बेंगलुरू:
प्रसिद्ध वैज्ञानिक व अंतरिक्ष आयोग के वरिष्ठ सदस्य रोदम नरसिम्हा ने पद से इस्तीफा दे दिया। इसका कारण एंट्रिक्स-देवास स्पेक्ट्रम समझौते को लेकर भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर तथा तीन अन्य वैज्ञानिकों पर सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध बताया जा रहा है।
इसरो के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, "नरसिम्हा ने अपना इस्तीफा सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा। इसलिए हमारे पास इसकी विस्तृत जानकारी नहीं है कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया? लेकिन हमारी जानकारी के मुताबिक, वह नायर सहित शीर्ष चार अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के खिलाफ सरकार की हाल की कार्रवाई को लेकर दुखी थे।"
नरसिम्हा (78) पिछले दो दशक से अंतरिक्ष आयोग से जुड़े रहे हैं और सबसे लम्बे समय से इसके सदस्य रहे हैं।
इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में गठित 11 सदस्यीय अंतरिक्ष समिति ने नायर तथा तीन अन्य अंतरिक्ष वैज्ञानिकों- पूर्व वैज्ञानिक सचिव ए. भास्करनारायण, इसरो के उपग्रह केंद्र के पूर्व निदेशक केएन शंकर तथा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के पर्वू कार्यकारी निदेशक केआर सिद्धार्थमूर्ति को इस मामले में एंट्रिक्स-देवास स्पेक्ट्रम समझौते में हुई गड़बड़ियों के लिए दोषी ठहराया था, जिसके बाद सरकार ने इन चारों वैज्ञानिकों को आजीवन किसी भी सार्वजनिक पद पर होने से प्रतिबंधित कर दिया।
इसरो के अधिकारी के मुताबिक, नरसिम्हा इस पूरी प्रक्रिया से आहत थे। समिति ने चारों वैज्ञानिकों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की थी। लेकिन नरसिम्हा इससे सहमत नहीं थे। उनके अनुसार, वैज्ञानिकों के खिलाफ की गई दंडात्मक कार्रवाई अवांछित थी।
इसरो के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, "नरसिम्हा ने अपना इस्तीफा सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा। इसलिए हमारे पास इसकी विस्तृत जानकारी नहीं है कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया? लेकिन हमारी जानकारी के मुताबिक, वह नायर सहित शीर्ष चार अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के खिलाफ सरकार की हाल की कार्रवाई को लेकर दुखी थे।"
नरसिम्हा (78) पिछले दो दशक से अंतरिक्ष आयोग से जुड़े रहे हैं और सबसे लम्बे समय से इसके सदस्य रहे हैं।
इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में गठित 11 सदस्यीय अंतरिक्ष समिति ने नायर तथा तीन अन्य अंतरिक्ष वैज्ञानिकों- पूर्व वैज्ञानिक सचिव ए. भास्करनारायण, इसरो के उपग्रह केंद्र के पूर्व निदेशक केएन शंकर तथा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के पर्वू कार्यकारी निदेशक केआर सिद्धार्थमूर्ति को इस मामले में एंट्रिक्स-देवास स्पेक्ट्रम समझौते में हुई गड़बड़ियों के लिए दोषी ठहराया था, जिसके बाद सरकार ने इन चारों वैज्ञानिकों को आजीवन किसी भी सार्वजनिक पद पर होने से प्रतिबंधित कर दिया।
इसरो के अधिकारी के मुताबिक, नरसिम्हा इस पूरी प्रक्रिया से आहत थे। समिति ने चारों वैज्ञानिकों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की थी। लेकिन नरसिम्हा इससे सहमत नहीं थे। उनके अनुसार, वैज्ञानिकों के खिलाफ की गई दंडात्मक कार्रवाई अवांछित थी।