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"ड्रोन 'क्रांति' समझने में सरकार नाकाम", राहुल के आरोप पर DFI ने कहा- 400 कंपनियां कर रहीं इस तकनीक पर काम

स्मित शाह ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि भारत में करीब चार सौ से अधिक कंपनियां हैं जो विभिन्न प्रकार के ड्रोन बना रही हैं.

"ड्रोन 'क्रांति' समझने में सरकार नाकाम", राहुल के आरोप पर DFI ने कहा- 400 कंपनियां कर रहीं इस तकनीक पर काम
राहुल गांधी पर ड्रोन फेडरेशन इंडिया के प्रेसिडेंट स्मित शाह ने पलटवार किया है.
नई दिल्‍ली:

देश में ड्रोन तकनीक के विकास को लेकर छिड़ी बहस में अब ड्रोन फेडरेशन इंडिया (Drone Federation India) के प्रेसिडेंट स्मित शाह (Smit Shah) भी कूद पड़े हैं. शाह ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें राहुल गांधी ने कहा था कि भारत के प्रतिद्वंदी देश ड्रोन तकनीक के मामले में हमसे कहीं आगे निकल चुके हैं, लेकिन भारत में इस मामले में कोई विकास नहीं हो रहा है. स्मित शाह ने कहा कि राहुल गांधी का कथन तथ्य के आधार पर गलत है. साथ ही उन्‍होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्‍ट में प्रतिबंधित ड्रोन का इस्‍तेमाल किया. 

स्मित शाह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट में बताया कि राहुल गांधी का कथन तथ्य के आधार पर गलत है. भारत सरकार ने न केवल साल 2021 में ड्रोन की अहमियत को पहचान लिया था बल्कि देश का इकोसिस्टम आज ड्रोन के मामले में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. स्मित शाह ने राहुल गांधी पर भी सवाल उठाए जिन्होंने अपने हाथ में प्रतिबंधित चीनी ड्रोन लिया हुआ था और उसे संभावित रेड जोन में भी उड़ाया, जिसके लिए संभवत उनके पास कोई परमिशन भी नहीं थी. 

400 कंपनियां बना रहीं ड्रोन: शाह 

स्मित शाह ने कहा, "हाल ही में हमारे एक प्रमुख नेता ने एक वीडियो में चीनी ड्रोन को हाथ में लेकर कहा कि भारतीय इकोसिस्टम अभी भी ड्रोन के विभिन्न भागों को नहीं समझता है और भारत में हम ऑप्टिक्स या बैटरी या इस तरह के किसी भी प्रकार के पुर्जे नहीं बनाते हैं, जबकि भारत में लगभग चार सौ से अधिक कंपनियां हैं जो विभिन्न प्रकार के ड्रोन बना रही हैं. इतना ही नहीं, भारत में पचास से अधिक ड्रोन कंपोनेंट कंपनियां हैं जो बैटरी, मोटर, प्रोपेलर, फ्लाइट कंट्रोलर, जीएनएसएस और ऐसे कई विभिन्न प्रकार के कंपोनेंट बनाती हैं."

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में केवल यह कहना कि भारतीय इकोसिस्टम में ड्रोन के पुर्जे बनाने की कोई समझ नहीं है, एक बहुत ही अजीब बयान है जो पूरे भारतीय इकोसिस्टम के लिए हतोत्साहित करने वाला है. उन्होंने अपने हाथ में एक चीनी ड्रोन पकड़ा हुआ था जिसका आयात भी प्रतिबंधित है. मुझे नहीं पता कि यह पंजीकृत है या नहीं. क्या उनके पास ड्रोन पायलट सर्टिफिकेट है? इसके अलावा, यह वीडियो दिल्ली में शूट किया गया लगता है, जो एक रेड जोन है. क्या वहां नागरिक उड्डयन मंत्रालय या गृह मंत्रालय से कोई अनुमति ली गई थी? मुझे लगता है कि अगर बदलाव लाने की जरूरत है, तो यह सिर्फ आलोचक बनकर और यह कहकर नहीं किया जा सकता कि भारत में किसी को कुछ नहीं आता. जमीन पर उतरकर वास्तविक सुझाव देने की जरूरत है. 

1700 से 1800 करोड़ का रेवेन्‍यू: शाह

ड्रोन को लेकर भारत सरकार ने कितना काम किया और आज क्या स्थिति है, पर जानकारी देते हुए स्मित शाह ने आगे कहा, "यह कोई नई बात नहीं है कि भारतीय इकोसिस्टम को ड्रोन पार्ट्स और ड्रोन कंपोनेंट्स पर काम करना चाहिए. ड्रोन तकनीक और ड्रोन कंपोनेंट्स के महत्व के बारे में भारत सरकार ने 2021 में ही सोचा था. 2021 में केंद्र सरकार ने उद्योग और शिक्षा जगत से मिले फीडबैक के आधार पर ड्रोन नियम 2021 लाया और इकोसिस्टम में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस लाया, जिसकी वजह से आज इकोसिस्टम के पास कम से कम 1700 से 1800 करोड़ का रेवेन्यू है."

