दुनिया के दो शक्तिशाली देशों रूस व चीन की यात्रा पर रवाना होने की पूर्व संध्या पर शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जहां परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहायता के लिए रूस की सराहना की, वहीं मास्को के साथ गैस और तेल के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की भारत की इच्छा भी जताई।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रविवार को रूस और चीन की यात्रा पर रवाना होंगे। अगले वर्ष 2014 में होने जा रहे आम चुनाव से पहले यह संभवत: उनकी अंतिम विदेश यात्रा होगी। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं और विश्वस्तर के महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नियमंत्रण पर प्रधानमंत्री 20 से 22 दिसंबर तक मास्को की यात्रा पर रहेंगे, इस दौरान वह सोमवार को 10वें भारत-रूस शिखर वार्ता में हिस्सा लेंगे। मास्को में इस सिलसिले की यह पांचवीं बैठक आयोजित होगी।
मास्को की यात्रा के दौरान जहां ऊर्जा, रक्षा और व्यापार का मुद्दा शीर्ष पर रहने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है, वहीं बीजिंग यात्रा के दौरान सीमा पर टकराव को टालने और व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने पर जोर रह सकता है।
सिंह ने अपनी दो दिवसीय रूस यात्रा की पूर्व संध्या पर रूसी समाचार एजेंसी इतर-ताश को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "भारतीय और रूसी कंपनियां कुडनकुलम की परमाणु ऊर्जा इकाई 3 और 4 की व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए समझौता कर रही हैं और ये करार होंगे।" उन्होंने कहा, "जब दूसरों ने हमारे साथ परमाणु व्यापार किया तब भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास में रूसी सहयोग की हम तहे दिल से सराहना करते हैं।"
हाइड्रोकार्बन क्षेत्र को 'प्राथमिकता वाला' के रूप में होने का संकेत देते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, "हम रूस से हाईड्रोकार्बन के सीधे सतह परिवहन के लिए प्रस्ताव की संभाविता पर विचार कर रहे हैं। इसके साथ ही रूस के तेल एवं गैस सेक्टर में हमारी भागीदारी बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।"
प्रधानमंत्री ने भारत-रूस सैन्य तकनीकी सहयोग की दो ध्वजवाहक परियोजना के रूप में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और बहुद्देश्यीय भूमिका का निर्वाह करने वाले परिवहन विमानों के विकास का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, "ये परियोजनाएं हमारे रक्षा सहयोग को हमारे पूर्व के खरीदार-विक्रेता संबंध में बदलाव के प्रतीक हैं। अब यह संबंध अब आधुनिक रक्षा मंच के संकल्पना, विकास एवं उत्पादन में बदल चुका है।"
आर्थिक सहयोग के मोर्चे पर मनमोहन सिंह की यात्रा के दौरान बेलारूस, कजाकिस्तान एवं रूस की सदस्यता वाले कस्टम्स यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते का मुद्दा उठने की संभावना है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) समूह को आकार देने वालों में मुख्य भूमिका निभाने वाला करार देते हुए उन्होंने कहा कि अभी इसके विस्तार का कोई प्रस्ताव नहीं है।
सीरिया के मुद्दे पर मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत जब सुरक्षा परिषद का सदस्य था, तब रूस के साथ मिलकर काम किया था। उन्होंने कहा, "सीरिया पर जेनेवा-2 प्रस्ताव जितनी जल्दी हो सके, लागू किया जाना चाहिए।"
एक विश्वस्त सूत्र ने बताया कि पिछले महीने हादसे का शिकार बनी पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक की जांच के परिणाम की भी मांग की है। रूस निर्मित किलो क्लास यह पनडुब्बी एक विस्फोट के बाद डूब गई, जिसमें सवार 18 लोग मारे गए।
इस यात्रा के अगले चरण में 22 से 24 अक्टूबर तक प्रधानमंत्री बीजिंग की यात्रा पर रहेंगे। बीजिंग यात्रा के दौरान सीमा रक्षा सहयोग समझौता के अलावा नत्थी वीजा व अरुणाचल मसले सहित सीमा मुद्दा के छाए रहने की उम्मीद है। समझौते का उद्देश्य 4000 किलोमीटर सीमा क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति को टालना है। राष्ट्रपति झी जिंगपिंग मनमोहन सिंह के सम्मान में 23 अक्टूबर को भोज देंगे।
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