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क्या भारत में पैर पसार रहा है मंकीपॉक्स ? क्यों है ये इतना खतरनाक, यहां समझिए 

विश्व के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं. इनमें भारत के पड़ोस में बसा पाकिस्तान भी है. WHO ने भी इस वायरल को लेकर एडवाइजरी जारी की थी.

केरल में मिला मंकीपॉक्स का पहला मामला, देश में ऐसे कुल दो मामले में आए सामने

नई दिल्ली:

केरल में मंकीपॉक्स वायरस का एक और मामला सामने आया है. इसके साथ ही भारत में मंकीपॉक्स से पीड़ित मरीजों की कुल संख्या अब दो हो गई है.दूसरा मामला केरल के मलप्पुरम से सामने आया है. बताया जा रहा है कि जिस व्यक्ति में यह वायरस पाया गया है वह कुछ दिन पहले ही दुबई से वापस आया है. मंकीपॉक्स से पीड़ित इस मरीज को पास के ही एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया था कि हमें जैसे ही पता चला कि इस शख्स में मंकीपॉक्स जैसे लक्षण हैं तो हमने सबसे पहले उसे आइसोलेट किया. उसके बाद उसके सैंपल को जांच के लिए भेजा गया. जब रिपोर्ट आई तो उसमें शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण मिले. 

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दिल्ली में भी दर्ज किया गया था एक मामला 

कुछ समय पहले ही मंकीपॉक्स का एक मामला दिल्ली में सामने आया था. यह भारत का पहला मामला था. दिल्ली में जिस शख्स में यह वायरस मिला था वह हिसार का रहने वाला था. उसे बाद में एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 

मंकीपॉक्स का हॉटस्पॉट किस देश में है

इस समय डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) मंकीपॉक्स का हॉटस्पॉट बना हुआ है. यहीं से यह संक्रमण दूसरे देशों में फैला है. एक जनवरी 2022 से 31 जुलाई 2024 तक दुनियाभर के 121 देशों में मंकीपॉक्स के मामले पाए गए हैं. इस दौरान कुल एक लाख तीन हजार 48 लोगों में मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि हुई है. इस दौरान मंकीपॉक्स के संक्रमण से 229 लोगों की मौत हुई है. 31 जुलाई तक इसके 186 संभावित मामले भी मिले थे.

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मंकीपॉक्स रोकने के लिए कितना कारगर है टीकाकरण

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक टीकाकरण के जरिए इसकी रोकथाम की जा सकती है. डीआरसी के अलावा केवल नाइजीरिया में ही अब तक इसका टीका पहुंच सका है. टीके की कमी इसके तेजी से फैलने के कारणों में से एक है. इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले महीने मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय इमरजेंसी घोषित कर दिया था.  

इसका पहला मामला 1958 में डेनमार्क में सामने आया था. इंसान में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था.आजकल यह अपने क्लैड-1b के फैलने की वजह से सुर्खियों में है. क्लैड-1 और क्लैड-2 में से क्लैड-1 को अधिक घातक माना जाता है. क्लैड-1b के संक्रमण का मुख्य कारण सेक्स को माना जाता है. वहीं क्लैड-1a आमतौर पर पशुओं से फैलता है. इसका नया वैरिएंट अफ्रीका में महिलाओं और बच्चों को अधिक शिकार बना रहा है. 

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कैसे फैलता है मंकीपॉक्‍स

बीते कुछ महीनों में ये मंकीपॉक्स  को लेकर जो बड़ी जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक सामान्यतः 2-4 सप्ताह का संक्रमण होता है और रोगी आमतौर पर सहायता संबंधी प्रबंधन से ठीक हो जाते हैं. संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क से और आमतौर पर यौन संपर्क, शरीर, घाव के तरल पदार्थ के साथ सीधे संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़े, चादर का इस्तेमाल करने से होता है. WHO ने इससे पूर्व जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को पीएचईआईसी घोषित किया था और बाद में मई 2023 में इसे रद्द कर दिया था। 2022 से वैश्विक स्तर पर डब्ल्यूएचओ ने 116 देशों से मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 लोगों की मृत्यु की सूचना दी है.

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2022 में भी दिल्ली आया था मंकीपॉक्स का मामला

आपको बता दें कि 2022 में भी मंकीपॉक्स के कई मामले में दिल्ली में सामने आए थे. उस दौरान जिस मरीज में मंकीपॉक्स का वायरस मिला था वह मूल रूप से नाइजीरिया का रहने वाला था. 2022 में दिल्ली में मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित नवां मरीज था. उस दौरान देश में मंकीपॉक्स से संक्रमित होने वालों की संख्या 14 पहुंच गई थी. इन मरीजों में अधिकतर वैसे लोग हैं, जिनकी उन देशों की ट्रैवल हिस्ट्री रही है, जहां ये वायरस तेजी से फैला है. 

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