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This Article is From Dec 29, 2019

Video : लखनऊ में पुलिस जगह-जगह रोक रही थी प्रियंका गांधी का रास्ता, स्कूटी पर बैठकर निकलीं पूर्व IPS के परिजनों से मिलने

कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौक़े पर प्रियंका गांधी लखनऊ पहुंची प्रियंका गांधी के उसक समय उत्तर प्रदेश की पुलिस का सामना करना पड़ा जब वह पूर्व IPS दारापुरी से मिलने के लिए जाने लगीं.

प्रियंका गांधी स्कूटी पर बैठ कर पूर्व आईपीएस के घर रवाना हुईं

नई दिल्ली:

कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौक़े पर प्रियंका गांधी लखनऊ पहुंची प्रियंका गांधी के उसक समय उत्तर प्रदेश की पुलिस का सामना करना पड़ा जब वह पूर्व IPS दारापुरी से मिलने के लिए जाने लगीं. प्रियंका का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें जगह-जगह रोकने की कोशिश की. उनका आरोप है कि लोहिया पथ पर उनका गला पकड़ा गया और उन्हें धक्का दिया गया. इसके बाद प्रियंका कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर की स्कूटी पर सवार होकर आगे बढ़ीं. जहां फिर उन्हें रास्ते में रोका गया. आख़िर में कुछ पैदल चलते हुए वो इंदिरानगर स्थित दारापुरी के घर पहुंचीं और उनके परिजनों से मुलाकात की. ख़ासकर उनकी बीमार पत्नी के पास काफ़ी देर तक बैठी रहीं. बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा भड़काने तथा अन्य आरोप में पुलिस ने पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी को गिरफ्तार किया गया है. 

प्रियंका ने कहा कि दारापुरी 77 साल के पूर्व पुलिस अधिकारी हैं. उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के लिये फेसबुक पर पोस्ट डाली थी. इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उनकी बीवी बहुत बीमार हैं. यह सब किसलिये? क्योंकि आपकी नीति उन्हें पसंद नहीं है? कांग्रेस महासचिव ने अपने फेसबुक पेज पर भी यही बात लिखते हुए कहा ''मगर मेरा निश्चय अटल है. मैं उत्तर प्रदेश में पुलिस दमन का शिकार हुए हरेक नागरिक के साथ खड़ी हूं. मेरा सत्याग्रह है. भाजपा सरकार कायरों वाली हरकत कर रही है. मैं उत्तर प्रदेश की प्रभारी हूं और मैं प्रदेश में कहां जाऊंगी ये भाजपा सरकार नहीं तय करेगी.'' 

लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नथानी ने प्रियंका गांधी के आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि उनके साथ कोई धक्का-मुक्की नहीं हुई है. प्रियंका गांधी निर्धारित मार्ग से हटकर दूसरे मार्ग से जा रही थीं. सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने उनसे रास्ता पूछा था. सुरक्षा एवं ट्रैफिक की दृष्टि से ये जानकारी जरूरी होती है. यह जानकारी उनके कार्यकर्ताओं ने नही दीं. गिराने और गला पकड़ने की बाते पूर्णता असत्य है.पुलिस अधिकारी ने अपने कर्तव्यों का पालन किया है.

नागरिकता कानून से जुड़ी अहम बातें

  1. इस कानून में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को आसानी से भारत की नागरिकता मिलेगी. नागरिकता हासिल करने के लिए उन्हें यहां कम से कम 6 साल बिताने होंगे. पहले नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल बिताने का पैमाना तय था.
  2. पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और आस-पास के देशों के हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया था. वे सभी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.
  3. ओसीआई कार्ड धारक यदि नियमों का उल्लंघन करते हैं तो केंद्र के पास उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार होगा. बता दें कि ओसीआई कार्ड स्थायी रूप से विदेश में बसे भारतीयों को दिए जाने वाला कार्ड है.

क्या है NRC

  1. एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं. जिस व्यक्ति का सिटिजनशिप रजिस्टर में नाम नहीं होता उसे अवैध नागरिक माना जाता है. देश में असम इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है.
  2. NRC को लागू करने का मुख्य उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है. इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही थी. इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया.
  3. इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं. आपको बता दें कि वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्‍तान के बंटवारे के बाद कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी जमीन असम में थी और लोगों का दोनों ओर से आना-जाना बंटवारे के बाद भी जारी रहा.
  4. इसके बाद 1951 में पहली बार एनआरसी के डाटा का अपटेड किया गया. इसके बाद भी भारत में घुसपैठ लगातार जारी रही. असम में वर्ष 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद भारी संख्‍या में शरणार्थियों का पहुंचना जारी रहा और इससे राज्‍य की आबादी का स्‍वरूप बदलने लगा.
     

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