
नई दिल्ली:
आखिरकार बिहार में आरजेडी और जेडीयू के बीच गठबंधन का एलान हो गया। इसमें जो सबसे बड़ी रुकावट थी, वह दोनों धड़ों ने दूर कर ली है। नीतीश कुमार इस गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे।
लालू यादव सहित जनता परिवार के दूसरे नुमाइदों के बीच मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को दिल्ली में नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके साथ ही बिहार में जनता परिवार के बीच आपसी कलह की अटकलें भी खत्म हो गई।
दरअसल नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर स्वीकार करना लालू यादव के लिए एक मुश्किल फैसला था। लालू यादव ने मुलायम की मौजूदी में कहा कि बिहार में सांप्रदायिक ताकतों को हराना उनकी प्राथमिकता है और इसके लिए वह किसी भी तरह का ज़हर पीने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, 'मैं धर्मनिरपेक्ष ताकतों और भारत की जनता को भरोसा दिलाता हूं कि बिहार की लड़ाई में मैं हर तरह का घूंट पीने को तैयार हूं। हम हर तरह का घूंट पीने को तैयार हैं। हम हर तरह का जहर पीने के लिए तैयार हैं।'
वहीं बीजेपी की ओर इशारा करते हुए लालू ने कहा, 'मैं इस सांप का फन, सांप्रदायिकता के इस कोबरा को कुचलने के लिए प्रतिबद्ध हूं।'
हालांकि साम्प्रदायिक ताकतों को हराने के नाम पर हुए इस गठबंधन में कई मसलों पर बात बाकी है। सीटों के बंटवारे का सवाल भी बचा हुआ है। लालू यादव से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब दिल मिल गए हैं तो टिकटों के बंटवारे में मुश्किल नहीं आएगी।
हालांकि अब असली सवाल पटना में है जहां सीटों के बंटवारे पर बात होनी अभी बाकी है। सोमवार को पटना में नीतीश कुमार ने कहा कि दोनों पार्टियों की तरफ से तीन-तीन नेता मंगलवार को बैठकर सीटों के बंटवारे पर चर्चा करेंगे।
दिल्ली में हुए इस एलान से पहले पटना में नीतीश कुमार ने साफ कर दिया था कि गठबंधन होने जा रहा है। अब इस गठबंधन के तीसरे साझेदार के तौर पर कांग्रेस पर सबकी नज़र है। जेडीयू कह चुकी है कि वो भी साथ होगी। दरअसल ये अंदाज़ा सबको था कि बिहार में लालू-नीतीश साथ ना आ सके तो बीजेपी फायदे में रहेगी। अब इस गठबंधन ने बिहार में बीजेपी के लिए ख़तरे की घंटी बजा दी है।
लालू यादव सहित जनता परिवार के दूसरे नुमाइदों के बीच मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को दिल्ली में नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके साथ ही बिहार में जनता परिवार के बीच आपसी कलह की अटकलें भी खत्म हो गई।
दरअसल नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर स्वीकार करना लालू यादव के लिए एक मुश्किल फैसला था। लालू यादव ने मुलायम की मौजूदी में कहा कि बिहार में सांप्रदायिक ताकतों को हराना उनकी प्राथमिकता है और इसके लिए वह किसी भी तरह का ज़हर पीने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, 'मैं धर्मनिरपेक्ष ताकतों और भारत की जनता को भरोसा दिलाता हूं कि बिहार की लड़ाई में मैं हर तरह का घूंट पीने को तैयार हूं। हम हर तरह का घूंट पीने को तैयार हैं। हम हर तरह का जहर पीने के लिए तैयार हैं।'
वहीं बीजेपी की ओर इशारा करते हुए लालू ने कहा, 'मैं इस सांप का फन, सांप्रदायिकता के इस कोबरा को कुचलने के लिए प्रतिबद्ध हूं।'
हालांकि साम्प्रदायिक ताकतों को हराने के नाम पर हुए इस गठबंधन में कई मसलों पर बात बाकी है। सीटों के बंटवारे का सवाल भी बचा हुआ है। लालू यादव से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब दिल मिल गए हैं तो टिकटों के बंटवारे में मुश्किल नहीं आएगी।
हालांकि अब असली सवाल पटना में है जहां सीटों के बंटवारे पर बात होनी अभी बाकी है। सोमवार को पटना में नीतीश कुमार ने कहा कि दोनों पार्टियों की तरफ से तीन-तीन नेता मंगलवार को बैठकर सीटों के बंटवारे पर चर्चा करेंगे।
दिल्ली में हुए इस एलान से पहले पटना में नीतीश कुमार ने साफ कर दिया था कि गठबंधन होने जा रहा है। अब इस गठबंधन के तीसरे साझेदार के तौर पर कांग्रेस पर सबकी नज़र है। जेडीयू कह चुकी है कि वो भी साथ होगी। दरअसल ये अंदाज़ा सबको था कि बिहार में लालू-नीतीश साथ ना आ सके तो बीजेपी फायदे में रहेगी। अब इस गठबंधन ने बिहार में बीजेपी के लिए ख़तरे की घंटी बजा दी है।
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