- संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष ने खूब तीखे शब्द बाण छोड़े.
- अमित शाह ने अपने और नेहरू के सिर की तुलना की तो सयानी घोष ने चाचा चौधरी का नाम लिया.
- इसके अलावा संसद में चर्चा के दौरान शिव मंत्र, राक्षस, टाइगर, मोहम्मद गजनी की भी जिक्र हुआ.
ऑपरेशन सिंदूर पर मंगलवार को संसद में चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर शब्द संग्राम हुआ. दोनों की तरफ से खूब शब्दबाण छोड़े गए. व्यक्तिगत कटाक्ष करते हुए जमकर जुबानी तीर चले. इस दौरान कई ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया, जो आमतौर पर संसद में सुनाई नहीं देते हैं. चाचा चौधरी से लेकर राक्षस, टाइगर से लेकर मोहम्मद गजनी और लियाकत अली का जिक्र किया गया. इतना ही नहीं, अमित शाह ने तो अपने और नेहरू के सिर की तुलना तक कर दी.
'रिस्क हम लें... खीर चाचा चौधरी खा जाए'
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद सयानी घोष ने चर्चा के दौरान बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "रिस्क हम लें, ऑपरेशन हम करें और खीर चाचा चौधरी खाकर चला जाए. इसी के लिए हम बैठे हैं यहां पर. सर इस लड़ाई में शायद आप जीत गए, लेकिन नैरेटिव की लड़ाई में आप हार गए हैं. आप देश को बता नहीं पाए कि अधर्म पर धर्म की जीत हुई है. पाकिस्तान पर एक बार फिर भारत की जीत हुई है. आप ये बता नहीं पाए.
लोकसभा में प्रणीति और शांभवी के शब्द बाण, जानें LJP सांसद ने क्यों की बिलावल भुट्टो से तुलना #pranitishindehttps://t.co/bJkx1KLvji
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नेहरू जी का सिर मेरा जैसा था...
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के दौरान कहा कि नेहरू का सिर मेरे जैसा था. शाह ने कहा कि 1962 के युद्ध में क्या हुआ था, 38 हजार वर्ग किलोमीटर अक्साई चिन का हिस्सा चीन को दे दिया गया. शाह ने कहा कि संसद में चर्चा के दौरान नेहरू ने कहा था कि वहां घास का एक तिनका भी नहीं उगता है, उस जगह का क्या करेंगे. शाह ने कहा कि नेहरू जी का सिर मेरा जैसा था. उन्होंने कहा कि उस वक्त एक सांसद महावीर प्रसाद त्यागी ने जबरदस्त जवाब देते हुए नेहरू से कहा था कि आपके सिर पर भी बाल नहीं हैं तो क्या उसे भी चीन को दे दें. दरअसल, अमित शाह अपने और नेहरू के सिर पर कम बाल को लेकर तंज कस रहे थे.
'नेहरू जी का सिर मेरी तरह था..'
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संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर महाबहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह का कटाक्ष#AmitShah #OperationSindoor pic.twitter.com/myM7eYvcVi
...जब अखिलेश यादव ने चीन को बताया 'राक्षस'
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए चीन को "राक्षस" बताया. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर हमारे इंटेलिजेंस फेलियर को दिखाता है... सरकार जवाब दे कि पाकिस्तान के पीछे कौन सा देश खड़ा है. हमें चीन से उतना ही खतरा है, जितना कि पाकिस्तान से. पाकिस्तान से अगर हमें खतरा है तो चीन तो राक्षस है. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां और फैसले ऐसे हैं, जो सीमाओं पर अतिक्रमण करने वाले चीन की व्यापारिक गतिविधियों में मदद करते हैं... हमने कई मौकों पर कहा है कि हमें पाकिस्तान से नहीं, चीन से ज्यादा खतरा है. वह समय-समय पर हमारी जमीन छीन रहा है. हमारा बाजार भी छीन रहा है.
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टाइगर को खुली छूट देनी पड़ती है...
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि एक पति को उसकी पत्नी के सामने गोली मारी गई. यह बेहद दर्दनाक है. हर भारतीय को इसका दर्द महसूस होता है. जो हुआ, वह गलत था. उन्होंने कहा कि हम राजनीतिक कार्यों के लिए देशभर में जाते हैं, लेकिन सेना देश के लिए लड़ने-मरने को तैयार रहती है. अगर आप सेना का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उसे पूरी स्वतंत्रता देनी होगी. टाइगर को खुली छूट देनी पड़ती है. इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होती है.
'मैं भी शिव मंत्र पढ़कर आई हूं'
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने भाषण में 'शिव मंत्र' का जिक्र किया. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि 26 परिवार उजड़ गए. 26 बेटे, पति, बेटों की मौत हो गई. मरने वालों में 25 भारतीय थे. इसी बीच प्रियंका को सत्ता पक्ष के सदस्यों ने टोका... पीछे से आवाज आई- वो हिंदू थे. इसके जवाब में प्रियंका ने कहा कि मैं भी आज शिव मंत्र पढ़कर आई हूं.
मोहम्मद गजनी... विपक्ष की मानसिकता
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पर हमला बोलते हुए मोहम्मद गजनी और लियाकत अली का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि नेहरू ने एक किताब लिखी थी- Glimpses of world history. इस किताब में नेहरू ने लिखा था कि मोहम्मद गजनी वॉरियर (योद्धा) था. वही मोहम्मद गजनी, जिस हम सभी लुटेरा, उस जमाने का टेररिस्ट मानते हैं. नेहरू ने लिखा था कि गजनी तो सिर्फ अपने साम्राज्य का विस्तार करने आया था, उसने हिंदुओं पर कोई जुर्म नहीं किया. यही मानसिकता आज विपक्ष की है.
नेहरू की किस बात से दुखी लियाकत अली ने छोड़ा हिंदुस्तान
निशिकांत दुबे ने इसके अलावा लियाकत अली का नाम लेकर भी कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आखिर पाकिस्तान क्यों बना? पाकिस्तान को जिन दो लोगों ने बनवाया, उनमें एक जिन्ना थे और दूसरे लियाकत अली थे. लियाकत अली इस देश का कट्टर नागरिक बनना चाहता था. वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का था और वह यहीं (संसद) में बैठकर राजनीति करना चाहता था. लियाकत ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि 1946 में जब अंतरिम सरकार बनी, तब नेहरू ने अपनी बहन विजयलक्ष्मी पंडित को मॉस्को का राजदूत बना दिया. इससे लियाकत इतना दुखी हुआ कि तभी तय कर लिया कि जिस दिन भारत का बंटवारा होगा, वह पाकिस्तान चला जाएगा. उसके बाद हिंदुस्तान और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और वह पाकिस्तान चला गया.
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