मेरठ:
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक संगीत सोम की गिरफ्तारी के विरोध में मेरठ के सरधना में प्रशासन की रोक के बावजूद आयोजित की गई महापंचायत के दौरान ग्रामीणों ने जमकर पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी की। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और हवा में गोलियां चलाईं।
इस घटना में एक ग्रामीण और 13 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने 24 लोगों को गिरफ्तार किया है। पूरे इलाके में तनाव बरकरार है। सरकार ने स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में होने का दावा किया है।
सरधना के खेड़ा गांव में संगीत सोम पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाए जाने और उनकी गिरफ्तारी के विरोध में महापंचायत आयोजित की जा रही थी। जिला प्रशासन की रोक के बावजूद खेड़ा और आस-पास के करीब चार हजार लोग इसके लिए एकत्र हुए थे। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थीं। सोम सरधना से विधायक हैं।
उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) मुकुल गोयल ने पत्रकारों को बताया कि महापंचायत के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस पर पथराव कर दिया और पुलिस प्रशासन की कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। उन्होंने कहा, "पुलिस ने उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। पुलिस की तरफ से हवा में गोलियां चलाई गईं और आंसूगैस के गोले छोड़े गए। घटना में किसी की मौत नहीं हुई। केवल मोहित नाम का एक युवक घायल हुआ जिसकी हालत खतरे से बाहर है।"
गोयल ने आगे बताया कि फिलहाल इलाके में शांति है। सारी भीड़ को मौके से हटा दिया गया है। हालात पूरी तरह से पुलिस के नियंत्रण में हैं। पुलिस द्वारा पूरे इलाके में गश्त की जा रही है। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर डेरा डालकर हालात की निगरानी कर रहे हैं। फिलहाल सेना बुलाने पर कोई विचार नहीं किया गया है।
गृह विभाग के सचिव कमल सक्सेना ने शाम को लखनऊ में संवाददाताओं को बताया कि घटना में युवक के अलावा अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस के 13 लोग घायल हो गए, जिनमें दो महिला सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पंचायत में प्रतिबंध का व्यापक प्रचार प्रसार किया था। आयोजकों और ग्राम प्रधानों को नोटिस दिया था कि पंचायत हुई तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। सारे रास्तों पर पुलिस तैनात थी, लेकिन ग्रामीण रात को ही खेतों के रास्ते महापंचायत के लिए जुटने शुरू हो गए।
सक्सेना ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद लोगों ने एकत्रित होकर पंचायत की कोशिश की। जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने पथराव और तोड़फोड़ की। भीड़ ने कुल 14 वाहनों में तोड़फोड़ की जिसमें नौ वाहन अर्द्धसैनिक बलों के हैं।
सक्सेना ने कहा कि अब तक घटना के संबंध में कुल 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उपद्रव में शामिल अन्य लोगों की गिरतारी की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आज की कार्रवाई से ये साफ संदेश है कि जो प्रशासनिक रोक के बावजूद ऐसे आयोजन करेगा उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई होगी।
क्या संगीत सोम के भाई और पत्नी जो पंचायत के आयोजक थे, के खिलाफ कार्रवाई होगी?. इस पर कोई सीधा जवाब देने से बचते हुए गृह सचिव ने कहा कि आयोजकों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
सवाल उठ रहा है कि प्रशासनिक रोक और खेड़ा गांव व आस-पास में 32 कंपनी अर्द्धसैनिक बलों और भारी पुलिस बलों की तैनाती के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में भीड़ वहां कैसे पहुंच गई।
मेरठ परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक बृज भूषण शर्मा ने अर्द्धसैनिक बल खेड़ा और आस-पास के गांवों में पहले से तैनात था। घटना के बाद चार कंपनी अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों की मांग की गई है।
उधर, घटना के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वरिष्ठ नेता सुधींद्र भदौरिया ने कहा कि मुजफ्फरनगर घटना के बाद आज मेरठ की घटना से साबित हो गया है कि अखिलेश सरकार पूरी तरह से विफल है।
वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) ने वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि सरकार किसी को राज्य में माहौल खराब करने की इजाजत नहीं देगी। सरकार पूरी सख्ती करेगी। सख्त कार्रवाई के दौरान अगर एक-दो की मौत भी हो जाए तो सरकार उसकी परवाह नहीं करेगी।
