पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कई जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सिर्फ सात कार्यकर्ताओं को वार्षिक आरटीआई कन्वेन्शन के लिए न्योता दिए जाने पर उद्घाटन समारोह में होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का बहिष्कार करने की धमकी दी है।
जानी-मानी आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा रॉय, जिन्हें निमंत्रण दिया गया है, ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने कार्यकर्ताओं की पृष्ठभूमि की जांच की और उसके बाद सुरक्षा कारणों से कई लोगों को निमंत्रण नहीं भेजे गए।
उन्होंने यह भी कहा, "यह बहुत कम है, सिर्फ सात लोग बुलाए गए हैं... सिविल सोसायटी के योगदान को सभी ने पसंद किया है... हमें यह समझ नहीं आता कि इस इंटेलिजेंस जांच की ज़रूरत क्या थी... इससे पहले कभी इस तरह जांच नहीं की गई थी..."
"सरकार ने दखलअंदाज़ी की..."
अरुणा तथा निमंत्रित अन्य पांच लोगों ने कहा कि वे अनिमंत्रित लोगों के साथ एकता दर्शाने के लिए प्रधानमंत्री के सत्र का बहिष्कार करेंगे। 69-वर्षीय कार्यकर्ता का कहना था, "पता चला है कि मुख्य सूचना आयुक्त ज़्यादा लोगों को निमंत्रण देना चाहते थे, लेकिन सरकार ने अनुमति नहीं दी... यह सीआईसी में सरकार की दखलअंदाज़ी है..."
हैदराबाद के आरटीआई कार्यकर्ता राकेश डुब्बुडू, जिन्हें निमंत्रण नहीं मिला है, ने बताया कि आईबी अधिकारी उनके घर आए और पूछा कि उनके माता-पिता क्या करते हैं, और वे सरकार के बारे में क्या सोचते हैं। राकेश ने कहा कि वह हैरान हुए, क्योंकि उन्हें राज्य सरकार के साथ काम करते हुए काफी वक्त हो गया है, और केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा आयोजित इस दो-दिवसीय सम्मेलन के लिए राज्य सरकार ने ही उनके नाम की सिफारिश की थी।
200 से ज़्यादा कार्यकर्ता आते रहे हैं पिछले सम्मेलनों में
पिछले सालों में इस वार्षिक सत्र के उद्घाटन समारोह में 200 से भी ज़्यादा आरटीआई कार्यकर्ता शामिल होते रहे हैं, और इन सत्रों को आमतौर पर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ही संबोधित करते हैं। इस साल आरटीआई अधिनियम की 10वीं सालगिरह भी है, और बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार जाने के कार्यक्रम में बदलाव कर इस सम्मेलन के लिए वक्त निकाला है।
यह सम्मेलन पिछले वर्ष आयोजित नहीं हो पाया था, क्योंकि मुख्य सूचना आयुक्त रिटायर हो गए थे, और उनके स्थान पर किसी की नियुक्ति नहीं हो पाई थी।
जानी-मानी आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा रॉय, जिन्हें निमंत्रण दिया गया है, ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने कार्यकर्ताओं की पृष्ठभूमि की जांच की और उसके बाद सुरक्षा कारणों से कई लोगों को निमंत्रण नहीं भेजे गए।
उन्होंने यह भी कहा, "यह बहुत कम है, सिर्फ सात लोग बुलाए गए हैं... सिविल सोसायटी के योगदान को सभी ने पसंद किया है... हमें यह समझ नहीं आता कि इस इंटेलिजेंस जांच की ज़रूरत क्या थी... इससे पहले कभी इस तरह जांच नहीं की गई थी..."
"सरकार ने दखलअंदाज़ी की..."
अरुणा तथा निमंत्रित अन्य पांच लोगों ने कहा कि वे अनिमंत्रित लोगों के साथ एकता दर्शाने के लिए प्रधानमंत्री के सत्र का बहिष्कार करेंगे। 69-वर्षीय कार्यकर्ता का कहना था, "पता चला है कि मुख्य सूचना आयुक्त ज़्यादा लोगों को निमंत्रण देना चाहते थे, लेकिन सरकार ने अनुमति नहीं दी... यह सीआईसी में सरकार की दखलअंदाज़ी है..."
हैदराबाद के आरटीआई कार्यकर्ता राकेश डुब्बुडू, जिन्हें निमंत्रण नहीं मिला है, ने बताया कि आईबी अधिकारी उनके घर आए और पूछा कि उनके माता-पिता क्या करते हैं, और वे सरकार के बारे में क्या सोचते हैं। राकेश ने कहा कि वह हैरान हुए, क्योंकि उन्हें राज्य सरकार के साथ काम करते हुए काफी वक्त हो गया है, और केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा आयोजित इस दो-दिवसीय सम्मेलन के लिए राज्य सरकार ने ही उनके नाम की सिफारिश की थी।
200 से ज़्यादा कार्यकर्ता आते रहे हैं पिछले सम्मेलनों में
पिछले सालों में इस वार्षिक सत्र के उद्घाटन समारोह में 200 से भी ज़्यादा आरटीआई कार्यकर्ता शामिल होते रहे हैं, और इन सत्रों को आमतौर पर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ही संबोधित करते हैं। इस साल आरटीआई अधिनियम की 10वीं सालगिरह भी है, और बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार जाने के कार्यक्रम में बदलाव कर इस सम्मेलन के लिए वक्त निकाला है।
यह सम्मेलन पिछले वर्ष आयोजित नहीं हो पाया था, क्योंकि मुख्य सूचना आयुक्त रिटायर हो गए थे, और उनके स्थान पर किसी की नियुक्ति नहीं हो पाई थी।
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