पीएम मोदी के साथ पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल (फाइल तस्वीर)
चंडीगढ़:
धार्मिक ग्रंथ के कथित अपमान की घटनाओं की पृष्ठभूमि में पंजाब कैबिनेट ने गुरुवार को एक सख्त कानून बनाने की मंजूरी दी जिसमें धार्मिक वस्तुओं के अपमान के दोषियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान होगा।
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, 'कैबिनेट ने भारतीय दंड संहिता, 1860 में 295-ए-ए के रूप में एक नई संशोधित धारा जोड़े जाने को मंजूरी दी। इसके तहत श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अपमान के गंभीर अपराध के दोषियों को उम्रकैद की सजा मिलेगी।'
पहले अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान था
विज्ञप्ति के मुताबिक, 'यह कदम भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होने पर लगाम लगाएगा। इस संशोधन की बहुत जरूरत थी। उक्त कानून के मौजूदा प्रावधान धारा 295, 295-ए, 296 ऐसे मामलों से निपटने में सहायक तो होते हैं, लेकिन इनके तहत ऐसी सजाएं नहीं मिलती जिससे धार्मिक ग्रंथ के अपमान से जुड़ी घटनाओं पर लगाम लग सके।' पहले ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान था।
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया। इस कदम का स्वागत करते हुए शिरोमणि अकाली दल की गठबंधन सहयोगी भाजपा ने कहा कि वह भी धार्मिक ग्रंथ के अपमान के दोषियों को सख्त सजा देने की मांग करती रही है।
भाजपा की मांग
भाजपा के वरिष्ठ नेता तरुण चुघ ने कहा, 'बहरहाल, हम एक ऐसा कानून भी चाहते हैं, जिससे प्राण प्रतिष्ठा मूर्तियों के अपमान के दोषियों को सख्त सजा मिले।' इस बीच, कैबिनेट ने कृष्ण भगवान सिंह के बेटे और गुरजीत सिंह के भाई को सरकारी नौकरी की पेशकश का भी फैसला किया। अक्तूबर में धार्मिक गंथ के अपमान की घटनाओं पर विरोध प्रदर्शन के दौरान कृष्ण भगवान सिंह और गुरजीत सिंह की मौत हुई थी।
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, 'कैबिनेट ने भारतीय दंड संहिता, 1860 में 295-ए-ए के रूप में एक नई संशोधित धारा जोड़े जाने को मंजूरी दी। इसके तहत श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अपमान के गंभीर अपराध के दोषियों को उम्रकैद की सजा मिलेगी।'
पहले अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान था
विज्ञप्ति के मुताबिक, 'यह कदम भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होने पर लगाम लगाएगा। इस संशोधन की बहुत जरूरत थी। उक्त कानून के मौजूदा प्रावधान धारा 295, 295-ए, 296 ऐसे मामलों से निपटने में सहायक तो होते हैं, लेकिन इनके तहत ऐसी सजाएं नहीं मिलती जिससे धार्मिक ग्रंथ के अपमान से जुड़ी घटनाओं पर लगाम लग सके।' पहले ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान था।
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया। इस कदम का स्वागत करते हुए शिरोमणि अकाली दल की गठबंधन सहयोगी भाजपा ने कहा कि वह भी धार्मिक ग्रंथ के अपमान के दोषियों को सख्त सजा देने की मांग करती रही है।
भाजपा की मांग
भाजपा के वरिष्ठ नेता तरुण चुघ ने कहा, 'बहरहाल, हम एक ऐसा कानून भी चाहते हैं, जिससे प्राण प्रतिष्ठा मूर्तियों के अपमान के दोषियों को सख्त सजा मिले।' इस बीच, कैबिनेट ने कृष्ण भगवान सिंह के बेटे और गुरजीत सिंह के भाई को सरकारी नौकरी की पेशकश का भी फैसला किया। अक्तूबर में धार्मिक गंथ के अपमान की घटनाओं पर विरोध प्रदर्शन के दौरान कृष्ण भगवान सिंह और गुरजीत सिंह की मौत हुई थी।
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