इस घटना में एक ग्रामीण और 13 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने 24 लोगों को गिरफ्तार किया है। पूरे इलाके में तनाव बरकरार है। सरकार ने स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में होने का दावा किया है।
सरधना के खेड़ा गांव में संगीत सोम पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाए जाने और उनकी गिरफ्तारी के विरोध में महापंचायत आयोजित की जा रही थी। जिला प्रशासन की रोक के बावजूद खेड़ा और आस-पास के करीब चार हजार लोग इसके लिए एकत्र हुए थे। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थीं। सोम सरधना से विधायक हैं।
उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) मुकुल गोयल ने पत्रकारों को बताया कि महापंचायत के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस पर पथराव कर दिया और पुलिस प्रशासन की कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। उन्होंने कहा, "पुलिस ने उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। पुलिस की तरफ से हवा में गोलियां चलाई गईं और आंसूगैस के गोले छोड़े गए। घटना में किसी की मौत नहीं हुई। केवल मोहित नाम का एक युवक घायल हुआ जिसकी हालत खतरे से बाहर है।"
गोयल ने आगे बताया कि फिलहाल इलाके में शांति है। सारी भीड़ को मौके से हटा दिया गया है। हालात पूरी तरह से पुलिस के नियंत्रण में हैं। पुलिस द्वारा पूरे इलाके में गश्त की जा रही है। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर डेरा डालकर हालात की निगरानी कर रहे हैं। फिलहाल सेना बुलाने पर कोई विचार नहीं किया गया है।
गृह विभाग के सचिव कमल सक्सेना ने शाम को लखनऊ में संवाददाताओं को बताया कि घटना में युवक के अलावा अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस के 13 लोग घायल हो गए, जिनमें दो महिला सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पंचायत में प्रतिबंध का व्यापक प्रचार प्रसार किया था। आयोजकों और ग्राम प्रधानों को नोटिस दिया था कि पंचायत हुई तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। सारे रास्तों पर पुलिस तैनात थी, लेकिन ग्रामीण रात को ही खेतों के रास्ते महापंचायत के लिए जुटने शुरू हो गए।
सक्सेना ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद लोगों ने एकत्रित होकर पंचायत की कोशिश की। जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने पथराव और तोड़फोड़ की। भीड़ ने कुल 14 वाहनों में तोड़फोड़ की जिसमें नौ वाहन अर्द्धसैनिक बलों के हैं।
सक्सेना ने कहा कि अब तक घटना के संबंध में कुल 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उपद्रव में शामिल अन्य लोगों की गिरतारी की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आज की कार्रवाई से ये साफ संदेश है कि जो प्रशासनिक रोक के बावजूद ऐसे आयोजन करेगा उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई होगी।
क्या संगीत सोम के भाई और पत्नी जो पंचायत के आयोजक थे, के खिलाफ कार्रवाई होगी?. इस पर कोई सीधा जवाब देने से बचते हुए गृह सचिव ने कहा कि आयोजकों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
सवाल उठ रहा है कि प्रशासनिक रोक और खेड़ा गांव व आस-पास में 32 कंपनी अर्द्धसैनिक बलों और भारी पुलिस बलों की तैनाती के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में भीड़ वहां कैसे पहुंच गई।
मेरठ परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक बृज भूषण शर्मा ने अर्द्धसैनिक बल खेड़ा और आस-पास के गांवों में पहले से तैनात था। घटना के बाद चार कंपनी अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों की मांग की गई है।
उधर, घटना के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वरिष्ठ नेता सुधींद्र भदौरिया ने कहा कि मुजफ्फरनगर घटना के बाद आज मेरठ की घटना से साबित हो गया है कि अखिलेश सरकार पूरी तरह से विफल है।
वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) ने वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि सरकार किसी को राज्य में माहौल खराब करने की इजाजत नहीं देगी। सरकार पूरी सख्ती करेगी। सख्त कार्रवाई के दौरान अगर एक-दो की मौत भी हो जाए तो सरकार उसकी परवाह नहीं करेगी।
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