मनप्रीत बादल पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भाई के बेटे हैं.
अकाली दल-बीजेपी के 10 वर्षों के शासन के खात्मे के साथ पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार का आज गठन हो गया. कैप्टन की कैबिनेट में नौ मंत्रियों को शामिल किया गया. इसमें नवजोत सिंह सिद्धू के साथ एक अन्य चर्चित नाम को भी शामिल किया गया. दरअसल मनप्रीत बादल को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया. मनप्रीत बादल परिवार से ताल्लुक रखते हैं और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भाई के बेटे हैं.
एक समय अकाली दल में मनप्रीत बादल(55) की अच्छी खासी हनक थी. वह 1995 से 2012 तक अकाली दल की तरफ से एमएलए थे और 2007-10 तक प्रकाश सिंह बादल सरकार में वित्त मंत्री थे. वह प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास सिंह बादल के पुत्र हैं. 2010 में केंद्र सरकार के कर्ज माफी के फैसले पर अपनी पार्टी के भीतर अलग राय रखने की वजह से उनको मंत्री पद से हटा दिया गया. उसके बाद उसी साल अक्टूबर में शिरोमणि अकाली दल से उनको निकाल दिया गया.
उसके बाद उन्होंने पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब (पीपीपी) का गठन किया और 2012 के चुनाव में अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. वह खुद दो जगहों से उन चुनावों में उम्मीदवार थे. हालांकि उनकी पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और वह खुद अपनी दो सीटों से हार गए. पार्टी का भी कहीं खाता नहीं खुल सका. उसके बाद 2014 के चुनाव में मनप्रीत ने सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन सफलता हासिल नहीं कर सके. उसके बाद पिछले साल जनवरी में उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया. वह परंपरागत रूप से पंजाब की गिद्दरबाहा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं.
एक समय अकाली दल में मनप्रीत बादल(55) की अच्छी खासी हनक थी. वह 1995 से 2012 तक अकाली दल की तरफ से एमएलए थे और 2007-10 तक प्रकाश सिंह बादल सरकार में वित्त मंत्री थे. वह प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास सिंह बादल के पुत्र हैं. 2010 में केंद्र सरकार के कर्ज माफी के फैसले पर अपनी पार्टी के भीतर अलग राय रखने की वजह से उनको मंत्री पद से हटा दिया गया. उसके बाद उसी साल अक्टूबर में शिरोमणि अकाली दल से उनको निकाल दिया गया.
उसके बाद उन्होंने पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब (पीपीपी) का गठन किया और 2012 के चुनाव में अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. वह खुद दो जगहों से उन चुनावों में उम्मीदवार थे. हालांकि उनकी पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और वह खुद अपनी दो सीटों से हार गए. पार्टी का भी कहीं खाता नहीं खुल सका. उसके बाद 2014 के चुनाव में मनप्रीत ने सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन सफलता हासिल नहीं कर सके. उसके बाद पिछले साल जनवरी में उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया. वह परंपरागत रूप से पंजाब की गिद्दरबाहा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं.
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