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This Article is From Aug 17, 2022

गुलाम नबी आजाद के इनकार से एक बार फिर सामने आयी कांग्रेस के भीतर की तकरार

जम्मू-कश्मीर कैंपेन कमेटी का प्रमुख बनाए जाने को लेकर ऐसी भी रिपोर्ट आयी कि आजाद इसलिए नाखुश हैं, क्योंकि ये उनको अपने कद से छोटा पद लगता है.

गुलाम नबी आजाद के इनकार से एक बार फिर सामने आयी कांग्रेस के भीतर की तकरार
गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर कैंपेन कमेटी चीफ पद स्वीकारने से इनकार किया.
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर कैंपेन कमेटी चीफ पद की जिम्मेदारी स्वीकारने से गुलाम नबी आजाद के इनकार ने कांग्रेस के भीतर की खींचतान को एक बार फिर सतह पर ला दिया है. मंगलवार शाम को कांग्रेस की तरफ से जम्मू और कश्मीर कांग्रेस कमेटी के पुनर्गठन का पत्र और सूची जारी की गई. इसमें गुलाम मोहम्मद मीर की जगह वकार रसूल वानी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.

इसके साथ ही चुनाव अभियान समिति का मुखिया गुलाम नबी आजाद को बनाया गया. साथ ही उन्हें प्रदेश के पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी में भी बतौर सदस्य शामिल किया गया. इस लिस्ट के जारी होने के कुछ ही देर बाद आजाद के दोनों पदों से इस्तीफे की खबर आयी.

आजाद की तरफ से कहा गया कि नियुक्ति से पहले उनके साथ मशवरा नहीं किया गया. हालांकि पार्टी सूत्रों ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनके साथ चार दौर की सलाह की गई, जिसमें अंतिम दौर की सलाह 14 जुलाई को हुई. सहमति के बाद ही नामों को फाइनल किया गया है.

ये भी पढ़ें: गुलाम नबी आजाद ने जम्मू कश्मीर कांग्रेस की प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

कुछ सूत्रों ने ये भी दावा किया कि स्वास्थ्य के आधार पर उन्होंने इस जिम्मेदारी को स्वीकारने से मना किया. जबकि कहा ये भी जा रहा है कि जिस पत्र के जरिए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी असमर्थता जाहिर की, उसमें स्वास्थ्य को आधार नहीं बताया गया है.

जम्मू-कश्मीर कैंपेन कमेटी का प्रमुख बनाए जाने को लेकर ऐसी भी रिपोर्ट आयी कि आजाद इसलिए नाखुश हैं, क्योंकि ये उनको अपने कद से छोटा पद लगता है. कांग्रेस सूत्र का कहना है कि जब सैफुद्दीन सोज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे, तब भी आजाद कैंपेन कमेटी के चेयरमैन बनाए गए थे.

गौरतलब है कि उदयपुर चिंतन शिविर के बाद 2024 चुनाव के लिए गठित पॉलिटिकल कमेटी में गुलाम नबी आजाद को शामिल किया गया था. इसे गांधी परिवार और आजाद के बीच घटती दूरी का संकेत माना गया.

15 अगस्त को कांग्रेस मुख्यालय से गांधी स्मृति तक मार्च में आजाद और आनंद शर्मा, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ चल रहे थे. दोनों पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन दोनों उस असंतुष्ट गुट के नेता हैं जिसे जी23 के नाम से जाना जाता है.

दोनों ही नेता राज्यसभा नहीं मिलने से नाराज बताए जाते रहे हैं. यहां तक रिपोर्ट आयी कि राजस्थान से आजाद को राज्यसभा में शामिल किया जाएगा, लेकिन ये नहीं हुआ. मौजूदा अनबन को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है.
 

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