पीएम मोदी की फाइल फोटो
अहमदाबाद:
गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है, जिसमें उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हासिल डिग्रियों पर सूचनाएं उपलब्ध कराने को कहा गया था।
गुजरात हाईकोर्ट ने सीएम केजरीवाल से मांगा जवाब
तकनीकी आधार पर सीआईसी का आदेश निरस्त करने की मांग से जुड़ा जीयू का आवेदन विचारार्थ स्वीकार करते हुए जस्टिस एसएच वोरा ने सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलु और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया और अगली सुनवाई अगले महीने करने के लिए कहा। केजरीवाल ने इस मुद्दे पर सीआईसी से गुहार लगाई थी।
अदालत के समक्ष अपने आवेदन में जीयू ने कहा, 'गुजरात विश्वविद्यालय सूचना आयोग के सामने किसी भी कार्यवाही में पक्षकार नहीं है। इसलिए आदेश गुजरात विश्वविद्यालय के हितों के प्रतिकूल है।' विश्वविद्यालय ने दलील दी कि सीआईसी का क्षेत्राधिकार केंद्र सरकार के तहत आने वाले लोक प्राधिकारों तक है, जिसमें जीयू नहीं आता है। आवेदन में कहा गया, 'इसलिए सीआईसी का यह आदेश पूरी तरह से गलत है और इसे निरस्त करने की जरूरत है।'
सीआईसी का आदेश कानून के विपरीत
आवेदन में कहा गया कि आदेश जारी करते वक्त सीआईसी द्वारा केजरीवाल का मुख्यमंत्री होना ध्यान में रखा गया है और यह कदम कानून के विपरीत है। सूचना का अधिकार कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए जीयू ने दलील दी कि केजरीवाल ने विश्वविद्यालय से सीधे कोई सूचना नहीं मांगी है।
इससे पहले, सीआईसी ने 29 अप्रैल को दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी द्वारा हासिल डिग्रियों के बारे में केजरीवाल को जानकारी देने को कहा था। सूचना आयुक्त ने केजरीवाल के पत्र को आरटीआई आवेदन मानते हुए आदेश पारित किया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
गुजरात हाईकोर्ट ने सीएम केजरीवाल से मांगा जवाब
तकनीकी आधार पर सीआईसी का आदेश निरस्त करने की मांग से जुड़ा जीयू का आवेदन विचारार्थ स्वीकार करते हुए जस्टिस एसएच वोरा ने सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलु और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया और अगली सुनवाई अगले महीने करने के लिए कहा। केजरीवाल ने इस मुद्दे पर सीआईसी से गुहार लगाई थी।
अदालत के समक्ष अपने आवेदन में जीयू ने कहा, 'गुजरात विश्वविद्यालय सूचना आयोग के सामने किसी भी कार्यवाही में पक्षकार नहीं है। इसलिए आदेश गुजरात विश्वविद्यालय के हितों के प्रतिकूल है।' विश्वविद्यालय ने दलील दी कि सीआईसी का क्षेत्राधिकार केंद्र सरकार के तहत आने वाले लोक प्राधिकारों तक है, जिसमें जीयू नहीं आता है। आवेदन में कहा गया, 'इसलिए सीआईसी का यह आदेश पूरी तरह से गलत है और इसे निरस्त करने की जरूरत है।'
सीआईसी का आदेश कानून के विपरीत
आवेदन में कहा गया कि आदेश जारी करते वक्त सीआईसी द्वारा केजरीवाल का मुख्यमंत्री होना ध्यान में रखा गया है और यह कदम कानून के विपरीत है। सूचना का अधिकार कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए जीयू ने दलील दी कि केजरीवाल ने विश्वविद्यालय से सीधे कोई सूचना नहीं मांगी है।
इससे पहले, सीआईसी ने 29 अप्रैल को दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी द्वारा हासिल डिग्रियों के बारे में केजरीवाल को जानकारी देने को कहा था। सूचना आयुक्त ने केजरीवाल के पत्र को आरटीआई आवेदन मानते हुए आदेश पारित किया था।
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