केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रविवार को कहा कि बलात्कार और 'पॉक्सो' कानून के तहत दर्ज मामलों की जांच दो महीने में पूरी करने के लिए वह सभी मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखेंगे. केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री ने कहा कि इस तरह के मामलों में (अदालती) सुनवाई छह महीने के अंदर पूरी होनी चाहिए. हैदराबाद और उन्नाव बलात्कार एवं हत्या मामलों को लेकर छाये राष्ट्रव्यापी रोष छाने के मद्देनजर प्रसाद ने यह टिप्पणी की. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि महिलाओं के साथ हिंसा और बलात्कार 'दुर्भाग्यपूर्ण और पूरी तरह से निंदनीय' है और इस तरह के जघन्य अपराधों को अंजाम देने वालों को न्यायिक प्रक्रिया के जरिए शीघ्रता से दंडित किया जाए.
केंद्रीय मंत्री ने कहा ''मैं सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर उनसे अनुरोध करने जा रहा हूं कि बलात्कार और पॉक्सो मामलों में जांच दो महीनों में पूरी की जाए.'' उन्होंने कहा, ''मैं सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिख कर त्वरित अदालतों में लंबित बलात्कार एवं पॉक्सो से जुड़े सभी मामलों का शीघ्रता से निपटारा करने का अनुरोध करूंगा.'' संचार एवं इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का भी प्रभार संभालने वाले प्रसाद ने कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायधीश से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि इस तरह के मामलों के शीघ्रता से निपटारे के लिए एक तंत्र हो.
देश में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के संदर्भ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर प्रसाद ने कहा, ''मुझे कांग्रेस पार्टी के बारे में कुछ नहीं कहना है. राहुल आज ही नहीं, हर समय देश के बारे में इस तरह की टिप्पणी करते हैं, जिसका दुनिया में भारत की छवि पर खराब असर पड़ता है. उन्हें इस बात को समझना चाहिए क्योंकि वे अपनी पार्टी के बडे़ नेता हैं.'' उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.
मंत्री ने पूछा, 'क्या राहुल गांधी इस बात की गारंटी दे सकते हैं कि जिन राज्यों में उनकी पार्टी सत्ता में है, वहां ऐसी घटनाएं(महिलाओं के खिलाफ) नहीं हो रही हैं?'' गौरतलब है कि राहुल ने शनिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत का मखौल उड़ा रहा है और यह विश्व की ''दुष्कर्म राजधानी (रेप कैपिटल)'' बन गया है. प्रसाद ने कहा कि अभी तक देश भर में 704 त्वरित अदालतें काम कर रही हैं. केवल पॉक्सो और बलात्कार के मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए 1023 नए त्वरित अदालतों का गठन किया जाने वाला है. करीब 400 पर सहमति बन गयी है और 107 शुरू हो गए हैं.
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