मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया की किताब पर विवादों का सिलसिला अभी थमा नहीं है. देवेन भारती के बाद अहमद जावेद ने भी राकेश मारिया पर पलटवार किया है. मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया की किताब में शीना बोरा हत्याकांड से जुड़े खुलासों पर अब मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त अहमद जावेद ने हमला बोला है. एनडीटीवी को भेजे अपने बयान में उन्होंने राकेश मारिया पर तथ्यविहीन बातें लिखने का आरोप लगाया है. उन्होंने यह भी कहा है कि इतने बड़े अफसर को पहले सही जानकारी जुटा लेनी चाहिए थी.
दअरसल राकेश मारिया ने अपनी किताब में शीना बोरा हत्याकांड की जांच का जिक्र करते हुए लिखा है कि क्या उस समय मेरी जगह मुंबई पुलिस आयुक्त बनाए गए अहमद जावेद पीटर मुखर्जी को सोशियली जानते थे, और ईद पार्टी में पीटर को निमंत्रित भी किया था? क्या ये बात तब के मुख्यमंत्री और गृहविभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पता थी? मारिया ने आगे यह भी लिखा है कि क्या अहमद जावेद ने ये बातें मुख्यमंत्री को बताई थीं? अगर हां तो क्यों उन्हें भरोसे में नहीं लिया गया? और अगर नहीं तो उन्होंने इसे गम्भीर मुद्दा क्यों नहीं माना?
मारिया आगे लिखते हैं कि राहुल मुखर्जी ने जब शीना बोरा के लापता होने की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की थी तब देवेन भारती मुंबई क्राइम ब्रांच में एडिशनल सीपी थे और अहमद जावेद महाराष्ट्र के एडिशनल डीजी लॉ एंड आर्डर. इस पद के अधीन राज्य की सभी जिला पुलिस आती है. शीना के शव का कंकाल रायगढ़ जिले के गागोडे जंगल में मिला था. उस समय जिला पुलिस की भूमिका पर जांच का आदेश दिया गया था कि कहीं सबूत नष्ट करने की कोशिश तो नहीं हुई थी? उस जांच का क्या हुआ?
मुंबई आतंकी हमला : मारिया के दावे को बीजेपी ने बनाया मुद्दा, कांग्रेस नेताओं की जांच कराने की मांग
उन्होंने लिखा है कि क्या इससे यह साबित नहीं होता कि जिन पुलिस अफसरों ने कठिन जांच कर जघन्य अपराध का खुलासा किया उन्हें ही कटघरे में खड़ा किया गया और जबकि मामले में संदिग्ध भूमिका रखने वाले अफसरों को बचाने की कोशिश की गई?
मारिया ने लिखा है कि जब मीडिया ने नए सीपी और पीटर मुखर्जी की दोस्ती का खुलासा किया तब अचानक से मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई.
दअरसल राकेश मारिया का मानना है कि उन्होंने जमीन में दफन एक हाई प्रोफाइल हत्याकांड का खुलासा कर बड़ा काम किया था लेकिन उन्हें सिर्फ इसलिए मुंबई सीपी पद से हटा दिया गया क्योंकि सरकार को यह शक था कि वे आरोपी पीटर मुखर्जी को पहले से जानते हैं और उसे बचा रहे हैं. जबकि तब के मुंबई पुलिस के ज्वाइंट सीपी लॉ एंड ऑर्डर देवेन भारती और एडिशनल डीजी अहमद जावेद पहले से पीटर को जानते थे. दोनों ने ये बात सरकार से छिपाई थी. इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.
कसाब से ‘भारत माता की जय‘ के जयकारे लगवाए, पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त ने किताब में किया खुलासा
किताब में मारिया के इस सवाल पर अब अहमद जावेद खुलकर सामने आ गए हैं. कैमरे पर तो उन्होंने बात नहीं की लेकिन एनडीटीवी को भेजे अपने लिखित बयान में उन्होंने उलटे राकेश मारिया के ज्ञान, मंसा और कार्यशैली पर ही सवाल उठाया है.
किताब में उठाए गए सवालों के सिलसिलेवार जवाब देते हुए अहमद जावेद ने लिखा है..
1. मेरे एडीजी लॉ एंड आर्डर रहते हुए शीना बोरा के शव की बरामदगी पर - ये गलत, झूठ और आक्षेप से ज्यादा कुछ नही है. पूरी तरह से गलत और भ्रमित करने वाला है. वैसे भी यह जानकारी पब्लिक रिकॉर्ड में है और आसानी से पताया लगाया जा सकता है कि उस वक्त एडीजी लॉ एंड ऑर्डर कौन था.
कम से कम मूल तथ्य तो सही होने चाहिए थे. लेकिन उनसे और उम्मीद ही क्या की जा सकती है.
2. रायगढ़ पुलिस की जांच रिपोर्ट पर - क्या उन्हें पता नहीं कि ये जानकारी किसी अधिकारी या दफ़्तर से ली जा सकती है.
3. हितों के टकराव पर - उस वक्त ठीक इसके विपरीत की स्थिति को स्पष्ट कर दिया गया था. इस बात को और पुष्ट करने के लिए केस की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी को सौंप दी गई थी.
4. क्या अथॉरिटी को जानकारी दी गई थी? उस समय जो जरूरी था वो किया गया था. लेकिन इसके पहले उन्हें कम से कम संबंधित व्यक्ति से बात कर लेनी चाहिए थी.
5. मुखर्जी से नजदीकी वाली बात पर - शब्दों का खराब चयन, बहुत गलत तरीके से लिखा गया, किसी तरह का कोई सच नहीं, शायद ये उनकी कार्यशैली का प्रतिबिंब है.
किताब में खुलासे के बाद पहले देवेन भारती का मारिया पर पलटवार और अब अहमद जावेद का हमला. अब राकेश मारिया के जवाब का इंतजार है.
VIDEO : शीना बोरा मर्डर केस की जांच कर रहे राकेश मारिया को सीपी के पद से हटाया
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं