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This Article is From Jun 18, 2022

'आध्यात्मिकता का प्रतीक...'- आपसी सहमति से दरगाह हटाए जाने के बाद PM मोदी ने महाकाली मंदिर के ऊपर फहराई पताका

पीएम मोदी ने कहा कि महाकाली मंदिर में फहराई गई पताका न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि सदियां बीत जाने के बावजूद हमारी आस्था मजबूत है.

फहराने से पहले पताका की पूजा अर्चना करते नरेंद्र मोदी

अहमदाबाद:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के पंचमहाल जिले में स्थित प्रसिद्ध महाकाली मंदिर के ऊपर बनी दरगाह को उसकी देखरेख करने वालों की सहमति से स्थानांतरित किए जाने के बाद शनिवार को मंदिर के शिखर पर पताका फहराई. पीएम मोदी ने कहा कि महाकाली मंदिर में फहराई गई पताका न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि सदियां बीत जाने के बावजूद हमारी आस्था मजबूत है. उन्होंने कहा कि गुजरात में महाकाली मंदिर के ऊपर पांच सदियों तक, यहां तक कि आजादी के 75 वर्षों के दौरान भी पताका नहीं फहराई गई थी. 

मंदिर के शिखर को करीब 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था. बहरहाल, पावागढ़ पहाड़ी पर 11वीं सदी में बने इस मंदिर के शिखर को पुनर्विकास योजना के तहत फिर स्थापित कर दिया गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने पुनर्विकसित महाकाली मंदिर का शनिवार को उद्घाटन किया. 

यह मंदिर चम्पानेर-पावागढ़ पुरातात्विक उद्यान का हिस्सा है, जो यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है और हर वर्ष लाखों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं. मंदिर के एक पदाधिकारी ने बताया कि मंदिर के मूल शिखर को सुल्तान महमूद बेगड़ा ने 15वीं सदी में चम्पानेर पर किए गए हमले के दौरान ध्वस्त कर दिया था.

उन्होंने बताया कि शिखर को ध्वस्त करने के कुछ समय बाद ही मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी गई थी. पदाधिकारी ने कहा, ‘‘पताका फहराने के लिए खंभे या शिखर की जरूरत होती है. चूंकि, मंदिर पर शिखर नहीं था, इसिलए इन वर्षों में पताका भी नहीं फहराई गई. जब कुछ साल पहले पुनर्विकास कार्य शुरू हुआ तो हमने दरगाह की देखरेख करने वालों से अनुरोध किया कि वे दरगाह को स्थानांतरित करने दें, ताकि मंदिर के शिखर का पुन: निर्माण हो सके.''

उन्होंने कहा, ‘‘सौहार्द्रपूर्ण तरीके से दरगाह को मंदिर के करीब स्थानांतरित करने का समझौता हुआ.'' गौरतलब है कि 125 करोड़ रुपये की लागत से महाकाली मंदिर का पुनर्विकास किया गया है, जिसमें पहाड़ी पर स्थित मंदिर की सीढ़ियों का चौड़ीकरण और आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण शामिल है. नया मंदिर परिसर तीन स्तरों में बना है और 30,000 वर्ग फीट दायरे में फैला है. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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