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पीएम मोदी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में दोपहर के आसपास शामिल होंगे : PMO

Ram Mandir Pran Pratishtha :प्रधानमंत्री श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण से जुड़े श्रमजीवियों के साथ बातचीत करेंगे. वे कुबेर टीला भी जाएंगे, जहां एक प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है.

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पीएम मोदी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में दोपहर के आसपास शामिल होंगे : PMO
पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

Ram Mandir Pran Pratishtha : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या स्थित नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सोमवार को दोपहर के आसपास भाग लेंगे और इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा है कि ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश के सभी प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. बयान में कहा गया कि विभिन्न आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग भी समारोह में भाग लेंगे.

प्रधानमंत्री को अक्टूबर, 2023 में श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के लिए निमंत्रण मिला था.

बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण से जुड़े श्रमजीवियों के साथ बातचीत करेंगे. वह कुबेर टीला भी जाएंगे, जहां एक प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है. मोदी पुनर्निर्मित मंदिर में दर्शन भी करेंगे.

पारंपरिक नागर शैली में बना मंदिर परिसर 380 फुट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फुट चौड़ा और 161 फुट ऊंचा है. मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फुट ऊंची है और इसमें कुल 392 स्तंभ तथा 44 द्वार हैं. मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र अंकित हैं.

बयान में कहा गया, ‘‘भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बाल स्वरूप (श्री रामलला की मूर्ति) को रखा गया है.'' मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में स्थित है, जहां 'सिंह द्वार' के माध्यम से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जा सकता है. मंदिर में पांच मंडप- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्राथना मंडप एवं कीर्तन मंडप हैं.

बयान में कहा गया कि मंदिर के पास सीता कूप है, जो प्राचीन काल का एक ऐतिहासिक कुआं है. कुबेर टीला में मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में जटायु की मूर्ति की स्थापना के अलावा प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है.

बयान के मुताबिक, मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है. जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का उपयोग करके 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है.

मंदिर परिसर में एक मल-जल शोधन संयंत्र, जल शोधन संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति और एक स्वतंत्र बिजली स्टेशन है. बयान में कहा गया कि मंदिर का निर्माण देश की पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक से किया गया है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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