राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने जोधपुर में मादक पदार्थ कानून (NDPS Act) के तहत झूठे मामले में फंसे एक बुजुर्ग व्यक्ति को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की सिफारिश राज्य सरकार से की है. आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि पीड़ित भाकरराम (80) के खिलाफ झूठा मामला बनाने में शामिल तीन पुलिसकर्मियों को भविष्य में पांच साल तक किसी भी पुलिस थाने में पदस्थापित ना किया जाए. साथ ही आयोग ने राज्य सरकार से उन सभी अधिकारियों को गणतंत्र दिवस पर पुरस्कृत करने की अनुशंसा की है जिन्होंने इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच व अनुसंधान कर राज्य के एक वरिष्ठ आम नागरिक के मानव अधिकारों की रक्षा का सराहनीय कार्य किया है.
आयोग ने 80 वर्षीय बुजुर्ग भाकरराम द्वारा दायर एक परिवाद का निपटारा किया जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे 2012 में उनके खिलाफ दर्ज एक फर्जी मामले ने उनकी और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को नष्ट कर दिया और उन्हें पांच महीने न्यायिक हिरासत में बिताने पड़े.
बाद में पुलिस के उच्चाधिकारियों की जांच में मामला फर्जी निकला. अधिकारियों ने पीड़ित भाकरराम के खिलाफ जाम्बा थानाधिकारी सीताराम और उसके कांस्टेबल करणाराम और पुलिस लाईन में तैनात एक अन्य कांस्टेबल भगवानाराम द्वारा तीन किलो अफीम का दूध बरामद कर उसके खिलाफ षडयंत्र के तहत मुकदमा बनाना पाया.
पुलिस उच्चाधिकारियों की सही जांच के आधार पर भाकरराम को अदालत ने सीआरपीसी की धारा 169 के तहत रिहा करने का आदेश दिया.
एक बयान के अनुसार आयोग ने आदेश में कहा कि पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि के भुगतान के बाद राज्य सरकार मामले में आरोपी जाम्बा थाने के तत्कालीन पुलिस थाना अधिकारी सीताराम से दो लाख रूपये की राशि और कांस्टेबल भगवानाराम और करनाराम से एक एक लाख रूपये उनके वेतन से कटौती कर सकेगी.
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