नई दिल्ली:
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा है कि दोषी सांसदों और विधायकों के संबंध में विवादास्पद अध्यादेश पर उनके विचार कैबिनेट के फैसले या कोर समूह के विचार से मेल नहीं खाते हैं।
राहुल ने दोषी सांसदों और विधायकों को तत्काल अयोग्यता से बचाने वाले अध्यादेश को पूरी तरह बकवास बताकर सरकार को हिला दिया। हालांकि, उन्होंने बेहद मुश्किल परिस्थितियों में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की जमकर तारीफ की है।
कांग्रेस ने सरकार के रुख पर हमला बोलने वाले राहुल के बयान के कुछ ही घंटे बाद उनके पत्र को सार्वजनिक किया। प्रधानमंत्री ने खुलासा किया है कि उन्हें पार्टी उपाध्यक्ष से पत्र मिला है।
यह स्पष्ट नहीं है कि पत्र मीडिया से राहुल की बातचीत से पहले लिखा गया था या उसके बाद।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में राहुल ने कहा, ‘मैं महसूस करता हूं कि अध्यादेश पर मेरे विचार मंत्रिमंडल के फैसले और कोर समूह की राय से मेल नहीं खाते हैं।’ पत्र में लिखा है, ‘मैं यह भी जानता हूं कि इसका हमारे राजनैतिक विरोधी फायदा उठाएंगे। आप जानते हैं कि मेरे मन में आपके लिए अगाध सम्मान है और आपकी बुद्धिमत्ता के लिए मैं आपकी ओर देखता हूं।’ उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘जिस तरीके से बेहद मुश्किल परिस्थितियों में आप नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं उसके लिए गहरी श्रद्धा है। मुझे उम्मीद है कि आप इस बेहद विवादास्पद मुद्दे के बारे में मेरे दृढ़ विश्वास को आप समझेंगे।’
राहुल ने दोषी सांसदों और विधायकों को तत्काल अयोग्यता से बचाने वाले अध्यादेश को पूरी तरह बकवास बताकर सरकार को हिला दिया। हालांकि, उन्होंने बेहद मुश्किल परिस्थितियों में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की जमकर तारीफ की है।
कांग्रेस ने सरकार के रुख पर हमला बोलने वाले राहुल के बयान के कुछ ही घंटे बाद उनके पत्र को सार्वजनिक किया। प्रधानमंत्री ने खुलासा किया है कि उन्हें पार्टी उपाध्यक्ष से पत्र मिला है।
यह स्पष्ट नहीं है कि पत्र मीडिया से राहुल की बातचीत से पहले लिखा गया था या उसके बाद।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में राहुल ने कहा, ‘मैं महसूस करता हूं कि अध्यादेश पर मेरे विचार मंत्रिमंडल के फैसले और कोर समूह की राय से मेल नहीं खाते हैं।’ पत्र में लिखा है, ‘मैं यह भी जानता हूं कि इसका हमारे राजनैतिक विरोधी फायदा उठाएंगे। आप जानते हैं कि मेरे मन में आपके लिए अगाध सम्मान है और आपकी बुद्धिमत्ता के लिए मैं आपकी ओर देखता हूं।’ उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘जिस तरीके से बेहद मुश्किल परिस्थितियों में आप नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं उसके लिए गहरी श्रद्धा है। मुझे उम्मीद है कि आप इस बेहद विवादास्पद मुद्दे के बारे में मेरे दृढ़ विश्वास को आप समझेंगे।’
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