मुंबई में कुर्ला निवासी अनीस अंसारी क्या देश का पहला 'लोन वुल्फ' बनने की राह पर था? लोन वुल्फ यानि अकेले ही हमले को अंजाम देने वाला सिरफिरा आतंकी। 24 साल के अनीस को महाराष्ट्र की आतंकवाद विरोधी दस्ते एटीएस नें 18 अक्टूबर को बांद्रा के एक अमेरिकी स्कूल को उड़ाने की साजिश रचने के आरोप में पकड़ा था।
अनीस पेशे से सॉफ्टवेअर इंजीनियर है और अंधेरी पूर्व में हिअर इंडिया प्राईवेट लिमिटेड में कार्यरत था। एटीएस का आरोप है कि कंपनी के इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल कर उसने अपने 11 फर्जी फेसबूक प्रोफाइल बनाए थे जिनके जरिये वो देश और विदेशों में युवकों और कुछ आतंकी किस्म के लोगों के साथ ज्यादातर अंग्रेजी में ही चैट किया करता था। चैट में बातें जिहाद और आतंक से जुड़ि होती थीं। एक चैट में अनीस सामने वाले से पूछता है कि क्या वो लोन वुल्फ अटैक के बारे में जानता है?
अनीस के ऐसे ही कुछ चैट से एटीएस को लग रहा है कि वो 'लोन वुल्फ' से बहुत प्रभावित था और खूद भी 'लोन वुल्फ' बनना चाह रहा था। लोन वुल्फ वैसे अमेरिकी एजेंसियों की ओर से दी गई पहचान है। इसे हिंदी में हम अकेले हमला करने वाला भेड़िया कह सकते हैं।
गुट में काम न करने की वजह से ऐसे शख्स ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं क्योंकि वो सारे काम खुद ही अंजाम देते हैं। इनके काम की किसी को भनक नहीं होती। दुनियाभर के देशों में अब तक 40 के करीब लोन वुल्फ हमले हो चुके हैं। लोन वुल्फ का सबसे आखिरी हमला इसी महीने 15 दिसंबर को ऑस्ट्रलिया में सिडनी एक कैफे में हारुन मोनिस ने किया था।
हालांकि अनीस के घरवालों की दलील है कि वो आतंकी नहीं मानसिक रूप से बीमार है और ये भी साफ नहीं है कि फेसबूक प्रोफाइल उसने ही बनाए थे या किसी और ने? अपनी दलीलों के आधार पर अनीस के वकील चिराग शाह ने जमानत की अर्जी भी दायर की थी, लेकिन एटीएस के विरोध पर अदालत ने उसे खारिज कर दिया।
एटीएस ने हालांकि अनीस पर आतंकी कानून की धारा नहीं लगाई है। उस पर आईटी ऐक्ट और हत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ है। जांच एजेंसी के सूत्रों की माने तो अनीस ने चैट के दौरान बांद्रा के अमेरिकन स्कूल को बम से उड़ाकर अमेरिकी और बाकी विदेशियों को मारने का जिक्र किया है।
इसके लिए थर्माइट बम कैसे बनाया जा सकता है, इसका फार्मूला भी उसने इंटरनेट के जरिये सर्च कर उसे फेसबुक प्रोफाइल पर पोस्ट किया है। चैट में सामने वाले एक शख्स के इस सवाल पर कि मासूम स्कूली बच्चों को मारना कहां तक उचित है, के जवाब में अनीस ने लिखा है कि इस्लामी शरियत के मुताबिक 13 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे मासूम नहीं होते।
एजेंसियों का आरोप है कि उसके चैट से साफ पता चल रहा है कि अनिस 'लोन वुल्फ' की तरह अकेले ही आतंकी वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहा था। 16 दिसंबर को पेशावर के आर्मी स्कूल में हुए मासूम बच्चों के कत्ले आम के बाद अनीस एटीएस और बाकी सुरक्षा एजेंसियों के लिए और भी अहम हो गया है।
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