दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार 18 नवंबर से शुरू होने जा रहे दिल्ली विधानसभा सत्र में अपना अति महत्वकांक्षी और अपनी उत्पत्ति का आधार लोकपाल बिल लाने नहीं जा रही। बता दें कि जनलोकपाल बिल को आधार बनाकर आम आदमी पार्टी का गठन हुआ था।
दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने सोमवार को जिन बिलों को विधानसभा में पेश करने के लिए हरी झंडी दिखाई, उसमें CrPC संशोधन बिल, दिल्ली स्कूली शिक्षा संशोधन बिल, वर्किंग जर्नलिस्ट प्रोविजन संशोधन बिल, दिल्ली राइट टू सिटीजन्स टाइम बाउंड सर्विस डिलीवरी कानून में संशोधन और न्यूनतम मज़दूरी संशोधन बिल शामिल हैं। लेकिन, आगामी बिलों की इस सूची में लोकपाल का कहीं जिक्र नहीं है।
सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जब खुद सीएम केजरीवाल ने 28 सितम्बर को ट्वीट करके कहा था कि 'जन लोकायुक्त लगभग तैयार है और हमें इसको आगामी विधानसभा सत्र में पेश करने की स्थिति में होना चाहिए' तो फिर अब क्या हो गया कि यह लिस्ट में ही नहीं है।
अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जिस लोकपाल बिल के लिए 2011 में अण्णा हज़ारे और केजरीवाल ने इतना बड़ा आंदोलन किया और तत्कालीन कांग्रेस सरकार को घुटनों पर ला दिया। जिस लोकपाल बिल के लिए केजरीवाल ने कहा अगर मैं मज़बूत लोकपाल नहीं ला सकता तो क्या फायदा सीएम की कुर्सी पर बैठने का, लोकपाल के लिए ऐसी 100 कुर्सियां क़ुर्बान और 14 फरवरी 2014 को सरकार छोड़ दी। लेकिन अब उनकी प्रचंड बहुमत की सरकार को 9 महीने हो गए हैं और केजरीवाल का लोकपाल अभी भी नज़र नहीं आ रहा। आखिर वजह क्या है?
दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने सोमवार को जिन बिलों को विधानसभा में पेश करने के लिए हरी झंडी दिखाई, उसमें CrPC संशोधन बिल, दिल्ली स्कूली शिक्षा संशोधन बिल, वर्किंग जर्नलिस्ट प्रोविजन संशोधन बिल, दिल्ली राइट टू सिटीजन्स टाइम बाउंड सर्विस डिलीवरी कानून में संशोधन और न्यूनतम मज़दूरी संशोधन बिल शामिल हैं। लेकिन, आगामी बिलों की इस सूची में लोकपाल का कहीं जिक्र नहीं है।
सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जब खुद सीएम केजरीवाल ने 28 सितम्बर को ट्वीट करके कहा था कि 'जन लोकायुक्त लगभग तैयार है और हमें इसको आगामी विधानसभा सत्र में पेश करने की स्थिति में होना चाहिए' तो फिर अब क्या हो गया कि यह लिस्ट में ही नहीं है।
अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जिस लोकपाल बिल के लिए 2011 में अण्णा हज़ारे और केजरीवाल ने इतना बड़ा आंदोलन किया और तत्कालीन कांग्रेस सरकार को घुटनों पर ला दिया। जिस लोकपाल बिल के लिए केजरीवाल ने कहा अगर मैं मज़बूत लोकपाल नहीं ला सकता तो क्या फायदा सीएम की कुर्सी पर बैठने का, लोकपाल के लिए ऐसी 100 कुर्सियां क़ुर्बान और 14 फरवरी 2014 को सरकार छोड़ दी। लेकिन अब उनकी प्रचंड बहुमत की सरकार को 9 महीने हो गए हैं और केजरीवाल का लोकपाल अभी भी नज़र नहीं आ रहा। आखिर वजह क्या है?
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