प्रतीकात्मक तस्वीर
चंडीगढ़:
पंजाब के किसानों को गेहूं के दाम नहीं मिल रहे। कमीशन एजेंट्स को बैंक से एडवांस नहीं मिल रहा क्योंकि रिज़र्व बैंक ने पंजाब सरकार के गोदामों में 12 हज़ार करोड़ के अनाज का हेर फेर मिला है। किसानों की पेमेंट जल्द करवाने के लिए मुख्यमंत्री बादल सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी से मिले।
फतेहगढ़ साहिब के 82 साल के किसान अमरजीत सिंह अपना 52 क्विंटल गेहूं लेकर खरड़ की अनाज मंडी पहुंचे। आढ़ती ने 82 हज़ार का बिल बनाया। लेकिन उन्हें एक रुपया भी नहीं दिया। अमरजीत के घर लेनदारों की पूरी फ़ौज खड़ी है। पहली अप्रैल से शुरू हुई गेहूं खरीद की पेमेंट न होने से अमरजीत और उनके जैसे तमाम किसानों के सामने क़र्ज़ चुकाने की चुनौती है।
अमरजीत सिंह कहते हैं कि आढ़ती ने कहा 15-20 दिन बाद आकर पता कर लेना। अब मैं क्या करूं, जिस ट्रैक्टर से अनाज लेकर आया था उसे पैसे देने हैं, फसल की कटाई के लिए कंबाइन किराए पर ली थी उसकी पेमेंट भी देनी है।
मनप्रीत सिंह को भी क़र्ज़ की क़िस्त चुकानी है। वो बताते हैं, 'मेरा करीब सवा चार लाख रुपये आढ़ती पर बकाया है। वो कह रहा है कि पीछे से पेमेंट नहीं आयी है, हमें भी क़र्ज़ कि क़िस्त देनी है।'
ये नौबत इसलिए आयी है क्योंकि बैंकों ने केंद्रीय रिज़र्व बैंक के निर्देश पर बादल सरकार को गेहूं खरीदने के लिए 20 हज़ार करोड़ रुपये एडवांस देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। रिज़र्व बैंक ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि पंजाब के गोदामों से 12 हज़ार करोड़ रुपये के अनाज का हिसाब नहीं मिल रहा।
शनिवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मलेन में चंडीगढ़ पहुंचे पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर बादल सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। मीडिया से मुखातिब राहुल गांधी ने बादल सरकार से किसानों की पेमेंट जल्द से जल्द करने की बात रखी थी।
चुनाव करीब हैं, लिहाज़ा घबराये मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री के दरबार पहुंचे। अकाली दल को उम्मीद है कि सहयोगी बीजेपी संकट से उबार लेगी। अकाली दल की प्रेस रिलीज़ में कहा गया की मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री बादल को मसले का जल्द हल करने का भरोसा दिया।
पिछले एक पखवाड़े के दौरान पंजाब की अनाज मंडियों में 10 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा गेहूं पहुंच चुका है। बैंक से एडवांस नहीं मिला है इसलिए गेहूं मंडियों में ही पड़ा है, आढ़तियों के पास गेहूं रखने की जगह नहीं बची है। आने वाले दिनों में खरीद नहीं होने से किसानों को अनाज मंडियों में खुले आसमान के नीचे रात गुज़ारनी पड़ सकती है।
फतेहगढ़ साहिब के 82 साल के किसान अमरजीत सिंह अपना 52 क्विंटल गेहूं लेकर खरड़ की अनाज मंडी पहुंचे। आढ़ती ने 82 हज़ार का बिल बनाया। लेकिन उन्हें एक रुपया भी नहीं दिया। अमरजीत के घर लेनदारों की पूरी फ़ौज खड़ी है। पहली अप्रैल से शुरू हुई गेहूं खरीद की पेमेंट न होने से अमरजीत और उनके जैसे तमाम किसानों के सामने क़र्ज़ चुकाने की चुनौती है।
अमरजीत सिंह कहते हैं कि आढ़ती ने कहा 15-20 दिन बाद आकर पता कर लेना। अब मैं क्या करूं, जिस ट्रैक्टर से अनाज लेकर आया था उसे पैसे देने हैं, फसल की कटाई के लिए कंबाइन किराए पर ली थी उसकी पेमेंट भी देनी है।
मनप्रीत सिंह को भी क़र्ज़ की क़िस्त चुकानी है। वो बताते हैं, 'मेरा करीब सवा चार लाख रुपये आढ़ती पर बकाया है। वो कह रहा है कि पीछे से पेमेंट नहीं आयी है, हमें भी क़र्ज़ कि क़िस्त देनी है।'
ये नौबत इसलिए आयी है क्योंकि बैंकों ने केंद्रीय रिज़र्व बैंक के निर्देश पर बादल सरकार को गेहूं खरीदने के लिए 20 हज़ार करोड़ रुपये एडवांस देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। रिज़र्व बैंक ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि पंजाब के गोदामों से 12 हज़ार करोड़ रुपये के अनाज का हिसाब नहीं मिल रहा।
शनिवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मलेन में चंडीगढ़ पहुंचे पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर बादल सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। मीडिया से मुखातिब राहुल गांधी ने बादल सरकार से किसानों की पेमेंट जल्द से जल्द करने की बात रखी थी।
चुनाव करीब हैं, लिहाज़ा घबराये मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री के दरबार पहुंचे। अकाली दल को उम्मीद है कि सहयोगी बीजेपी संकट से उबार लेगी। अकाली दल की प्रेस रिलीज़ में कहा गया की मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री बादल को मसले का जल्द हल करने का भरोसा दिया।
पिछले एक पखवाड़े के दौरान पंजाब की अनाज मंडियों में 10 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा गेहूं पहुंच चुका है। बैंक से एडवांस नहीं मिला है इसलिए गेहूं मंडियों में ही पड़ा है, आढ़तियों के पास गेहूं रखने की जगह नहीं बची है। आने वाले दिनों में खरीद नहीं होने से किसानों को अनाज मंडियों में खुले आसमान के नीचे रात गुज़ारनी पड़ सकती है।
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