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This Article is From Mar 10, 2017

साधना हुईं भावुक- अखिलेश-डिंपल के कमरे में जाने का मन नहीं करता, मुलायम कहते हैं, टेंशन मत लो

साधना ने आखिरी दौर के मतदान से पहले अपनी चुप्पी तोड़ी

लखनऊ: चुनाव परिणाम आने से पहले ही मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना ने अपनी चुप्पी तोड़ दी. उन्होंने कहा कि गलत समय पार्टी टूटी. ANI से बातचीत में साधना ने कहा- मेरे अखिलेश के बीच कोई बात ही नहीं थी. हमारी कभी बहस तक नहीं हुई. अखिलेश ने कभी मुझे जवाब तक नहीं दिया. मैंने कभी उसे पराया नहीं माना. पार्टी में जो कुछ हुआ, वह समय ने कराया.  रामगोपाल यादव को लेकर साधना ने कहा कि प्रोफेसर जी नेताजी से बहुत प्यार करते थे, लेकिन बीच में पता नहीं क्या हो गया, शायद सब कुछ समय ने कराया. प्रोफेसर साहब (रामगोपाल यादव) की पत्नी जब नहीं रही थीं तो मैंने ही उनके आंसू पोंछे थे. मैंने ही उनके बच्चों की शादियां करवाईं. नेताजी भी प्रोफेसर साहब से पूछे बिना काम नहीं करते थे.

सपा में कलह का असर चुनावों पर कितना पड़ेगा, इससे जुड़े सवाल पर वह बोलीं कि निश्चिततौर पर इसका चुनावों पर असर पड़ेगा. लेकिन मैं चाहती हूं कि हमारी पार्टी दोबारा जीते और अखिलेश यादव सीएम बनें. मुझे नहीं पता अखिलेश को किसने बहकाया है. वह तो मेरा और नेताजी का बहुत आदर करते थे. 1 जनवरी से अखिलेश के साथ मेरी इतनी बातचीत हुई, जितनी पांच सालों में भी नहीं हुई.

राजनीति में आने को लेकर उन्होंने कहा कि नेताजी ने कभी आने नहीं दिया, पर हां पीछे से काम करते रहे हैं, लेकिन अब मैं राजनीति में नहीं आना चाहती, मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा प्रतीक राजनीति में आए.

अखिलेश यादव के अलग हो जाने से जुड़े सवाल पर साधना भावुक हो गईं और कहा कि उनके (अखिलेश-डिंपल) कमरे में जाने का ही मन नहीं करता. कैसे उस कमरे में जाएं जिसमें बेटा-बहू रहे हों, बच्चे रहे हों. आज भी कमरे सफाई होने के बाद बंद हो जाते हैं.  कभी नहीं सोचा था नेताजी के जीते जी अखिलेश अलग हो जाएंगे.

साधना ने बताया कि मुलायम हमेशा मुझसे कहते हैं कि दुखी मत होना, क्योंकि तनाव लेने से मेरी शुगर बढ़ जाती है. मैं चाहती हूं कि हम सब मिलकर रहे. अगर सब साथ बैठकर अपनी समस्याएं डिसकस करते तो 1 जनवरी की घटना नहीं होती. हम कितने दिन नहीं सो पाए. फिर भगवान पर छोड़ दिया तो थोड़ी राहत मिली. अपने घरवालों से ही लड़ना बहुत मुश्किल होता है.

मुलायम को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद लौटाने के सवाल पर साधना ने कहा कि अखिलेश ने कहा कि तीन महीने में सब कुछ वापस कर दूंगा. नेताजी लेकिन नेताजी हैं वे वापस करें या न करें, वह नेताजी ही रहेंगे.

सपा के झगड़े में खुद पर लगे आरोपों पर साधना ने कहा कि हां, जो परिवार में हुआ उसका मुझे बुरा लगा, लेकिन मैं किसी को दोष नहीं देती. मैं उस माहौल में बढ़ी हुई हूं जहां मेरे पिताजी कहते थे कि अच्छे कामों का प्रचार करने की जरूरत नहीं होती, लेकिन अब समय बदल चुका है. अब तो सबकुछ बता कर करना चाहिए. वरना इंसान की कीमत नहीं होती.

शिवपाल यादव पर लगे आरोपों को लेकर साधना ने कहा कि उनका अपमान नहीं किया जाना चाहिए था. उनकी कोई गलती नहीं. उन्होंने नेताजी और पार्टी के लिए बहुत कुछ किया है. उनके साथ जो हुआ गलत हुआ. घर के लोगों ने ही उनके साथ ये सब कराया है.

उन्होंने कहा कि नेताजी मजबूत हैं अगर वो स्टैंड लेने को कहेंगे तो हम उनके साथ ही खड़े हैं. अखिलेश के लिए स्टैंड लेना होगा तो वह भी लेंगे, क्योंकि सम्मान से बड़ी कोई चीज नहीं होती. मेरा बहुत अपमान हुआ है. अब पीछे नहीं हटूंगी. चीफ सेक्रेटरी का ट्रांसफर हुआ तो लोगों ने कहा कि इसके पीछे मेरा हाथ है. यह झूठ था. काश मैं इतनी पावरफुल होती.

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