उन्होंने आगे बताया कि सरकार भारतीय इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम लेकर आई. सरकार ने पीएलआई स्कीम के तहत 20 प्रतिशत प्रोत्साहन दिया था और इन सबके बाद सभी विदेशी ड्रोन कंपनियों से भारत में निर्माण किए बिना सीधे ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. ये सारे फैसले इसलिए लिए गए क्योंकि 2021 में इंडस्ट्री, शिक्षा जगत और सबसे महत्वपूर्ण सरकार ने ड्रोन तकनीक के महत्व को समझा. हमने इसे एक अवसर के रूप में देखा और इसके लिए एक विजन तय किया कि भारत में ड्रोन के क्षेत्र में हमें डिजाइन डेवलपमेंट, निर्माण, निर्यात और सबसे महत्वपूर्ण बौद्धिक संपदा स्वामित्व में अग्रणी बनना है और 2030 तक हमें भारत को वैश्विक ड्रोन हब बनाना है. 

राहुल गांधी पर स्मित शाह ने कसा तंज

स्मित शाह ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा, "मैं यह कहना चाहूंगा कि सिर्फ ड्रोन को हाथ में लेकर यह कह देने से बदलाव नहीं आएगा कि हमें इसके किसी भी हिस्से की समझ नहीं है और भारत में इस पर कोई काम नहीं कर रहा है.  अगर बदलाव लाना है तो सिर्फ बदलाव लाने की बात करने से वह नहीं आएगा. ड्रोन के पुर्जे बनाने के लिए किस तरह के आरएनडी कार्यक्रम होने चाहिए? उद्योग और शिक्षा जगत के बीच किस तरह का सहयोग होना चाहिए? सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए? नागरिक उड्डयन मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, कृषि मंत्रालय जैसे विभिन्न मंत्रालय इसमें क्या भूमिका निभा सकते हैं, इन पर विशेष सुझावों की जरूरत है. सिर्फ यह मत कहिए कि यह ड्रोन चीन में बना है और भारतीय इकोसिस्टम में इसकी समझ नहीं है और हम इसके पुर्जे नहीं बनाते हैं."

राहुल गांधी ने क्‍या कहा था? 

राहुल गांधी ने वर्तमान समय में युद्ध क्षेत्र और अन्य जगहों पर ड्रोन की उपयोगिता का उल्लेख करते हुए शनिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसकी 'क्रांति' को समझने में असफल रहे हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने ड्रोन और उससे जुड़ी प्रौद्योगिकी को लेकर एक वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था. उन्होंने कहा, 'ड्रोन ने संचार के लिए बैटरी, मोटर और ‘ऑप्टिक्स' के संयोजन से युद्ध के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. ड्रोन सिर्फ प्रौद्योगिकी नहीं हैं, बल्कि वे एक मजबूत औद्योगिक प्रणाली द्वारा संचालित निचले स्तर के नवाचार हैं. उन्होंने युद्ध क्षेत्र को ही बदल दिया है. टैंक, तोपखाने और यहां तक कि विमान वाहक को कम प्रासंगिक बना दिया है.'

गांधी ने कहा कि यह क्रांति सिर्फ युद्ध के बारे में नहीं है - यह उद्योग, एआई (कृत्रिम मेधा) और प्रौद्योगिकी की अगली पीढ़ी के बारे में है. उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, प्रधानमंत्री मोदी इसे समझने में असफल रहे हैं. जबकि वह एआई पर 'टेलीप्रॉम्प्टर' (की मदद से) भाषण देते हैं. हमारे प्रतिस्पर्धी नयी प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल कर रहे हैं.''

... तो हम नेतृत्‍व नहीं कर सकते: शाह

उन्होंने कहा कि असली शक्ति सिर्फ ड्रोन बनाने में नहीं है, बल्कि ‘इलेक्ट्रिक' मोटर, बैटरी, ‘ऑप्टिक्स' और उत्पादन नेटवर्क को नियंत्रित करने में भी है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यदि हम उत्पादन को नियंत्रित नहीं करते हैं तो हम एआई या प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नेतृत्व नहीं कर सकते.''

राहुल गांधी ने कहा, 'भारत के पास अपार प्रतिभा और प्रेरणा है लेकिन हमें खोखले शब्दों से कहीं अधिक की आवश्यकता है. हमें एक स्पष्ट दृष्टिकोण और वास्तविक औद्योगिक कौशल की आवश्यकता है.''

उन्होंने जोर देकर कहा, 'भारत के युवाओं के लिए आगे आने और यह सुनिश्चित करने का समय है कि भारत पीछे न छूटे.'

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