पर्वतारोही अर्जुन वाजपेई बहुत कम उम्र में कई रिकॉर्ड बना चुके हैं. अर्जुन वाजपेई अब 27 साल के हो चुके हैं और उन्होंने अगले साल मई तक दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) की चढ़ाई की योजना बनाई है. अर्जुन का कहना है कि, वो ये चढ़ाई बिना शेरपा और बिना पूरक ऑक्सीजन की मदद के बिना करेंगे और एक सप्ताह के भीतर इस चढ़ाई को पूरा करने की योजना है. बता दें कि 10 साल पहले, वाजपेयी माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय थे. वह उस समय 16 वर्ष के था और एक समूह अभियान का हिस्सा था.
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अगली चढ़ाई के लिए वह उत्तराखंड के पहाड़ों पर प्रशिक्षण ले रहे हैं. वाजपेई ने कहा, कि वह तिब्बत की तरफ से शिखर सम्मेलन का प्रयास करेंगे, क्योंकि नेपाल एकल शिखर सम्मेलन की अनुमति नहीं देता है. वाजपेई और उनके माता-पिता लॉकडाउन से पहले नोएडा से उत्तराखंड चले गए थे. अर्जुन ने बताया, “मैं अल्मोड़ा एक छोटे से गाँव में अपने परिवार के साथ में रहता हूँ. मेरे पड़ोस में पहाड़ हैं, जो प्यारे और शांत हैं, ”. वाजपेई ने कहा, कि महामारी ने उनके कार्यक्रम को प्रभावित किया. “मुझे अगले साल के अपने सभी अभियानों को स्थगित करना पड़ा. अगर मैं सफल हो जाता हूं तो मैं चोटी पर चढ़ने वाला पहला भारतीय बनूंगा.”
वाजपेई ने कहा, कि एक इटालियन खोजकर्ता रेनहोल्ड एंड्रियास मेसनर को 1978 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने पर अकेले चढ़ने का श्रेय दिया जाता है. इसके बाद कुछ और लोगों ने भी ये चढ़ाई अकेले पूरी की, लेकिन, किसी भारतीय ने अभी तक ऐसा नहीं किया है. एक दशक की लंबी यात्रा में वाजपेयी ने दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों में से अबतक छह पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया है. 2010 में उन्होंने पहली बार एवरेस्ट को फतह किया था. 2011 में उन्होंने माउंट ल्होत्से (8,516 मी) और माउंट मानसालु (8,163 मी) पर चढ़ाई की. 2016 में माउंट मकालू (8,485 मी) और माउंट चो ओयूयू (8,201 मी).2018 में माउंट कंचनजंगा (8,586 मी) की चढ़ाई की.
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वाजपेई ने हिमाचल प्रदेश के लाहौल घाटी में एक "कुंवारी पहाड़" की खोज की थी और 2015 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम के नाम पर इसका नाम माउंट कलाम (6,180 मी) रखा. अगले पांच वर्षों में वाजपेयी का लक्ष्य दुनिया में सभी 14 8,000 मीटर ऊंची चोटियों का शिखर सम्मेलन करने वाला दुनिया का सबसे कम उम्र का व्यक्ति और एकमात्र भारतीय बनना है.
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