बंबई हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
मुंबई:
महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में पानी की गंभीर कमी के मद्देनजर राज्य सरकार ने बंबई हाईकोर्ट को बताया है कि वह राज्य में 29,000 से अधिक गांवों में सूखा घोषित करेगी। उन्हें सूखा नियमावली, 2009 में उल्लिखित सारी राहत मुहैया की जाएगी।
पानी की कमी के मुद्दे पर कुछ याचिकाओं पर अपने जवाब में सरकार ने अदालत को बताया कि यह एक शुद्धिपत्र जारी करेगी और स्पष्ट करेगी कि जहां कहीं 'सूखे जैसे हालात' और 'सूखा प्रभावित क्षेत्र' का जिक्र किया जाएगा, उसे 'सूखे' के रूप में पढ़ा जाना चाहिए।
हलफनामे में कहा गया है कि सरकार विभिन्न योजनाओं को सख्ती से लागू कर रही है और सूखा प्रभावित इलाकों और खासतौर पर मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं।
रोज पीने योग्य पानी मुहैया कराना संभव नहीं
अदालत ने कार्यवाहक महाधिवक्ता रोहित देओत की दलील पर संज्ञान लिया है कि सभी जिलों को रोजाना पेयजल मुहैया कराना सरकार के लिए संभव नहीं होगा, लेकिन यह एक नियमित आधार पर आपूर्ति की जाएगी। उन्होंने अदालत को भरोसा दिलाया कि सभी प्रभावित जिलों को मॉनसून के आने तक नियमित रूप से पेयजल आपूर्ति की जाएगी।
सरकार ने इससे पहले हाईकोर्ट से कहा था कि महाराष्ट्र के 29,000 से अधिक गांवों में सूखे जैसे हालात हैं। याचिका दाखिल करने वालों में से एक संजय लाखे पाटिल ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया था कि सरकार 2009 की सूखा नियमावली और सूखा प्रबंधन योजना, 2005 को लागू करने में नाकाम रही है।
उन्होंने दलील दी थी कि राज्य सरकार ने जानबूझ कर महाराष्ट्र में या वास्तविक रूप से प्रभावित इलाकों में सूखा घोषित नहीं किया है। बहरहाल, अदालत ने याचिकाओं को सुनवाई के लिए 24 मई के लिए मुल्तवी कर दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सरकार नियमावली के तहत प्रावधानों को लागू कर रही है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पानी की कमी के मुद्दे पर कुछ याचिकाओं पर अपने जवाब में सरकार ने अदालत को बताया कि यह एक शुद्धिपत्र जारी करेगी और स्पष्ट करेगी कि जहां कहीं 'सूखे जैसे हालात' और 'सूखा प्रभावित क्षेत्र' का जिक्र किया जाएगा, उसे 'सूखे' के रूप में पढ़ा जाना चाहिए।
हलफनामे में कहा गया है कि सरकार विभिन्न योजनाओं को सख्ती से लागू कर रही है और सूखा प्रभावित इलाकों और खासतौर पर मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं।
रोज पीने योग्य पानी मुहैया कराना संभव नहीं
अदालत ने कार्यवाहक महाधिवक्ता रोहित देओत की दलील पर संज्ञान लिया है कि सभी जिलों को रोजाना पेयजल मुहैया कराना सरकार के लिए संभव नहीं होगा, लेकिन यह एक नियमित आधार पर आपूर्ति की जाएगी। उन्होंने अदालत को भरोसा दिलाया कि सभी प्रभावित जिलों को मॉनसून के आने तक नियमित रूप से पेयजल आपूर्ति की जाएगी।
सरकार ने इससे पहले हाईकोर्ट से कहा था कि महाराष्ट्र के 29,000 से अधिक गांवों में सूखे जैसे हालात हैं। याचिका दाखिल करने वालों में से एक संजय लाखे पाटिल ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया था कि सरकार 2009 की सूखा नियमावली और सूखा प्रबंधन योजना, 2005 को लागू करने में नाकाम रही है।
उन्होंने दलील दी थी कि राज्य सरकार ने जानबूझ कर महाराष्ट्र में या वास्तविक रूप से प्रभावित इलाकों में सूखा घोषित नहीं किया है। बहरहाल, अदालत ने याचिकाओं को सुनवाई के लिए 24 मई के लिए मुल्तवी कर दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सरकार नियमावली के तहत प्रावधानों को लागू कर रही है।
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