फ्रांस से मिले राफेल M फाइटर जेट से भारतीय नौसेना की कितनी बढ़ेगी ताकत?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग से जुड़े तमाम परियोजनाओं की घोषणा के साथ भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल एम लड़ाकू विमान और स्कॉर्पीन श्रेणी की तीन पारंपरिक पनडुब्बियों की खरीद का ऐलान हो सकता है.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi France Visit) दो दिन के फ्रांस दौरे पर हैं. पीएम मोदी गुरुवार शाम 4 बजे पेरिस पहुंचे. आज रात प्राइवेट डिनर के दौरान पीएम मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच डिफेंस डील पर बात होगी. पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी के लिहाज से तो महत्वपूर्ण है ही, भारतीय नौसेना के लिए इस यात्रा का सामरिक महत्व है. वायुसेना (Indian Airforce) के लिए पहले ही 36 राफेल विमान खरीद चुका भारत अब फ्रांस से भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए राफेल एम (Rafale Marine) विमान खरीदने जा रहा है.

एक लंबी प्रक्रिया के बाद भारतीय नौसेना ने बोइंग के एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट और फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी 'दसॉल्ट एविएशन' के राफेल-एम विमान का चयन किया था. अब राफेल-एम के नाम पर मुहर लग गई है. राफेल-एम फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमानों का नौसैनिक एडिशन है. जबकि अमेरिकी कंपनी बोइंग के एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट भी नेवी की जरूरतों के हिसाब से तैयार लड़ाकू विमान हैं. 

दोनों विमानों ने पिछले साल अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था. इसके बाद भारतीय नौसेना की ओर से पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर 'आईएनएस विक्रांत' के लिए आधुनिक और बेस्ट लड़ाकू विमान हासिल करने के फैसले से जुड़ी रिपोर्ट सौंपी गई.

4.5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं राफेल एम
इन उन्नत 4.5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को मुख्य रूप से भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा. यह सौदा नौसेना के लड़ाकू बेड़े में एक महत्वपूर्ण विकास का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि लगभग 30 वर्षों की सेवा के बाद 2016 में ब्रिटिश निर्मित सी हैरियर को चरणबद्ध तरीके से हटा दिए जाने के बाद से रूसी मूल के मिग-29K जेट लड़ाकू विमान की रीढ़ रहे हैं.

26 में से 22 राफेल एम होंगे सिंगल सीटेड 
प्रस्तावों के मुताबिक नौसेना के लिए खरीदे जाने वाले 26 में से 22 सिंगल सीटेड राफेल एम मरीन एयरक्राफ्ट होंगे और 4 ट्रेनर एयरक्राफ्ट होंगे. वहीं, तीन स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का अधिग्रहण प्रोजेक्ट 75 के हिस्से के तौर पर रिपीट क्लॉज के तहत किया जाएगा, जिनका निर्माण मुंबई में मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड में होना है.

90 हजार करोड़ रुपये की हो सकती है डील
इन खरीद पर कितनी लागत आएगी, उसका पूरा ब्योरा डील फाइनल होने के बाद ही आएगा. हालांकि, कहा जा रहा है कि ये डील 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की हो सकती है. भारत की कोशिश है कि इन प्रस्तावों में 'मेक इन इंडिया' का कंटेंट ज्यादा से ज्यादा शामिल हो जाए.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में और बढ़ जाएगी भारतीय नौसेना की ताकत
इन विमानों के मिलने के बाद भारतीय नौसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ताकत और बढ़ जाएगी. भारतीय नौसेना काफी वक्त से इन लड़ाकू विमानों और पनडुब्बियों की जरूरत महसूस कर रहा था. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद सामरिक चुनौतियों को देखते हुए नौसेना चाहती थी कि जल्द से जल्द इनसे जुड़े खरीद प्रस्तावों पर दोनों देशों में सहमति बने. चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लगातार अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में इस क्षेत्र से जुड़ी सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए भारतीय नौसेना के लिए राफेल-एम मरीन लड़ाकू विमानों के साथ तीनों स्कॉर्पीन पनडुब्बी का महत्व काफी ज्यादा है.

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