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This Article is From Aug 26, 2016

स्कॉर्पीन पनुडब्बी डाटा लीक मामला, चिंता की बड़ी बात नहीं : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर

स्कॉर्पीन पनुडब्बी डाटा लीक मामला, चिंता की बड़ी बात नहीं : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर
नई दिल्ली: स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लीक हुए डाटा की संवेदनशीलता को लेकर बहस के बीच रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को लीक मामले को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है. क्योंकि शस्त्र प्रणाली की जानकारी इसमें शामिल नहीं थी. वहीं इस टिप्पणी को चुनौती देते हुए खबर जारी करने वाले पत्रकार ने कहा कि इस जानकारी को सोमवार को सार्वजनिक किया जाएगा.

हालांकि रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि वह नौसेना द्वारा उन्हें दी गई जानकारी के आधार पर बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि चिंता के कुछ क्षेत्र जरूर हैं क्योंकि मंत्रालय सबसे खराब स्थिति को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से संबंधित दस्तावेजों के लीक होने से फ्रांस के साथ किए जा रहे किसी भी सौदे पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिनमें राफेल लड़ाकू विमान सौदा भी शामिल है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि 'द ऑस्ट्रेलियन' अखबार के वेब पोर्टल पर डाले गए लीक दस्तावेजों में स्कॉर्पीन की किसी शस्त्र प्रणाली का उल्लेख नहीं है जैसा कि मीडिया में खबर आई. पर्रिकर ने कहा कि नौसेना ने उन्हें आश्वासन दिया है कि अधिकतर लीक हुए दस्तावेज चिंता पैदा करने वाले नहीं हैं.

उन्होंने कहा, 'शस्त्र प्रणाली के समझौते शस्त्र निर्माताओं के साथ हैं और वे अलग समझौते हैं. दूसरी बात कि सभी पनडुब्बियों का अभी तक समुद्री परीक्षण भी नहीं हुआ है. इसलिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण चीज (पनडुब्बी की गतिविधि) दस्तावेजों में शामिल नहीं है.' लेकिन कुछ ही घंटे बाद पत्रकार कैमरन स्टीवर्ट ने कहा कि ये चीजें भी लीक हुई हैं.

स्टीवर्ट ने ही मुंबई में फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस के साथ साझेदारी में भारतीय नौसेना के लिए बनाई जा रही छह अत्याधुनिक पनडुब्बियों की क्षमताओं से संबंधित अत्यंत गोपनीय जानकारी के 22,000 से अधिक पृष्ठ लीक होने से संबंधित खबर प्रकाशित की थी.

स्टीवर्ट ने ट्वीट किया, 'भारतीय रक्षा मंत्री का कहना है कि स्कॉर्पीन पनडुब्बियों पर लीक हुई जानकारी में शस्त्र प्रणाली की जानकारी शामिल नहीं है. गलत है. हम हथियारों से संबंधित दस्तावेज सोमवार को जारी करेंगे.' उन्होंने कहा, 'जब मैं कह रहा हूं कि हम स्कॉर्पीन शस्त्र प्रणाली पर लीक हुए दस्तावेज जारी करेंगे तो उसमें जाहिर तौर पर संवेदनशील सूचनाओं का हम संपादन करेंगे.'

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने भी लीक को तवज्जो नहीं देते हुए कहा है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करता, क्योंकि दस्तावेज पुराने हैं और इसमें शस्त्र प्रणाली का ब्योरा नहीं है. रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि स्कॉर्पीन पनुडब्बी ने समुद्री परीक्षण तक पूरा नहीं किया है जो यह समझने के लिए महत्वपूर्ण है कि यह पानी के अंदर कैसे काम करेगी.

भारतीय नौसेना ने स्कॉर्पीन दस्तावेज लीक मामले को फ्रांस के शस्त्रीकरण महानिदेशक के साथ उठाया है. पर्रिकर ने रक्षा वेबसाइट भारतशक्ति डॉट इन द्वारा आयोजित एक सेमिनार से इतर संवाददाताओं से कहा, 'हमें रिपोर्ट का इंतजार है. वास्तव में वेबसाइट पर डाली गई सामग्री बड़ी चिंता वाली नहीं है. हम अपने आप मान रहे हैं कि यह लीक हुई है और हम सभी एहतियात बरत रहे हैं.'

पर्रिकर ने कहा, 'जो मुझे बताया गया है, उसके अनुसार यह मानते हुए कुछ चिंता के क्षेत्र हैं कि जो लीक होने का दावा किया गया है, वह वाकई में लीक हुआ है.' उन्होंने कहा, 'हम इसे सबसे बुरी स्थिति मान रहे हैं. लेकिन मुझे लगता है कि बड़ी चिंता वाली बात नहीं है क्योंकि हम सही परिप्रेक्ष्य में चीजों को रखने में सफल होंगे.' एक पत्रकार ने जब पूछा कि क्या लीक होने से राफेल सौदे पर असर पड़ेगा, तो रक्षा मंत्री ने पलट कर सवाल किया कि क्या कोई फ्रांस की किसी कंपनी के उत्पादों का इस्तेमाल इसलिए बंद कर देगा, क्योंकि दूसरी कंपनी में जानकारी लीक हो गई.

पर्रिकर ने कहा कि कार्रवाई निविदा में उल्लिखित शर्तों पर आधारित होनी चाहिए. फ्रांस से आई मीडिया की खबरों के अनुसार दस्तावेज डीसीएनएस के एक पूर्व कर्मचारी ने चुराए, वहीं भारत को इस बारे में कुछ भी लिखित में नहीं मिला है. मुंबई में फ्रांस की एक कंपनी के साथ साझेदारी में भारतीय नौसेना के लिए बनाई जारी छह अत्याधुनिक पनडुब्बियों की क्षमताओं से संबंधित अत्यंत गोपनीय जानकारी के 22,000 से अधिक पृष्ठ लीक हो गए, जिसके बाद सुरक्षा महकमा चौकन्ना हो गया.

मझगांव गोदी में फ्रांसीसी पोत निर्माता कंपनी डीसीएनएस द्वारा 3.5 अरब डॉलर की लागत से बनाई जा रही स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की लड़ाकू क्षमता से संबंधित जानकारी उस समय सार्वजनिक हो गई जब ऑस्ट्रेलियाई अखबार ने इसे अपनी वेबसाइट पर डाल दिया.

जब रक्षा मंत्री से पूछा गया कि क्या डीसीएनएस को लीक के बारे में भारत को सूचित नहीं करना चाहिए था, जो 2011 में होने की बात कही जा रही है तो पर्रिकर ने कहा कि सरकार कंपनी से आधिकारिक जवाब का इंतजार करेगी.

उन्होंने कहा, 'एक पहलू सुरक्षा का है जो हमारे लिए पहली प्राथमिकता है. हमने एक टीम बनाई है. वे लीक होने की बात मानकर ब्योरे का अध्ययन कर रहे हैं.' पर्रिकर ने कहा, 'दूसरा पहलू करार संबंधी प्रतिबद्धता और उचित सूचना का है जो हमने मांगी है. हम उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं. जवाब आ जाए.'

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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