लोकसभा में सांसद कुंवर दानिश अली (Kunwar Danish Ali) ने आज परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2022 (Family Courts (Amendment) Bill 2022) पर सदन में चर्चा के दौरान पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच एवं हापुड़ में जिला न्यायालय की बिल्डिंग बनवाने की मांग की. चर्चा के दौरान उन्होंने कहा के मूल रूप से परिवार न्यायालय में जो मामले जाते हैं, वे ज्यादातर समझौते के लिए जाते हैं. वहां आने से पहले परामर्श के जरिए काउन्सलर्स हसबैंड-वाइफ के बीच सुलह कराने की कोशिश करते हैं.
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज हम यहां इस विधेयक पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन समझौता तो आप हाउस में भी नहीं कर पा रहे हैं. यहां पर विपक्ष की बेंचेंज खाली हैं, अगर यह परामर्श, समझौता, अच्छी नीयत और सबको साथ लेकर इस बिल को पास कराते और इसमें सभी के सुझाव आते तो बहुत ज्यादा अच्छा रहता, लेकिन हम अपने हाउस के अंदर भी सबको साथ लेकर नहीं चल पा रहे हैं, यह कितनी बड़ी दुर्भाग्य की बात है.
उन्होंने विपक्षी सांसदों को सदन से इस पूरे सत्र तक निलंबन के मुद्दे पर कहा कि हर सदस्य का अधिकार है कि वह चर्चा की मांग करें. सरकार को इस से पीछे नहीं हटना चाहिए. अगर विपक्ष महंगाई पर चर्चा की मांग कर रहा है तो उनको सुनना चाहिए, निलंबन वापस लेना चाहिए. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि जिन साथियों को निलंबित किया गया है, उन्हें वापस सदन में आने की अनुमति दी जाए.
उन्होंने कहा की लाखों की तादाद में मामले लंबित है. यहां पर कानून मंत्री बैठे हैं. मैं इस बिल पर बोलने से पहले एक बात कहना चाहूंगा कि न्यायालय की जो आधारभूत संरचना है, उसमें बहुत कमी है.
उन्होंने कहा कि मेरे अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में हापुड़ जिला आता है और 40 प्रतिशत मेरा क्षेत्र हापुड़ जिले में है. मैं कानून मंत्रीजी से कहना चाहूंगा कि वर्ष 2011 में हापुड़ जिला बना, लेकिन आज तक जिला नयायालय के लिए वहां बिल्डिंग नहीं है. जिला न्यायालय पांच जगहों पर चल रही है. वहां 32 एकड़ जमीन अधिग्रहण हो चुकी है, लेकिन सरकार पैसा नहीं दे रही है. हापुड़ जिले में जिला न्यायालय बनाने के लिए सरकार से ही सरकार को जमीन खरीदनी है, लेकिन सरकार जमीन के लिए पैसा नहीं दे रही है. यह कहां का न्याय है? हम सस्ता और सुलभ न्याय दिलाने की बात बहुत करते हैं, लेकिन धरातल पर ठीक इसके विपरीत हो रहा है.
मेरी सरकार से मांग है की हापुड़ जिले में जिला न्यायालय की नई बिल्डिंग बनाने में जो बाधाएं आ रही हैं, उन बाधाओं को उत्तर प्रदेश सरकार से मिलकर इसे जल्द से जल्द दूर कराएं.
उन्होंने सरकार से जवाब मांगते हुए पूछा कि हिमाचल प्रदेश में फरवरी, 2019 में परिवार न्यायालय बना दिया गया, लेकिन उसकी अधिसूचना जारी नहीं की गई. क्या भारत सरकार का कानून मंत्रालय सोता रहा? उसकी अधिसूचना जारी नहीं करना, यह किसकी जिम्मेदारी थी? आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्या मंत्री जी और सरकार इसकी जिम्मेदारी ले सकते हैं?
उन्होंने कहा किअल्पसंख्यक समुदाय की बदकिस्मती है कि जो पारिवारिक मामले सिविल मामले थे, इस सरकार ने एक समुदाय के परिवार के मामलों को आपराधिक मामलों के रूप में बनाने का कार्य वर्ष 2019 में इसी सदन में पास किया था और नारा दिया था कि हम मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाना चाहते हैं. मैं पूछना चाहता हूं कितनी महिलाओं को आपने न्याय दिलाया है? आज देश भर में कितनी महिलाओं के घर बगैर नोटिस के तोड़े जा रहे हैं. क्या आप इस देश के अंदर यही न्याय दिलाना चाहते हैं?
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