
मुंबई में तीन तलाक बिल के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं ने प्रदर्शन किया.
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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला विंग प्रमुख ने कहा बिल महिलाओं के खिलाफ
तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं के भविष्य को लेकर सवाल पर कोई जवाब नहीं
इस्लामिक स्कॉलर ने कहा- महिलाओं को गुमराह करके प्रदर्शन में शामिल किया
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला विंग की प्रमुख डॉ आसमां ज़ाहरा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि, "सरकार की ओर से यह जल्दबाज़ी में लाया गया बिल है जो कि महिलाओं के खिलाफ है और इसके ज़रिए सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में दखल करने की कोशिश कर रही है जिसे हम बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे."
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दरअसल इन महिलाओं का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही तीन तलाक को ख़त्म कर दिया है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार एक समय पर दिए गए तीन तलाक का कोई भी मतलब नहीं बनता है, तो फिर सरकार इसके लिए कानून कैसे ला सकती है. आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि इस बिल का सबसे ज़्यादा असर महिलाओं पर ही पड़ेगा क्योंकि बिल के लागू हो जाने के बाद कानून के अनुसार किसी के भी शिकायत पर तीन तलाक के मामले में पुरुष को तीन साल की सज़ा हो जाती है जिसका असर पूरे परिवार पर पड़ेगा.
पीड़ित महिलाओं के सवाल पर कोई सीधा जवाब नहीं
हालांकि तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं के बारे में पूछने पर मुस्लिम लॉ बोर्ड की तरफ से कोई सीधा जवाब नहीं मिला. जब एनडीटीवी ने महिला विंग की प्रमुख डॉ आसमां ज़ाहरा से पूछा कि देश भर में ऐसी कई महिलाएं हैं जो कि तीन तलाक की पीड़ित हैं तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, "अगर शौहर बीवी को रखना नहीं चाहता तो यह हमारी इज्जत है. इस्लाम किसी को भी ज़बर्दस्ती बीवी बनकर रहने को नहीं कहता और तलाक के तीन महीने बाद दूसरी शादी हो सकती है." हालांकि पीड़ित महिलाओं के लिए क्या इंतज़ाम मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से किए जा रहे हैं? इसका सही जवाब नहीं दिया गया.
वापस लिए जाए बिल
प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं ने सरकार से शरिया कानून में दखल नहीं देने और इस बिल को राज्यसभा में पास नहीं करने की मांग की.
VIDEO : महिलाओं के लिए उपहार होगा तीन तलाक बिल का पास होना
"महिलाओं को गुमराह किया जा रहा है"
इस्लामिक स्कॉलर डॉ ज़ीनत शौकत अली ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि महिलाओं को गुमराह कर इस प्रदर्शन में शामिल किया गया है. तीन तलाक बिल का समर्थन करते हुए डॉ ज़ीनत अली ने कहा कि, "मुस्लिम महिलाओं को यह समझना होगा कि जो बिल सरकार ला रही है उसे असल में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लाना चाहिए था. लेकिन इसके विपरीत बोर्ड ने तीन तलाक को रोकने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद लोगों ने एक समय पर तीन तलाक देने की प्रथा को जारी रखा जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों ने इस पर कानून बनाने की बात कही."
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