
बड़े शहरों में आधुनिकता की चकाचौंध और ऊंची इमारतों के पार भी एक दुनिया है. इस दुनिया में कई बार लोगों को जरूरी साधन तक नहीं मिलते हैं और उन्हें झेलनी पड़ती है परेशानी और इसके साथ-साथ कभी-कभी जान तक दांव पर लग जाती है. महाराष्ट्र के एक जिले में आदिवासी महिला के साथ भी ऐसा ही हुआ है. प्रसव पीड़ा के दौरान महिला ने बीच सड़क पर बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा. मौके पर मौजूद महिलाओं ने किसी तरह से महिला की डिलीवरी कराई.
यह घटना महाराष्ट्र के जलगांव जिले के चोपड़ा तालुका के बोरमडी की है, जहां पर एक आदिवासी महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया. महिला के पति ने एंबुलेंस के लिए आधे घंटे तक डॉक्टर-नर्स से आंगनबाड़ी सेविका तक हर किसी को फोन किया, लेकिन जब एम्बुलेंस नहीं आई तो उस शख्स ने अपनी प्रसव पीड़ा को झेलती पत्नी को बाइक पर बिठाकर अस्पताल ले जाने का फैसला किया. हालांकि इसी दौरान रास्ते में ही महिला ने एक बच्चे को जन्म दे दिया.
महिलाओं ने किया डॉक्टरों का काम
महिला और उनके परिवार के लिए परेशानी अभी खत्म नहीं हुई थी. मौके पर मौजूद अन्य महिलाओं ने प्रसव के समय किसी तरह की सामग्री नहीं होने के कारण पत्थर की मदद से नाल काटी.
इस घटना को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है. आदिवासी महिलाओं के साथ इस तरह के बर्ताव पर आदिवासी नेता प्रतिभा शिंदे ने सरकार को लेकर अपना गुस्सा व्यक्त किया है.
मामले में कार्रवाई नहीं होने से नाराज: आदिवासी नेता
शिंदे ने कहा कि यह कोई पहाड़ी इलाका नहीं है, पक्की सड़क वाला रास्ता है. महिला के पति ने डॉक्टर, नर्स से लेकर आंगनबाड़ी सेविका तक हर किसी को फोन किया. इसके बावजूद एंबुलेंस नहीं आई.
उन्होंने कहा कि यहां से केंद्र में एक महिला मंत्री हैं. राज्य सरकार में भी तीन-तीन मंत्री हैं. उसके बावजूद भी न्याय नहीं मिल रहा है तो इसका एक ही मतलब है कि इन्हें आदिवासियों से कोई लेनादेना नहीं है. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी पर कार्रवाई नहीं की गई है.
उन्होंने कहा कि सबसे पहले मेडिकल ऑफिसर को सस्पेंड किया जाए और उस महिला का जो वीडियो वायरल हुआ है, जिससे उसकी बदनामी हुई है, उसे लेकर के महिला को मुआवजा देना चाहिए.
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