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मुनीर को 'तानाशाह' बनाने वाले कानून के खिलाफ पाकिस्तान में आंदोलन, जानिए क्या है कानून और क्यों हो रहा विरोध

पाकिस्तान में प्रस्तावित 27वें संविधान संशोधन को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है. विपक्षी गठबंधन TTAP ने शनिवार को इस संशोधन के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया.

मुनीर को 'तानाशाह' बनाने वाले कानून के खिलाफ पाकिस्तान में आंदोलन, जानिए क्या है कानून और क्यों हो रहा विरोध
  • पाकिस्तान का प्रस्तावित 27वां संविधान संशोधन सेनाध्यक्ष को तीनों सेनाओं पर पूर्ण नियंत्रण देगा
  • संशोधन के तहत सेनाध्यक्ष Chief of Defence Forces बनेंगे और सैन्य संरचना में बड़ा बदलाव होगा
  • न्यायपालिका और परमाणु कमांड पर सेना का प्रभाव बढ़ने से संवैधानिक संतुलन बिगड़ने का खतरा है
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नई दिल्ली:

पाकिस्तान में प्रस्तावित 27वें संविधान संशोधन ने हलचल मचा दी है. इस संशोधन के जरिए सेनाध्यक्ष को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स बनाकर तीनों सेनाओं थल, वायु और नौसेना पर सर्वोच्च नियंत्रण देने की तैयारी है. साथ ही, न्यायपालिका और परमाणु कमांड जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी सेना की भूमिका को बढ़ाने की योजना है. विपक्षी गठबंधन Tehreek Tahafuz Ayeen-i-Pakistan (TTAP) ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए देशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है. आलोचकों का कहना है कि यह संशोधन न केवल संस्थागत संतुलन को बिगाड़ेगा, बल्कि एक व्यक्ति विशेष को असाधारण संवैधानिक संरक्षण देकर तानाशाही की नींव रखेगा.  

 Dawn की खबरों के अनुसार विपक्षी गठबंधन Tehreek Tahafuz Ayeen-i-Pakistan (TTAP) ने इस संशोधन के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया. गठबंधन ने इसे संविधान में अत्यंत खतरनाक करार दिया है.

सेनाध्यक्ष को मिलेगा चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स का दर्जा

संशोधन के तहत सेनाध्यक्ष को Chief of Defence Forces (CDF) बनाया जाएगा, जिससे उन्हें थल सेना के साथ-साथ वायुसेना और नौसेना पर भी पूर्ण नियंत्रण मिल जाएगा. यह बदलाव पाकिस्तान की सैन्य संरचना में एक ऐतिहासिक परिवर्तन होगा. 

न्यायपालिका पर भी सेना का प्रभाव बढ़ेगा

संशोधन के बाद Federal Constitutional Council (FCC) न्यायिक आयोग की अध्यक्षता करेगा, जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठने लगे हैं. पूर्व मानवाधिकार मंत्री डॉ. शिरीन मजारी ने इस संशोधन में कई अस्पष्टताओं की ओर इशारा किया है. उन्होंने पूछा, “CJCSC पद समाप्त होने के बाद तीनों सेनाओं के समन्वय के लिए कौन-सा मंच रहेगा?”

परमाणु कमांड पर सेना का होगा एकाधिकार

संशोधन में Commander of National Strategic Command का पद भी प्रस्तावित है, जो देश की परमाणु ताकतों का संचालन करेगा. यह पद प्रधानमंत्री द्वारा सेनाध्यक्ष की सिफारिश पर सेना से ही चुना जाएगा. इससे National Command Authority की नागरिक निगरानी कमजोर हो जाएगी.

सेना के भीतर असंतुलन की आशंका

पूर्व रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) आसिफ यासीन मलिक ने चेताया है कि यह संशोधन संस्थागत असंतुलन और संभावित संकट को जन्म दे सकता है. उन्होंने कहा, “यह बदलाव किसी एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है, न कि रक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए. 

सेवा प्रमुखों की पदोन्नति पर उठ रहे हैं सवाल

डॉ. मजारी ने चेताया कि अगर वायुसेना और नौसेना में पदोन्नति का निर्णय सेना-प्रमुख CDF द्वारा लिया जाएगा, तो इससे असंतोष और मनोबल में गिरावट आ सकती है. 

पांच सितारा रैंक को आजीवन संरक्षण

संशोधन में फील्ड मार्शल, एयर मार्शल और एडमिरल ऑफ द फ्लीट जैसे पांच सितारा अधिकारियों को आजीवन रैंक और विशेषाधिकार देने की बात कही गई है. इन्हें केवल अनुच्छेद 47 के तहत महाभियोग से हटाया जा सकेगा, और राष्ट्रपति जैसे विशेषाधिकार मिलेंगे.

विशेषज्ञ इसे संविधान पर क्यों बता रहे हैं हमला

विशेषज्ञों का मानना है कि इस संशोधन से सेना का वर्चस्व संविधान में स्थायी रूप से स्थापित हो जाएगा। यह न केवल नागरिक शासन की अवधारणा को कमजोर करेगा, बल्कि भविष्य में इसे पलटना भी मुश्किल होगा.  TTAP ने जनता से इस संशोधन के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है. उनका कहना है कि यह पाकिस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने वाला कदम है. 

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