इस्लामिक इस्टेट के आतंकी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पेरिस के हमले के बाद दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन इस्लामिक इस्टेट ने अब इंटरनेट पर अमेरिका और यूरोप के दूसरे देशों को धमकी देना शुरू कर दिया है। IS की वेबसाइट पर सोमवार को एक वीडिया अपलोड किया गया जिसमें आईएस के लड़ाकों को धमकी जारी करते दिखाया गया है। जाहिर है, दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन IS के आतंक का जितना बड़ा जाल जमीन पर नहीं है, उससे कहीं ज्यादा इंटरनेट पर है।
आईएस की सबसे खौफनाक तस्वीरें यू ट्यूब पर भरी पड़ी हैं। दरअसल सोशल मीडिया वह मंच है जिसके सहारे आईएस अपना खौफ भी बढ़ा रहा है और अपने समर्थन को भी मजबूत कर रहा है। भारत तक यह साइबर सेंधमारी चल रही है।
इस साल सितंबर में हैदराबाद की अफशां जबीन की गिरफ्तारी के बाद पहली बार यह बात खुली कि इंटरनेट पर कई ग्रुप हैं जिनका इस्तेमाल कर नौजवानों को आईएस से जोड़ा जा रहा है। अफशां जबीन के फेसबुक अकाउंट से 9 दूसरे IS समर्थकों की पहचान भी हुई जिसकी जांच फिलहाल जारी है।
वेब पर आतंकवादियों का बड़ा जाल
आईटी विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने NDTV से कहा कि वेब पर आतंक का यह जाल काफी बड़ा है और इसकी पूरी जानकारी अभी सरकारी एजेंसियों के पास नहीं है। उनके मुताबिक, "हम अनभिज्ञ हैं कि हमें करना क्या है। इंटरनेट पर कुछ पैसे देकर आतंकी साइबर-कूलीज बना रहे हैं जिनका काम साइबर-टेरर फैलाना है। देश में साइबर रेडिकलाइजेशन पर राष्ट्रीय नीति बनाना बेहद जरूरी हो गया है।"
कूट भाषा में संदेश सुरक्षा एजेंसियों के लिए अनसुलझी गुत्थी
इंटरनेट के इस्तेमाल में इस्लामिक इस्टेट के लड़ाके इतने माहिर हैं कि वे लगातार इन्क्रिप्टेड मेसेज का इस्तेमाल करते हैं। इन संदेशों को समझना और उनके सहारे किसी नतीजे तक पहुंचना सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुमकिन नहीं हो पा रहा। यह अमेरिका-यूरोप की एजेंसियों का हाल है, जबकि भारत में तो इन्क्रिप्शन की कोई अलग नीति तक नहीं है। सीरियाई मूल के पत्रकार अव्वाद कहते हैं कि आईएस ने इंटरनेट पर अपना जाल फैलाने के लिए काफी पैसा खर्च किया है और उसने सैकड़ों इंटरनेट एक्सपर्ट भर्ती कर लिए हैं।"
अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपेक्षा अनुरूप गंभीर नहीं
हालांकि भारत में सीरिया के राजदूत ने NDTV से कहा कि इंटरनेट पर आईएस की बढ़ती सक्रियता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय गंभीरता से पहल नहीं कर रहा है। रियाद अब्बास ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा, "अगर अमेरिका मंगल पर पानी खोज सकता है तो इंटरनेट पर कौन कब इंटरनेट पर वीडियो अपलोड कर रहा है इसकी जानकारी उसके पास क्यों नहीं है।"
आईएस की सबसे खौफनाक तस्वीरें यू ट्यूब पर भरी पड़ी हैं। दरअसल सोशल मीडिया वह मंच है जिसके सहारे आईएस अपना खौफ भी बढ़ा रहा है और अपने समर्थन को भी मजबूत कर रहा है। भारत तक यह साइबर सेंधमारी चल रही है।
इस साल सितंबर में हैदराबाद की अफशां जबीन की गिरफ्तारी के बाद पहली बार यह बात खुली कि इंटरनेट पर कई ग्रुप हैं जिनका इस्तेमाल कर नौजवानों को आईएस से जोड़ा जा रहा है। अफशां जबीन के फेसबुक अकाउंट से 9 दूसरे IS समर्थकों की पहचान भी हुई जिसकी जांच फिलहाल जारी है।
वेब पर आतंकवादियों का बड़ा जाल
आईटी विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने NDTV से कहा कि वेब पर आतंक का यह जाल काफी बड़ा है और इसकी पूरी जानकारी अभी सरकारी एजेंसियों के पास नहीं है। उनके मुताबिक, "हम अनभिज्ञ हैं कि हमें करना क्या है। इंटरनेट पर कुछ पैसे देकर आतंकी साइबर-कूलीज बना रहे हैं जिनका काम साइबर-टेरर फैलाना है। देश में साइबर रेडिकलाइजेशन पर राष्ट्रीय नीति बनाना बेहद जरूरी हो गया है।"
कूट भाषा में संदेश सुरक्षा एजेंसियों के लिए अनसुलझी गुत्थी
इंटरनेट के इस्तेमाल में इस्लामिक इस्टेट के लड़ाके इतने माहिर हैं कि वे लगातार इन्क्रिप्टेड मेसेज का इस्तेमाल करते हैं। इन संदेशों को समझना और उनके सहारे किसी नतीजे तक पहुंचना सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुमकिन नहीं हो पा रहा। यह अमेरिका-यूरोप की एजेंसियों का हाल है, जबकि भारत में तो इन्क्रिप्शन की कोई अलग नीति तक नहीं है। सीरियाई मूल के पत्रकार अव्वाद कहते हैं कि आईएस ने इंटरनेट पर अपना जाल फैलाने के लिए काफी पैसा खर्च किया है और उसने सैकड़ों इंटरनेट एक्सपर्ट भर्ती कर लिए हैं।"
अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपेक्षा अनुरूप गंभीर नहीं
हालांकि भारत में सीरिया के राजदूत ने NDTV से कहा कि इंटरनेट पर आईएस की बढ़ती सक्रियता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय गंभीरता से पहल नहीं कर रहा है। रियाद अब्बास ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा, "अगर अमेरिका मंगल पर पानी खोज सकता है तो इंटरनेट पर कौन कब इंटरनेट पर वीडियो अपलोड कर रहा है इसकी जानकारी उसके पास क्यों नहीं है।"
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