सवाईं माधोपुर:
यहां कदम रखते ही शेर की दहाड़ सुनाई देती है... लेकिन रुकिए, यह रणथंभौर का जंगल नहीं बल्कि सवाईं माधोपुर के रेलवे स्टेशन का एक दृश्य है. यहां से इस अंदाज़ में रणथंभौर जंगल की सफारी शुरू होती है. जगह जगह वन्य जीवों के चित्र जंगल का एहसास दिलाते हैं. साथ ही सवाईं माधोपुर की अनोखी चित्रकला को भी दर्शाते हैं.
राजस्थान के रेलवे स्टेशन में बदलाव नज़र आ रहा है. जयपुर से जोधपुर और उदयपुर से बीकानेर, हर रेलवे स्टेशन को अलग चित्र शैली से संवारा गया है. अजमेर में किशनगढ़ शैली की बनी-ठनी के चित्र देखने को मिलते है तो सवाईं माधोपुर में बाघ और वन्य जीवों से जुड़ी बेहतरीन चित्रकला देखने को मिलती है.
उदयपुर के रेलवे स्टेशन में श्रीनाथजी मंदिर में होने वाले पिछवाई चित्र शैली की राधा कृष्ण पेंटिंग लोगों को मोहित कर रहे हैं, यानी हर एक स्टेशन को एक अलग और उस इलाके से जुड़े हुई शैली से संवारने की कोशिश की गयी है. हर ज़िले के इतिहास को ध्यान में रखते हुए ये चित्र बनाये गए हैं. 'ये जो आप देख रहे है ऊपर ये पृथ्वीराज चौहान की ढाल है और उससे सम्बंधित रजवाड़ों से रिलेटेड पेंटिंग बना रहे हैं.'- ऐसा बताया यज्ञ प्रकाश ने जो अजमेर रेलवे स्टेशन पे चित्र बना रहे थे. (बनी ठनी, अजमेर रेलवे स्टेशन)
साउथ वेस्टर्न रेलवेज के प्रवक्ता तरुण जैन ने बताया- ये स्वच्छ भारत का एक हिस्सा है. स्टेशन को साफ़ रखने के साथ साथ हमने ये भी कोशिश की है कि लोककला को बढ़ावा मिले. लेकिन लोगों की भी भागेदारी होनी चाहिए. सौ लोग मिलकर स्टेशन को सुन्दर बना सकते हैं लेकिन जब तक हज़ारों लोग, जो इस स्टेशन का इस्तमाल रोज़ाना करते हैं वे इस मुहिम में शामिल नहीं होगे, तब तक ये सफल नहीं बनेगा.
इन रेलवे स्टेशनों से आप शहरों का ही सफ़र नहीं करते, संस्कृतियों की भी यात्रा करते हैं. इन्हें देखते हुए याद आता है कि रेतीले ढूहों वाले राजस्थान में कितने सारे रंग सजाए हैं और इनमें अपनी जीवन शैली रंगी है- उदयपुर में राधा-कृष्ण के साथ श्रीनाथजी मंदिर के चित्र हैं तो जयपुर की मशहूर पुतुल कला यहां दिखाई पड़ती है. जयपुर आने वाले सैलानियों के लिए ये पहली और अनूठी झलक मायने रखती है. (गांधी नगर रेलवे स्टेशन, जयपुर)
राजस्थान के रेलवे स्टेशन में बदलाव नज़र आ रहा है. जयपुर से जोधपुर और उदयपुर से बीकानेर, हर रेलवे स्टेशन को अलग चित्र शैली से संवारा गया है. अजमेर में किशनगढ़ शैली की बनी-ठनी के चित्र देखने को मिलते है तो सवाईं माधोपुर में बाघ और वन्य जीवों से जुड़ी बेहतरीन चित्रकला देखने को मिलती है.
उदयपुर के रेलवे स्टेशन में श्रीनाथजी मंदिर में होने वाले पिछवाई चित्र शैली की राधा कृष्ण पेंटिंग लोगों को मोहित कर रहे हैं, यानी हर एक स्टेशन को एक अलग और उस इलाके से जुड़े हुई शैली से संवारने की कोशिश की गयी है. हर ज़िले के इतिहास को ध्यान में रखते हुए ये चित्र बनाये गए हैं. 'ये जो आप देख रहे है ऊपर ये पृथ्वीराज चौहान की ढाल है और उससे सम्बंधित रजवाड़ों से रिलेटेड पेंटिंग बना रहे हैं.'- ऐसा बताया यज्ञ प्रकाश ने जो अजमेर रेलवे स्टेशन पे चित्र बना रहे थे.
साउथ वेस्टर्न रेलवेज के प्रवक्ता तरुण जैन ने बताया- ये स्वच्छ भारत का एक हिस्सा है. स्टेशन को साफ़ रखने के साथ साथ हमने ये भी कोशिश की है कि लोककला को बढ़ावा मिले. लेकिन लोगों की भी भागेदारी होनी चाहिए. सौ लोग मिलकर स्टेशन को सुन्दर बना सकते हैं लेकिन जब तक हज़ारों लोग, जो इस स्टेशन का इस्तमाल रोज़ाना करते हैं वे इस मुहिम में शामिल नहीं होगे, तब तक ये सफल नहीं बनेगा.
इन रेलवे स्टेशनों से आप शहरों का ही सफ़र नहीं करते, संस्कृतियों की भी यात्रा करते हैं. इन्हें देखते हुए याद आता है कि रेतीले ढूहों वाले राजस्थान में कितने सारे रंग सजाए हैं और इनमें अपनी जीवन शैली रंगी है- उदयपुर में राधा-कृष्ण के साथ श्रीनाथजी मंदिर के चित्र हैं तो जयपुर की मशहूर पुतुल कला यहां दिखाई पड़ती है. जयपुर आने वाले सैलानियों के लिए ये पहली और अनूठी झलक मायने रखती है.
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