आईसीयू (ICU) में भर्ती कोविड के मरीजों को बीमारी से ज्यादा तनाव, दहशत और आशंका खाए जा रही है. बड़ी-बड़ी मशीनों के बीच पीपीई किट पहने स्वास्थ्यकर्मी और कई घंटे एकांत में रहने के कारण मरीज मानसिक रोगों का शिकार हो रहे हैं. इससे उनकी हालत और बिगड़ती जा रही है. मुंबई (Mumbai) के अस्पतालों में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है.
डॉक्टरों ने इस स्थिति को ‘आईसीयू साइकोसिस' (ICU Psychosis) नाम दिया है, जहां मरीज वायरस से ज्यादा भयावह स्थिति के कारण जल्द ठीक नहीं हो पा रहा है. कुछ मरीज़ों ने तो इस कारण जान भी गंवा दी है. आईसीयू में भर्ती कोविड के लगभग सभी मरीज़ ‘आईसीयू साइकोसिस' यानी एक तरह के मानसिक डिसॉर्डर से गुज़र रहे हैं. बहकी-बहकी बातें, वहम, और भ्रम का शिकार ये मरीज जल्द ठीक नहीं हो पाते हैं.
बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) ने मरीजों को ऐसे मेंटल डिसऑर्डर से बचाने के लिए उनकी काउंसिलिंग औऱ मनोरंजन की सुविधा देना शुरू की है. ताकि वे शारीरिक के साथ मानसिक तौर पर मजबूत हो सकें. एडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर सुरेश ककानी ने कहा कि बीएमसी ने गंभीर मरीज़ों के लिए ICU के अंदर ही मनोरंजन की सुविधा मुहैया कराई है. मरीज़ों का फोन पर फिल्म देखने, गेम खेलने, संगीत, पढ़ना, पहेली सुलझाना, साथी मरीजों से बात करना, वीडियो-कॉल और मेडिटेशन जैसी सहूलियत दी जा रही है.
मौत का खतरा और डरावने सपनों से परेशान
हीरानंदानी हॉस्पिटल में डायरेक्टर इंटेंसिव केयर डॉ. चंद्रशेखर तुलसीगिरी ने कहा कि ये मरीज़ बहुत बेचैन और घबराहट में रहते हैं. उन्हें मौत का खतरा, डरावने सपने, अनिद्रा और मतिभ्रम हो जाता है. वह हर वक्त अलग-अलग चीजों के लिए छटपटाते हैं. इतनी गंभीर अवस्था में अस्पताल में आने वाले मरीज बीमारी को लेकर आशंका में रहते हैं कि वे बच भी पाएंगे या नहीं. घरवालों से उनका संपर्क हो पाएगा या नहीं.
गंभीर मरीजों से बातचीत करना आवश्यक
बीएमसी के अस्पतालों से जुड़े मनोचिकित्सक डॉ अनुपम बोराडे बताते हैं कि ICU के कोविड मरीज़ों से जितना और जैसे मुमकिन हो बातचीत ज़रूरी है, ये डिसऑर्डर ICU से निकलने के बाद भी उन्हें परेशान करता है. निजी अस्पतालों के क्रिटिकल केयर विभाग में भी कुछ मामलों में ऐसे डिसऑर्डर से ग्रस्त मरीजों के समक्ष बड़ा ख़तरा है.
बीमारी से उबरने में मानसिक स्थिति ठीक होना जरूरी
फ़ोर्टिस क्रिटिकल केयर के डॉक्टर चारुदत्त वइती ने कहा कि अगर मरीज वेंटीलेटर पर है और उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है तो उसे बाहर ला पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. उसे वेंटीलेटर से सामान्य स्थिति में लाना बेहद कठिन हो जाता है. एक समस्या के कारण दूसरी परेशानी या संक्रमण घेर लेता है. मुंबई में फ़िलहाल 1,263 मरीज़ ICU में भर्ती हैं. इनमें से ज़्यादातर मरीज़ ऐसी दिमाग़ी तकलीफ़ से गुज़र रहे हैं. इन्हें दवा के साथ काउंसिंलिग की भी सख़्त ज़रूरत है.
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