हरियाणा में आरक्षण कानून अगले साल मार्च तक के लिए स्थगित

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने जाट एवं पांच अन्य समुदायों को आरक्षण मुहैया कराने वाले हरियाणा के एक कानून के क्रियान्वयन को अगले साल मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया.

हरियाणा में आरक्षण कानून अगले साल मार्च तक के लिए स्थगित

चंडीगढ़:

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने जाट एवं पांच अन्य समुदायों को आरक्षण मुहैया कराने वाले हरियाणा के एक कानून के क्रियान्वयन को अगले साल मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया. अदालत ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को प्रासंगिक आंकड़ों के अध्ययन के बाद इन समुदायों को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थाओं में दिया जाना वाला आरक्षण तय करने और मार्च 2018 तक रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया.

न्यायमूर्ति सुरिंदर सिंह सरोन और न्यायमूर्ति लीसा गिल की खंडपीठ ने आयोग से 30 नवंबर तक आंकड़े एकत्र करने और आपत्तियां आमंत्रित करने के लिए उन्हें वेबसाइट पर अपलोड करने का भी निर्देश दिया. नवनिर्मित पिछड़ा वर्ग (सी) श्रेणी के तहत जाट एवं पांच अन्य समुदायों को आरक्षण देने वाले हरियाणा पिछड़ा वर्ग (शैक्षणिक संस्थाओं में दाखिला एवं सेवाओं में आरक्षण) कानून, 2016 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पिछले साल अदालत में दायर की गई थी.

इस अधिनियम को 29 मार्च, 2016 को राज्य विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था और राज्य सरकार ने 12 मई, 2016 को आधिकारिक राजपत्र में इसे अधिसूचित किया था. अदालत की एक खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद 26 मई, 2016 को इन समुदायों के आरक्षण पर रोक लगा दी थी.

हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता लोकेश सिंहल ने अदालत के बाहर आज संवाददाताओं से कहा कि अनुसूची तीन के तहत दिया गया आरक्षण तब तक (मार्च 2018) स्थगित रहेगा और इस पर रोक लगी रहेगी. उन्होंने कहा कि दिए जाने वाले आरक्षण और उसकी प्रतिशतता के संबंध में अदालत ने मामला पुन: पिछड़ा वर्ग आयोग के पास भेज दिया है और उसे मार्च 2018 तक अपनी रिपोर्ट दायर करने को कहा है.

सिंहल के अनुसार अदालत की खंडपीठ ने कहा कि आरक्षण कितना दिया जाना है, इसका निर्णय राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग स्वयं द्वारा एकत्र आंकड़ों या राज्य सरकार द्वारा जमा आंकड़ों के आधार पर करेगा.

इस मामले में अदालत में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले सिंहल ने बताया कि राज्य सरकार को इस साल 30 नवंबर तक आयोग के समक्ष यह आंकड़े पेश करने का आदेश दिया गया है और आयोग द्वारा एकत्र आंकड़े को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा.

अदालत ने आदेश दिया कि इसके बाद आयोग आम लोगों से आपत्तियां आमंत्रित करेगा जिन्हें 31 दिसंबर 2017 से पहले आयोग के समक्ष पेश किया जाना होगा. सिंहल ने कहा आयोग द्वारा एकत्र या उसके सामने पेश आंकड़ों के आधार पर और उसके समक्ष पेश की गई आपत्तियों के मद्देनजर आयोग यह निर्णय लेगा कि कितना प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. इस संबंध में निर्णय 31 मार्च 2018 तक लिया जाना होगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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