंड विकास परिषद (BDC) चुनाव कराने के कदम का विरोध किया. उन्होंने कहा कि वह लोगों के ‘दमन' को वैध ठहराने वाला एक पक्ष नहीं बन सकतीं. बता दें कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 2016 में कथित राष्ट्रविरोधी नारों से उत्पन्न विवाद के बाद सुर्खियों में आईं रशीद इस साल के शुरू में पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल द्वारा गठित पार्टी जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट में शामिल हुई थीं.

शेहला रशीद पर कश्मीर पर ट्वीट करने के लिए देशद्रोह का मामला दर्ज 

JNU छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि वह इस महीने के अंत में जम्मू कश्मीर में BDC के चुनाव कराने के केंद्र सरकार के कदम की वजह से ‘कश्मीर में चुनावी मुख्य धारा से' खुद को अलग करने को विवश हैं. रशीद ने BDC चुनावों को ‘दिखावे की चुनावी कवायद' करार दिया. उन्होंने एक बयान में कहा, ‘मैं अपने लोगों के बर्बर दमन को वैध ठहराने की कवायद में पक्ष नहीं बन सकती. इसलिए मैं कश्मीर में चुनावी मुख्यधारा से अलग होना चाहूंगी.' रशीद ने कहा, ‘मैं कार्यकर्ता बनी रहूंगी और सभी मोर्चों पर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जारी रखूंगी, जिसमें किसी समझौते की जरूरत न हो. मैं राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के फैसले को पलटने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में अपने प्रयास जारी रखूंगी.' 

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

अपने राजनीति में आने के बारे में बताते हुए शेहला रशीद ने कहा कि वह राजनीति में इसलिए आई थीं क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे ‘न्याय और सुशासन उपलब्ध कराना तथा जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के अनुरूप कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए काम करना संभव होगा.' रशीद ने दावा किया कि राज्य में राजनीतिक नेताओं को केवल राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर चुनाव लड़ने को विवश किया जा रहा है और अनुच्छेद 370 को हटाने तथा राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट देने के मुद्दे पर चुप रहने को कहा जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि कश्मीर में किसी राजनीतिक गतिविधि में भागीदारी के लिए समझौते की जरूरत है.' बता दें कि रशीद ने मुख्यधारा की राजनीति छोड़ने की घोषणा उस दिन की है जब कांग्रेस ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर में BDC चुनाव नहीं लड़ेगी. वहीं कश्मीर घाटी में तैनात सशस्त्र बलों के खिलाफ ट्वीट करने पर रशीद के खिलाफ पिछले महीने राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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