निर्भया गैंगरेप के दोषियों को शनिवार सुबह 6 बजे होने वाली फांसी टाल दी गई है. पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वॉरंट पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. इस फ़ैसले पर निर्भया की मां ने कहा कि फ़ांसी टलने से ज्यादा तकलीफ़ इस बात से है कि दोषियों के वकील ने चुनौती देकर फांसी को अनंत काल तक टालने के लिए कहा. दरअसल मुकेश के अलावा किसी और दोषी के सभी कानूनी विकल्प अभी पूरे नहीं हुए हैं. वहीं दूसरे दोषी अक्षय की दया याचिका भी राष्ट्रपति के पास लंबित है. पवन और विनय ने दया याचिका नहीं लगाई है. पवन ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका भी नहीं लगाई है. वहीं, मौत की सजा वाले केसों में पीड़ित केंद्रीय गाइडलाइन बनाने पर विचार करने को सुप्रीम कोर्ट तैयार है. सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले शत्रुघ्न चौहान की गाइडलाइन में सुधार के मुद्दों पर बहस की. सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से चीफ जस्टिस (CJI) ने पूछा आप किसके तरफ से है? तुषार ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से. CJI ने कहा कि पीड़ितों के अधिकार की रक्षा के लिए कानून है. SG ने कहा कि दोषी को ट्रॉयल कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में उसके बाद क्यूरेटिव याचिका, लेकिन इसका फायदा उठाया जा रहा है. निर्भया के परिजनों की वकील ने वृंदा ग्रोवर के पेश होने पर आपत्ति जताई. सुप्रीम कोर्ट में पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिका लंबित है. गुरुवार को अक्षय की क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई है. हम आदेश मिलने के बात उसकी ओर से राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाएंगे. जेल मैन्यूअल यही कहता है कि अगर किसी एक दोषी की भी याचिका लंबित हो तो बाकी को फांसी नहीं दी जा सकती.
दोषी विनय के वकील एपी सिंह की दलील
- विनय की दया याचिका लंबित है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन दिए जाएंगे. इसलिए किसी को भी फांसी नहीं दी जा सकती. नई तारीख तय की जाए. शनिवार को किसी को फांसी नहीं दी जा सकती. डेथ वारंट पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगाई जाए. जब तक राष्ट्रपति दया याचिका पर फैसला न करें.
दोषी मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने क्या कहा
- कानून में खामियों के चलते देरी हो रही है. मुझे काफी देर बाद केस में मौका मिला. मैंने कोशिश की देरी ना हो इसलिए दोषी मुकेश की ओर से जल्द याचिकाएं लगाईं.
- दोषियों को अलग-अलग कर फांसी नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में नाराजगी जताई थी.
- जेल प्रशासन ने क्यूरेटिव पिटीशन का जिक्र मैन्यूअल में नहीं किया है. जबकि ये कानूनी उपाय सुप्रीम कोर्ट में उपलब्ध है.
- एक दया याचिका लंबित है, जो संवैधानिक प्राधिकरण के पास है. वो कब फैसला लेंगे ये कोई नहीं कह सकता. दूसरे कानूनी उपाय अन्य दोषियों के बचे हुए हैं, इसलिए सभी दोषियों की फांसी टाली जानी चाहिए.
- एक दोषी की दया याचिका का नतीजा दूसरे दोषी से अलग हो. फांसी का आदेश एक ही आदेश के जरिए दिया गया है. इसलिए दया याचिका लंबित है तो फांसी टलनी चाहिए. एक की फांसी दूसरे से अलग नहीं होना चाहिए. ये वापस ना होने वाली प्रक्रिया है.
- इस नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती. अगर एक अपराध के लिए अलग-अलग सजा दी गई तो कोई उपचार नहीं होगा.
- अगर मान लो विनय की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी जाती है तो उसका क्या होगा जिसे फांसी दे दी गई.
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