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This Article is From Mar 23, 2017

मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को टीवी शो के लिए पंजाब के महाधिवक्ता ने दी हरी झंडी

मंत्री बने नवजोत सिंह सिद्धू नहीं कर सकते टीवी शो

चंडीगढ़: पंजाब के एडवोकेट जनरल को लगता है कि राज्‍य के संस्‍कृति मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू टेलीविजन शो में हिस्‍सा ले सकते हैं और इसमें हितों के टकराव की कोई बात नहीं है, मुख्‍यमंत्री अमरिं‍दर सिंह के कार्यायल ने गुरुवार को यह जानकारी दी. मुख्‍यमंत्री ने एडवोकेट जनरल से इस बात पर राय मांगी थी कि क्‍या सिद्धू को मंत्री बनने के बाद अपना टीवी करियर छोड़ देना चाहिए. गुरुवार शाम सीएम कार्यालय से जारी बयान में लिखा है, 'एडवोकेट जनरल की राय के अनुसार सिद्धू के टीवी शो में काम करने को लेकर कोई कानूनी रोक नहीं है.' टीवी शो में हिस्सा लेकर सिद्धू किसी कानून का उल्लंघन नहीं कर रहे न ही ये आफिस ऑफ प्राफिट का मामला है. सिद्धू के शो करने से हितों का टकराव नहीं क्योंकि शो मुंबई में शूट होता है.'

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठकराल ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री ने पुष्टि की है कि इस मुद्दे पर उनको महाधिवक्ता की रिपोर्ट मिल गयी है. अब सिद्धू के टीवी शो जारी रखने को लेकर कोई बाधा नहीं है और ना ही उनके संस्कृति विभाग में परिवर्तन की आवश्यकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘महाधिवक्ता की राय में इस मामले में भारतीय संविधान, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 या आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं हो रहा है.’’ महाधिवक्ता के अनुसार सिद्धू के शो जारी रखने में किसी प्रकार की वैधानिक समस्या नहीं है.

इससे पहले पंजाब के एडवोकेट जनरल ने कहा था की नवजोत सिंह सिद्धू टीवी शो नहीं कर सकते. मंत्री रहते टीवी शो करना असंवैधानिक है. इस पर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कानूनी राय मांगी थी. पंजाब के एएसजी ने कहा था कि सिद्धू इस वक्त संस्कृति मंत्रालय संभाल रहे हैं. एक्टिंग और सांस्कृतिक मंत्रालय एक-दूसरे से जुड़े हैं और इसे हितों का टकराव माना जाता है. नवजोत सिंह सिद्धू बार-बार अपना बचाव कर रहे थे यह कहकर कि मैं शाम 6 बजे से सुबह 9 बजे तक क्या करता हूं, उससे किसी को मतलब नहीं होना चाहिए.

वहीं एनडीटीवी इंडिया के आशीष भार्गव ने एडवोकेट जनरल मुकुल रोहतगी से बात की. उनके मुताबिक- 6 बजे के बाद कुछ और करने की बात ग़लत है. कोई क़ानून नहीं, मगर नैतिक तौर पर यह ग़लत है. कोई मंत्री ऐसे अपना निजी काम नहीं कर सकता. एक डॉक्टर प्राइवेट क्लीनिक चलाते थे, मगर फ़्री. इसलिए वह ऑफ़िस ऑफ़ प्रॉफ़िट के दायरे में नहीं थे. सिद्धू और चेतन चौहान का मामला अलग है. चौहान सिर्फ़ एक्सपर्ट की तरह आते हैं. अगर वे कमेंट्री कर पैसा बनाने की बात कहें तो ग़लत है.

  इससे पहले इस प्रश्न पर कई केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह लाभ के पद के नियमों का उल्लंघन करेगा. मंत्रियों ने निजी तौर पर नई कांग्रेस सरकार को सलाह दी कि लाभ के पद से जुड़ा कानून किसी मंत्री को उस पद पर बने रहने की इजाजत नहीं देता जो उसे वित्तीय फायदा या लाभ का मौका देता हो. उन्होंने कहा कि लाभ का पद नियम केंद्र सरकार के लिए बिल्कुल स्पष्ट है और यह राज्यों के लिए भी वैध है.

पिछले उदाहरणों को याद करते हुए आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसी वजह से अरूण जेटली और रविशंकर प्रसाद ने वर्ष 2014 में मोदी सरकार में मंत्री पद का शपथ लेने के पश्चात वकालत करने का अपना लाइसेंस सौंप दिया था. बाबुल सुप्रियो ने भी भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्री बनने के बाद वाणिज्यिक पाश्र्वगायन छोड़ दिया.सूत्रों ने बताया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जब संप्रग सरकार में मंत्री बने थे तब कंपनियों का निदेशक पद छोड़ने की यही सलाह उन्हें दी गई थीं. सूत्रों के अनुसार कोई ऐसी स्थिति नहीं हो सकती कि मंत्री कहे कि शाम छह बजे के बाद या सप्ताहांत को वह क्या करता है, उसके लिए वह जवाबदेह नहीं है. यह नियम सांसद या विधायक पर लागू हो सकता है न कि मंत्रियों पर.

क्रिक्रेटर से नेता बने सिद्धू ने पिछले हफ्ते हास्य शो ‘द कपिल शर्मा शो’ पर अपनी साप्ताहिक उपस्थिति जारी रखने का निश्चय प्रकट किया था. उन्होंने कहा था कि वह शूटिंग के लिए हर शनिवार को मुम्बई चले जायेंगे और रविवार को पंजाब लौट आएंगे. (इनपुट्स भाषा से भी)

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