नई दिल्ली:
नोएडा में चार वर्ष पहले अपनी बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज के दोहरे हत्याकांड में जमानत के लिए नूपुर तलवार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
न्यायिक हिरासत में चल रही नूपुर ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित याचिका में फिर से जमानत याचिका दायर कर उच्चतम न्यायालय से अपने फैसले की समीक्षा करने को कहा है। उच्चतम न्यायालय ने उनके एवं उनके पति राजेश तलवार के खिलाफ आपराधिक अभियोजन चलाने को मंजूरी दी थी।
तलवार के वकील ने स्पष्ट किया कि गाजियाबाद अदालत के आज के फैसले को उन्होंने चुनौती नहीं दी जिसने आरूषि की मां को जमानत देने से इंकार कर दिया। उनके वकील ने कहा, ‘‘वास्तव में लंबित समीक्षा याचिका में जमानत के लिए याचिका दायर की गई है जिसे सुनवाई के लिए शुक्रवार को सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है।’’
उच्चतम न्यायालय ने 15 मार्च को दंपति की याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने का निर्णय किया था। दंपति ने छह जनवरी को उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा करने को कहा जिसमें इसने हत्या में दंपति के खिलाफ सुनवाई को मंजूरी दी थी और उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को नामंजूर करने की याचिका को खारिज कर दिया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें सुरक्षा देने से मना करने के बाद गाजियाबाद की सीबीआई की विशेष अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया। इसके बाद नूपुर ने जमानत और गिरफ्तारी से बचने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। बहरहाल उच्चतम न्यायालय ने 27 अप्रैल को उसे निर्देश दिया कि गाजियाबाद की निचली अदालत में वह 30 अप्रैल को आत्मसमर्पण करे। सीबीआई अदालत द्वारा उसकी याचिका खारिज होने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
न्यायिक हिरासत में चल रही नूपुर ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित याचिका में फिर से जमानत याचिका दायर कर उच्चतम न्यायालय से अपने फैसले की समीक्षा करने को कहा है। उच्चतम न्यायालय ने उनके एवं उनके पति राजेश तलवार के खिलाफ आपराधिक अभियोजन चलाने को मंजूरी दी थी।
तलवार के वकील ने स्पष्ट किया कि गाजियाबाद अदालत के आज के फैसले को उन्होंने चुनौती नहीं दी जिसने आरूषि की मां को जमानत देने से इंकार कर दिया। उनके वकील ने कहा, ‘‘वास्तव में लंबित समीक्षा याचिका में जमानत के लिए याचिका दायर की गई है जिसे सुनवाई के लिए शुक्रवार को सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है।’’
उच्चतम न्यायालय ने 15 मार्च को दंपति की याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने का निर्णय किया था। दंपति ने छह जनवरी को उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा करने को कहा जिसमें इसने हत्या में दंपति के खिलाफ सुनवाई को मंजूरी दी थी और उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को नामंजूर करने की याचिका को खारिज कर दिया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें सुरक्षा देने से मना करने के बाद गाजियाबाद की सीबीआई की विशेष अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया। इसके बाद नूपुर ने जमानत और गिरफ्तारी से बचने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। बहरहाल उच्चतम न्यायालय ने 27 अप्रैल को उसे निर्देश दिया कि गाजियाबाद की निचली अदालत में वह 30 अप्रैल को आत्मसमर्पण करे। सीबीआई अदालत द्वारा उसकी याचिका खारिज होने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
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