डिजिटल इंडिया बिल में 'सेफ हार्बर' नियम की समीक्षा कर रही है नरेंद्र मोदी सरकार : केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बेंगलुरू में कहा, डिजिटल कानूनों को पूरी तरह बदलने के क्रम में सरकार 'सेफ हार्बर' नियम की समीक्षा कर रही है.

डिजिटल इंडिया बिल में 'सेफ हार्बर' नियम की समीक्षा कर रही है नरेंद्र मोदी सरकार : केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, डिजिटल कानूनों को बदलने के क्रम में सरकार सेफ हार्बर नियम की समीक्षा कर रही है...

नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि सरकार किसी भी यूज़र द्वारा की गई पोस्ट के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ज़िम्मेदारी से मुक्त करने वाले 'सेफ हार्बर' क्लॉज़ की समीक्षा कर रही है. 'द हिन्दू' में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक, सरकार दशकों पुराने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के स्थान पर नया डिजिटल इंडिया बिल लाने की तैयारी में है.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बेंगलुरू में गुरुवार को एक प्रेज़ेन्टेशन के दौरान कहा, आईटी एक्ट, 2000 के तहत मौजूद 'सेफ हार्बर' नियम के मुताबिक इंटरनेट पर मौजूद 'मध्यस्थ' किसी भी थर्ड पार्टी द्वारा उनकी वेबसाइट पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, लेकिन अब डिजिटल कानूनों को पूरी तरह बदलने के क्रम में सरकार इस नियम की समीक्षा कर रही है.

वर्ष 2021 में सरकार इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम लाई थी, जिनके तहत प्लेटफॉर्मों को पोस्टों को हटाना होता था, जब सरकार उनसे कहती थी, या कानूनी तौर पर ऐसा करना ज़रूरी होता था.

आसान शब्दों में कहें, सरकार का कहना था कि 'सेफ हार्बर' सुरक्षा को 'कमाना' पड़ता है, और यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निर्भर करता है कि वह इंटरनेट को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाए रखने के लिए कितना प्रयास कर रहा है, और यह सुनिश्चित कर रहा है कि जिस कॉन्टेन्ट को भी 'यूज़र को नुकसान पहुंचाने वाले' के रूप में फ्लैग किया जाए, उसे वह प्लेटफॉर्म पर टिकने या रहने न दे.

'द हिन्दू' के मुताबिक केंद्रीय मंत्री ने कहा, "डिजिटल इंडिया बिल का ड्राफ्ट दो और दौर की बातचीत के बाद सख्त किया जाएगा..."

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अधिकारियों के अनुसार, यह ड्राफ्ट बिल अप्रैल में जारी किए जाने की संभावना है और फिर 45-60 दिन तक सार्वजनिक चर्चा के दौर होंगे, और उसके बाद इसे अंतिम मंज़ूरी के लिए संसद में प्रस्तुत किया जाएगा. चर्चा और विचार-विमर्श की टाइमलाइन के आधार पर कहा जा सकता है कि ड्राफ्ट बिल को जुलाई में संसद में पेश कर दिया जाएगा.