समाजवादी पार्टी ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए अपने छह उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया.उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर उपचुनाव होना है.सपा ने अभी छह सीटों पर ही अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. अभी चार सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान बाकी है. सपा उम्मीदवारों की सूची आने के बाद कहा जाने लगा कि उत्तर प्रदेश में उसका कांग्रेस से रिश्ता टूट गया. लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को साफ किया कि उनका गठबंधन अभी टूटा नहीं है.उन्होंने यह बात सफैई में अपने पिता और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में कही.
सपा का कांग्रेस को संदेश
समाजवादी पार्टी ने जिन उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं, उनमें करहल सीट से तेज प्रताप यादव, सीसामऊ से नसीम सोलंकी, फूलपुर से मुस्तफा सिद्दीकी, मिल्कीपुर से अजित प्रसाद, कटेहरी से शोभावती वर्मा और मझवां से ज्योति बिंद को टिकट दिया गया है. इनमें से तेज प्रताप यादव अखिलेश यादव के परिवार के सदस्य हैं.वहीं मिल्कीपुर से उम्मीदवार बनाए गए अजित प्रसाद फैजाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं.वहीं सीसामऊ से टिकट पाने वाली नसीन सोलंकी, वहां से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी है. एक मामले में अदालत से सजा होने के बाद सोलंकी की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 9, 2024
सपा ने अभी चार उन सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, जहां उपचुनाव होने हैं. सूत्रों का कहना है कि इनमें से अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद की गाजियाबाद सदर सीट कांग्रेस को देने की पेशकश की गई है.लेकिन कांग्रेस अधिक सीटों की मांग कर रही है.इन दोनों के अलावा मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर भी उपचुनाव होना है.सपा की एक तरफा से कांग्रेस असहज हो गई थी.कांग्रेस सपा से पांच सीटों की मांग कर रही थी. लेकिन सपा ने उससे पूछ बिना ही अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया. इसे सपा की कांग्रेस पर दवाब बनाने की रणनीति माना जा रहा है.
सपा को कांग्रेस ने हरियाणा और एमपी में कितनी सीटें दी थीं
सपा के इस कदम से लगा कि सपा हरियाणा विधानसभा चुनाव में सीटें न दिए जाने से अभी तक नाराज है. इसलिए उसने हरियाणा का रिजल्ट आने और कांग्रेस की हार होते ही अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया.कहा जा रहा था कि सपा ने हरियाणा में कुछ सीटों की मांग की थी. लेकिन कांग्रेस नेता दिपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सपा का हरियाणा में कोई जनाधार नहीं है, इसलिए उसे कोई सीट नहीं दी जाएगी.सपा इससे नाराज बताई जा रही थी. इससे पहले मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस नेता कमलनाथ ने सपा को एक भी सीट देने से इनकार दिया था. हालांकि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस को एक सीट दी थी. लेकिन सपा उम्मीदवार का पर्चा ही खारिज हो गया था.
#WATCH | Hisar, Haryana: Congress MP Deepender Hooda says, "...BJP has betrayed the people of Haryana in the last 10 years. I think the Congress party will form the government in Haryana with a huge majority. People have made up their minds...Samajwadi Party has no mass base in… https://t.co/NGwIdjCc9d pic.twitter.com/d8LMHPLUmE
— ANI (@ANI) July 19, 2024
हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम आते ही अखिलेश यादव ने अपने महाराष्ट्र दौरे का कार्यक्रम भी जारी कर दिया.अगले हफ्ते वो महाराष्ट्र की यात्रा करेंगे.इससे लगा कि उन्हें बस हरियाणा के चुनाव परिणाम भर का इंतजार था.महाराष्ट्र में वो उन इलाकों का दौरा करेंगे जो एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का गढ़ रहे हैं.लेकिन यह परोक्ष रूप से कांग्रेस पर उनकी प्रेशर की टैक्टिस का हिस्सा है.वो उन्हीं इलाकों का ही दौरा कर रहे हैं, जो कांग्रेस का भी गढ़ रहे हैं. महाराष्ट्र में अखिलेश की नजर अल्पसंख्यक वोटों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश-बिहार के प्रवासियों पर भी है.
महाराष्ट्र का दौरा क्यों कर रहे हैं अखिलेश यादव
इस बात की भी खबरें हैं कि अखिलेश यादव की सपा ने महाराष्ट्र में 12 सीटों की मांग महाविकास अघाड़ी से की है. लेकिन अभी तक उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.इससे पहले 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी सपा का कांग्रेस से गठबंधन अंतिम समय पर नहीं हो पाया था. इसके बाद भी सपा ने भिवंडी और मानखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा सीट पर अपना कब्जा जमाया था.
अखिलेश यादव दरअसल सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाना चाहते हैं. इसलिए वो अलग-अलग राज्यों का दौरा कर पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.इससे पहले उन्होंने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था,लेकिन उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.अखिलेश ने अब गेंद कांग्रेस के पाले में डाल ही है. अब फैसला कांग्रेस को करना है कि वो सपा को महाराष्ट्र में मैदान देती है या नहीं.कांग्रेस की प्रतिक्रिया पर ही अखिलेश का अगला कदम और इंडिया गठबंधन का भविष्य भी टिका है. क्या कांग्रेस अपने उस सहयोगी खोना पसंद करेगी जिसने देश के सबसे बड़े प्रदेश में दायरा बढ़ाने में मदद की है. इस पर फैसला कांग्रेस को करना है.
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