
- नांदेड़ में उत्तर भारतीय शौचालय संचालक को पीटने के मामले में MNS के पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है.
- मारपीट की घटना तब हुई जब शौचालय संचालक ने मराठी में बात करने से इनकार कर दिया था.
- उत्तर भारतीय व्यापारियों ने पुलिस थाने पर जाकर हिंदी भाषी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है
महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर में एक शौचालय संचालक को पीटने के मामले में पुलिस ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. वजीराबाद पुलिस ने एक उत्तर भारतीय शौचालय संचालक अमरेश झा की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. साथ ही MNS की थप्पड़बाजी के खिलाफ अब नांदेड़ में उत्तर भारतीय एकजुट हो रहे हैं. उन्होंने थाने पहुंचकर हिंदी भाषी और उत्तर भारतीय व्यापारियों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की. उधर, उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि यहां रहने वाले लोग जिन्हें मराठी नहीं आती है, उन्हें विनम्रता से बोलना चाहिए कि हमें मराठी नहीं आती है और हम सीख रहे हैं.
नांदेड़ में हाल ही में एक मराठी व्यक्ति ने सुलभ शौचालय संचालक से शौच के लिए 5 रुपये वसूलने पर सवाल उठाया था. साथ ही उसका वीडियो बनाया और मराठी में बात करने के लिए कहा था. शौचालय संचालक ने गुस्से में कहा, “नहीं बोलूंगा तो क्या कर लेगा”? ये वीडियो MNS तक पहुंचा और उसके कार्यकर्ताओं ने शौचालक संचालक को थप्पड़ मारकर माफी मांगने पर मजबूर किया था.
हालांकि अब इस मामले में वजीराबाद पुलिस ने मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की है. पुलिस ने पार्टी के पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है.
मारपीट के विरोध में उत्तर भारतीय लामबंद
इस घटना के विरोध में अब नांदेड़ में उत्तर भारतीय इकट्ठा हो गए हैं. अमरेश झा के समर्थन में कई हिंदी भाषी और उत्तर भारतीय व्यापारी वजीराबाद पुलिस स्टेशन पहुंचे. लोगों ने कहा कि हिंदी भाषी और उत्तर भारतीय व्यापारियों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
साथ ही अमरेश झा ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी कारण के पीटा गया. उन्होंने कहा कि चार-पांच लोग आए थे. उन्होंने बेवजह बहस की, जब मैंने गुस्से में कहा कि मैं मराठी नहीं बोलूंगा तो उन्होंने जानबूझकर वीडियो बना लिया.
झा ने कहा कि मराठी बोलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. राज्य में भाषा का मुद्दा उठाकर शासन चलाया जा रहा है. अगर उत्तर भारतीयों की रोजाना इसी तरह पिटाई होती रही, तो उन्हें भी हाथ उठाना पड़ेगा.
... तो फिर गड़बड़ नहीं होगी: अजित पवार
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि आप जिस राज्य में रहते हैं उस राज्य के भाषा का सम्मान होना चाहिए. राज्य भाषा के बाद अगर कोई दूसरी भाषा कहीं पर बोली जाती है तो वह हिंदी और उसके बाद इंग्लिश है. महाराष्ट्र से लेकर जम्मू कश्मीर तक सभी को अपने मातृभाषा पर अभिमान होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले लोग जिन्हें मराठी नहीं आती है, उन्हें विनम्रता से बोलना चाहिए कि हमें मराठी नहीं आती है और हम सीख रहे हैं. आप अगर ऐसा बोलेंगे तो फिर गड़बड़ नहीं होगी. हालांकि कभी-कभी होता यह है कि कुछ लोग रिएक्ट कर जाते हैं. अकड़ जाते हैं. ऐसा नहीं चलता है. आप जहां काम करते हैं, वहां के लोगों का क्या कहना है, उनकी क्या सोच है, इन सभी पर कभी विचार करना चाहिए और खुशी-खुशी सबको एक साथ रहना चाहिए.
उधर, मराठी बोर्डों के लिए मनसे के आक्रामक रुख के बाद मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुछ होटल व्यवसायी गुजराती बोर्डों को काला कपड़ा लगाकर ढक रहे हैं.
डोगरा समाज ने उर्दू को लेकर जताया विरोध
उधर, महाराष्ट्र में हो रहे भाषा विवाद के बाद अब जम्मू कश्मीर में डोगरा समाज ने उर्दू को लेकर विरोध जताया है. इस मुद्दे पर कृष्णा पंडित, गगन मल्होत्रा, मुकेश ऋषि, उपासना सिंह और निधी डोगरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि जम्मू-कश्मीर में उर्दू भाषा को प्रशासनिक और सार्वजनिक नौकरियों में अनिवार्य किए जाने के बाद डोगरा समाज में असंतोष है. उन्होंने कहा कि राज्य में उर्दू भाषियों की संख्या केवल 4.5% है और फिर भी उर्दू थोपी जा रही है.
30% आबादी वाले डोगरा समाज ने इसे सांस्कृतिक अन्याय बताया और निर्णय वापस लेने की मांग की.
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