रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की एक महत्वपूर्ण बैठक से पहले मंगलवार को कहा कि समूह अपने सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों पर आधारित नीति का पालन करता है. पाकिस्तान के ख्वाजा आसिफ को छोड़कर चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू, रूस के सर्गेई शोइगू और समूह के अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्री बैठक में भाग लेने वाले हैं. ली की भारत यात्रा पूर्वी लद्दाख में तीन साल से जारी सीमा विवाद के बीच हो रही है. कुछ दिन पहले भारत और चीन ने गतिरोध वाले शेष स्थानों के मुद्दों को हल करने के लिए नए दौर की सैन्य वार्ता आयोजित की थी.
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, आतंकवाद रोधी प्रयासों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होगी. बयान में कहा गया कि 2023 में भारत की अध्यक्षता में समूह का विषय ‘सिक्योर एससीओ' है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ली दिल्ली में एससीओ की बैठक से इतर द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं. सिंह एससीओ बैठक से इतर भारत आने वाले रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. एससीओ बैठक की अध्यक्षता सिंह करेंगे.
बयान में कहा गया, ‘‘रक्षा मंत्री अन्य मुद्दों के अलावा क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, एससीओ के भीतर आतंकवाद विरोधी प्रयासों और एक प्रभावी बहुपक्षवाद से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे.''
बयान में कहा गया, ‘‘एससीओ सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, सभी सदस्य देशों की समानता और उनमें से प्रत्येक की राय के लिए आपसी समझ तथा सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है.''
एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में अफगानिस्तान की स्थिति पर भी विचार-विमर्श किए जाने की उम्मीद है.
एससीओ के सदस्य देशों में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. सदस्य देशों के अलावा, दो पर्यवेक्षक देश बेलारूस और ईरान भी एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे. सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक में शामिल हो सकते हैं.
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