सूरत में तीन साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को होने वाली फांसी पर रोक लगा दी. सूरत कोर्ट द्वारा 29 फरवरी को फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया गया था. अनिल सुरेंद्र यादव को फिलहाल फांसी नहीं होगी. यादव को अक्टूबर 2018 में मौत की सजा दी गई थी. यादव द्वारा कहा गया है कि सभी कानूनी उपचार समाप्त होने से पहले डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता है.
वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए यादव के पास 60 दिन का समय है और इससे पहले डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता.
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चीफ जस्टिस ने इस बात से सहमति जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद डेथ वारंट जारी किए जा रहे हैं, जिसमें कहा गया था कि सभी कानूनी उपचार समाप्त होने से पहले डेथ वारंट जारी नहीं किया जाएगा. जज इस तरह के आदेश कैसे पारित कर सकते हैं? न्यायिक प्रक्रिया इस तरह नहीं हो सकती.
CJI ने सॉलिसिटर जनरल को मामले पर ध्यान देने के लिए कहा क्योंकि SC पहले मौत की सजा के मामलों की समय सीमा निर्धारित करने के लिए केंद्र की दलील की जांच करने के लिए सहमत हो गया है. दरअसल सूरत की अदालत ने यादव को बिहार के निवासी, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोस्को) अधिनियम के तहत मौत की सजा सुनाई थी, जिसे गुजरात उच्च न्यायालय ने 27 दिसंबर 2019 को बरकरार रखा था.
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