देश की मुख्य भूमि को रामेश्वरम द्वीप से जोड़ने के लिए बन रहे भारत के पहले ‘वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज' के लिए ‘घुमाव' अतिरिक्त चुनौती पेश कर रहा है. इस पुल को बनाने के लिए रेलवे के समक्ष पहले ही तकनीकी और अशांत समुद्र की चुनौती थी. रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) इस 2.08 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण कर रहा है. उसे पुल के उठाने योग्य हिस्से को ऊपर ले जाने वाले ‘लिफ्ट स्पैन' को रामेश्वर तट से 450 मीटर दूर समुद्र तक पहुंचाने में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जो 72.5 मीटर लंबा, 16 मीटर चौड़ा और 550 टन वजनी है.
आरवीएनएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने 10 मार्च को इस लिफ्ट स्पैन को आगे बढ़ाना शुरू किया और आज तक, हम 550 टन के लिफ्ट स्पैन को पुल के केंद्र की ओर 80 मीटर आगे बढ़ा चुके हैं. सबसे बड़ी चुनौती पुल का 2.65 डिग्री घुमाव है. अगर यह सीधा होता तो हम इसे तेजी से निश्चित स्थान पर पहुंचा पाते.''
उन्होंने कहा कि विभिन्न बदलाव के कारण घुमावदार आकृति को समाहित करना आवश्यक था. अधिकारी ने बताया कि लिफ्ट स्पैन को उसके अंतिम बिंदु तक ले जाने का काम मई के अंत तक पूरा हो जाएगा और इसे अभी भी 370 मीटर आगे पहुंचाया जाना है.
अधिकारी ने कहा, 'एक बार जब हम घुमावदार हिस्से को पार कर लेंगे तो हम और तेजी से काम कर सकेंगे. हमने इसे समुद्र में ले जाते समय बहुत सावधानी बरती है क्योंकि इसके आकार और वजन के मद्देनजर प्रत्येक चरण में बहुत सटीकता की आवश्यकता होती है.''
आरवीएनएल ने पुल को चालू करने के लिए 30 जून की समय सीमा तय की है. अधिकारियों का कहना है कि वे इस अवधि में कार्य पूरा करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.
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