विज्ञापन
This Article is From Jul 28, 2012

असम हिंसा पीड़ितों के लिए 300 करोड़ का पैकेज

गुवाहाटी / कोकराझार / नई दिल्ली: हिंसाग्रस्त असम के कोकराझार में राहत शिविरों का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि यह घटना बहुत बड़ा कलंक है। हालांकि उन्होंने हिंसा के कारणों पर फिलहाल कुछ भी कहने से इनकार करते हुए कहा कि अभी कुछ नहीं कहा जा सकता और हालात पर काबू पाना तथा आपसी सद्भभाव का माहौल कायम रखना सबसे जरूरी है। प्रधानमंत्री ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और राज्य को क्षेत्र के विकास के लिए तीन सौ करोड़ रुपये की विशेष सहायता देने की घोषणा की।

असम के बीटीएडी और धुबरी जिले में हिंसा को नियंत्रित करने में प्रारंभिक दिक्कतों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकार स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कदम उठाएंगी और पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने का काम करेगी।

कोकराझार कॉमर्स कालेज स्थित राहत शिविर में शरणार्थियों से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा, जो कुछ भी हुआ, वह दुखद है। मैं आपके दुख को समझ सकता हूं और इस दुख की घड़ी में हम सब अपके साथ हैं। यह पूछे जाने पर कि किस कारण से यह समस्या सामने आई, प्रधानमंत्री ने कहा, यह जटिल विषय है और जब स्थिति सामान्य हो जाएगी, तब हम स्थिति की समीक्षा करेंगे।

उन्होंने कहा, हम सब भारतीय है और हमें एक साथ रहना है। यह समय आरोप-प्रत्यारोप लगाने का नहीं है। हमें साथ मिलकर रहना है। सिंह ने कहा, हमारी शीर्ष प्राथमिकता शांति स्थापित करने की है और हम सभी प्रभावित लोगों को जरूरी सुविधाएं प्रदान करेंगे। सिंह भारतीय वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर से असम के हिंसाग्रस्त जिले कोकराझार पहंचे। इससे पहले वह जिस हेलीकॉप्टर से प्रभावित जिले जा रहे थे, उसे तकनीकी कारणों से गुवाहाटी लौटना पड़ा था।

प्रधानमंत्री दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर लोकप्रियो गोपीनाथ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रवाना हुए। उनके साथ असम के राज्यपाल जेबी पटनायक, प्रदेश के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, असम प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भुबनेश्वर कालिता और राज्य के कई सरकारी अधिकारी भी गए। इससे पहले, लोकप्रिय बोरदोली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के 15 मिनट बाद ही प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर लौट आया।

शुरुआती खबरों में बताया गया था कि प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर और उनके साथ गए दो अन्य हेलीकॉप्टर खराब मौसम के कारण गुवाहाटी हवाई अड्डे वापस आ गए, लेकिन हवाई अड्डा प्रशासन सूत्रों ने बाद में बताया कि तकनीकी समस्या के कारण इसे लौटना पड़ा।

हालांकि राज्य में हालात अब धीरे−धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन इस हिंसा ने 54 लोगों की जिंदगी छीन ली और तकरीबन चार लाख लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं। हजारों लोग राहत शिविरों में खौफ के साये में रह रहे हैं।

असम के मौजूदा जातीय संघर्ष में एक ओर बोडो आदिवासी हैं, तो दूसरी ओर सीमापार से आकर बसे गैर-बोडो प्रवासी। प्रवासियों की बढ़ती तादाद का बोडो समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं। उधर, बोडो शरणार्थी भी बड़ी संख्या में कैंपो में पहुंच गए हैं। जब हिंसा भड़की, तो घर छोड़ते समय लोगों को कुछ साथ लाने का भी वक्त नहीं मिला, इसलिए कोकराझार के टीटागुड़ी कैंप में अब इन्हें मदद पहुंचाई जा रही है। वहीं पीड़ितों की मानें, तो सरकार को हालात बिगड़ने का अंदेशा था, फिर भी कार्रवाई में देरी हुई। हालात इतने खराब होने की वजह से जब मुख्यमंत्री तरुण गोगोई निशाने पर आए, तो उन्होंने पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया।

गोगोई का कहना है कि उन्होंने केंद्र से फोर्स की मांग की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने देरी की, यानी उन्होंने एक तरह से जिम्मेदारी केंद्र के पाले में डाल दी है। अब सामने आ रहा है कि असम सरकार ने फौज से 23 जुलाई को हिंसा वाले इलाकों में जाने के लिए कहा, लेकिन फौज ने कहा कि पहले मुख्यालय से हरी झंडी मिल जाए। इसके बाद राज्य के मुख्य सचिव ने गृहमंत्रालय से दखल देने को कहा। गृह सचिव ने रक्षा सचिव से बात की, तब जाकर 25 जुलाई को सेना पहुंची। तब तक काफी देर हो चुकी थी।

(इनपुट भाषा से भी)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com