राजस्थान में अचानक स्वाइन फ्लू की दस्तक राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। एक ही महीने (जनवरी) में यहां स्वाइन फ्लू से 27 मौतें हुई हैं और 113 नए केस सामने आए हैं।
पिछले साल की तुलना में यह काफी ज्यादा है। पिछले साल जनवरी के महीने में स्वाइन फ्लू का एक भी केस सामने नहीं आया था।
स्वाइन फ्लू के कारण 2014 के 12 महीने में स्वाइन फ्लू से सिर्फ 35 मौतें हुई थीं, अब राज्य सरकार यह जानना चाहती है कि अचानक इतनी मौतें क्यों सामने आ रही हैं।
राजेंद्र राठौर, राज्य के स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्री का कहना है कि उन्होंने दिल्ली से नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों को बुलाकर स्वाइन फ्लू के सैंपल लिए हैं, ये जानने के लिए कि कहीं स्वाइन फ्लू का वायरस बदल तो नहीं गया है। इसकी रिपोर्ट अभी आनी है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि चिंता की कोई खास बात नहीं है क्योंकि मरीज़ अब भी तमीफ्लू की दवा से अपना इलाज करवा रहे हैं और ये दवा काम कर रही है।
डॉ. केसी मीणा, जो ग्रामीण स्वास्थ्य के इनचार्ज हैं, उनका कहना है कि ये भी देखने को मिला है कि इस बार स्वाइन फ्लू किसी एक ज़िले में केंद्रित नहीं है। राज्य के 32 ज़िलों में से 25 में स्वाइन फ्लू के केस सामने आए हैं। यानी बीमारी का फैलाव पूरे प्रदेश में है।
वैसे, राज्य सरकार सारे इंतज़ाम तो कर रही है स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए, लेकिन मुश्किल यह है कि इसके लक्षण सर्दी-जुखाम जैसे होते हैं और ठंड के मौसम में लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्हें सर्दी लग गई है या फिर स्वाइन फ्लू हो गया है। डॉक्टर कहते हैं कि इलाज में देर के कारण भी ज्यादा मौतें हो रही हैं।
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