पटना के गांधी मैदान में मची भगदड़ पर अब राजनीति गरमा गई है। कल बीजेपी नेताओं ने जेडीयू शासित राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की लापरवाही से यह हादसा हुआ। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपने अधिकारियों का बचाव कर रहे हैं। उनका कहना है कि रिपोर्ट आने का इंतजार करें।
इस भगदड़ में 33 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हो गए। यह हादसा शुक्रवार यानी विजय दशमी के दिन हुआ था।
विपक्ष के हमलों के बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने स्वयं के 'डमी मुख्यमंत्री' होने के आरोप का जोरदार खंडन किया और कहा कि ऐसी घटनाएं अन्य राज्यों में भी घटित हुई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच दल को सभी पहलुओं पर गौर करने के निर्देश दिए गए हैं और जांच रिपोर्ट आने पर सच्चाई सामने आ जाएगी।
मांझी ने कहा कि प्रत्यक्षदशियों से पूछा जाएगा और इस बारे में जांच दल उन्हें गंभीर रिपोर्ट देंगे। अगर पुलिस तंत्र में कमी रही, तो उसे हम ठीक करेंगे। उन्होंने कहा कि घटना के पीछे कोई न कोई कारण तो जरूर रहा होगा। घटना के बारे में विभिन्न लोगों से हमारी जो बातें हुई, उसमें अलग-अलग कारण बताए गए हैं। जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी। मांझी ने कहा कि इसमें प्रशासन की भी गलती हो सकती है। पूजा समिति की भी गलती हो सकती है या भीड़ की भी गलती हो सकती है।
बीजेपी नेता सुशील मोदी के मुख्यमंत्री की सुरक्षा में पुलिस के लगे होने के आरोप के बारे में मांझी ने कहा कि पूरा तंत्र मुख्यमंत्री की सुरक्षा में नहीं लगा रहता है। उसके लिए एक मापदंड तय है कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में इतने पुलिसकर्मी और पदाधिकारी रहेंगे, उतने ही लोग लगे हुए थे और बाकी सब गांधी मैदान में थे।
विपक्ष के उनके 'डमी मुख्यमंत्री' होने के आरोप के बारे में पूछे जाने पर मांझी ने उसका जोरदार खंडन करते हुए कहा कि उन पर ऐसा आरोप उनकी सामान्य पृष्ठभूमि और अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से आने के कारण लगाया जाता है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के आरोप कि इस हादसे के बाद केंद्र द्वारा चिकित्सकीय सहायता देने की पेशकश किए जाने तथा एनडीआरएफ की टीम के तैयार होने के बावजूद राज्य सरकार ने मदद लेने से इनकार कर दिया, मांझी ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उनसे कहा था कि अगर राज्य को किसी प्रकार की जरूरत है, तो वे उससे उन्हें अवगत कराएं।
मांझी ने कहा हमने इस हादसे में घायल लोगों में से प्रत्येक के इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो-दो डॉक्टरों को लगा रखा था, ऐसे में बाहर से किसी प्रकार की चिकित्सकीय सहायता की जरूरत नहीं थी, तो हम केंद्र से सहायता क्यों मांगते।
(इनपुट भाषा से भी)
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